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आपको न चाहे ताके बाप को न चाहिए, अर्थ, प्रयोग(Aapko na chahe take baap ko na chahiye)

“आपको न चाहे ताके बाप को न चाहिए” यह हिंदी कहावत आमतौर पर इस संदर्भ में प्रयोग की जाती है कि यदि कोई व्यक्ति आपका सम्मान नहीं करता है, तो उसके प्रति आपका भी सम्मान या लगाव होना आवश्यक नहीं है।

परिचय: इस कहावत का सीधा संबंध आत्म-सम्मान से है। यह कहावत यह संदेश देती है कि जो व्यक्ति आपका सम्मान नहीं करते, उन्हें आपके सम्मान की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।

अर्थ: इस कहावत का अर्थ है कि यदि कोई आपका आदर नहीं करता है, तो उसे या उसके परिवार को भी आपके आदर की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।

उपयोग: इस कहावत का उपयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति या समूह आपके प्रति असम्मान दिखाता है, और आप उसे यह दर्शाना चाहते हैं कि वे भी आपके सम्मान के पात्र नहीं हैं।

उदाहरण:

-> मान लीजिए एक कार्यस्थल पर कोई सहकर्मी आपके विचारों और प्रस्तावों का निरंतर अनादर करता है, तो उस स्थिति में आप उस सहकर्मी के प्रति भी समान आदर नहीं दिखा सकते।

समापन: इस प्रकार, “आपको न चाहे ताके बाप को न चाहिए” कहावत आत्म-सम्मान की महत्ता पर बल देती है। यह हमें सिखाती है कि जिन लोगों द्वारा हमारा सम्मान नहीं किया जाता, उन्हें हमारे सम्मान की अपेक्षा भी नहीं करनी चाहिए। यह कहावत आत्म-सम्मान के प्रति सचेत रहने और उसे बनाए रखने की अहमियत को दर्शाती है।

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आपको न चाहे ताके बाप को न चाहिए कहावत पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में विशाल नाम का एक साधारण किसान रहता था। उसका पड़ोसी, श्याम, अक्सर उसके काम का मज़ाक उड़ाया करता था और उसे हेय दृष्टि से देखता था। विशाल हमेशा श्याम के व्यवहार को अनदेखा कर देता था और अपने काम में लगा रहता।

एक दिन श्याम को अपने खेत में बहुत सारे काम करने थे, लेकिन उसके सभी सहायक अचानक किसी कारणवश गाँव से बाहर चले गए। वह बहुत परेशान हुआ और विशाल से मदद मांगने गया।

विशाल ने श्याम की बात सुनी और कहा, “तुम हमेशा मेरे काम का मज़ाक उड़ाते हो और मेरे प्रति सम्मान नहीं दिखाते। फिर भी, आज तुम मेरी मदद मांग रहे हो। जैसा कि कहावत है ‘आपको न चाहे ताके बाप को न चाहिए’। अगर तुम मुझे सम्मान नहीं देते, तो मैं भी तुम्हारी मदद नहीं कर सकता।”

श्याम को उस समय अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने विशाल से माफी मांगी और वादा किया कि वह आगे से सभी के प्रति सम्मानजनक व्यवहार करेगा।

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि आपसी सम्मान और आदर बहुत महत्वपूर्ण है। यदि हम दूसरों का सम्मान नहीं करते हैं, तो हमें भी उनसे सम्मान की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।

शायरी:

जो दिल से ना चाहे, उसके लिए दिल क्यों बहलाएं,

“आपको न चाहे ताके बाप को न चाहिए”, ये जहां समझाएं।

मोहब्बत में तकरार है, पर सम्मान भी तो जरूरी है,

जो आदर न दे, उसके लिए दिल क्यों बेचैनी से भरी है।

सम्मान की दुनिया में, बिना आदर के प्यार कहाँ,

जो दिल से न चाहे, उसके लिए दिल में जगह कहाँ।

आदर और मोहब्बत में, बदले की नहीं बात करते,

पर “आपको न चाहे ताके बाप को न चाहिए”, ये जज्बात भरते।

इस दुनिया में सम्मान की, अपनी एक अहमियत है,

जो दिल से न चाहे, उसके लिए दिल की क्या कीमत है।

 

आपको न चाहे ताके बाप को न चाहिए शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of आपको न चाहे ताके बाप को न चाहिए – Aapko na chahe take baap ko na chahiye Proverb:

The Hindi proverb “Aapko na chahe take baap ko na chahiye” is commonly used in the context that if a person does not respect you, then you are not obliged to respect or have affection for them either.

Introduction: This proverb is directly related to self-respect. It conveys the message that people who do not respect you should not expect your respect in return.

Meaning: The meaning of this proverb is that if someone does not respect you, neither they nor their family should expect respect from you.

Usage: This proverb is used when a person or a group shows disrespect towards you, and you want to indicate that they are not deserving of your respect either.

Examples:

-> For instance, if a colleague at work continuously disrespects your ideas and proposals, then in that situation, you cannot show the same respect to that colleague.

Conclusion: Thus, the proverb “Aapko na chahe take baap ko na chahiye” emphasizes the importance of self-respect. It teaches us that those who do not respect us should not expect our respect in return. This proverb highlights the importance of being aware of and maintaining one’s self-respect.

Story of Aapko na chahe take baap ko na chahiye Proverb in English:

In a small village, there lived a simple farmer named Vishal. His neighbor, Shyam, often ridiculed his work and looked down upon him. Vishal always ignored Shyam’s behavior and focused on his work.

One day, Shyam had a lot of work to do in his field, but suddenly all his helpers left the village due to some reason. Distressed, he went to Vishal for help.

Vishal listened to Shyam and said, “You always mock my work and show no respect towards me. Yet, today you are asking for my help. As the saying goes ‘आपको न चाहे ताके बाप को न चाहिए.’ If you don’t respect me, I cannot help you.”

At that moment, Shyam realized his mistake. He apologized to Vishal and promised that he would be respectful towards everyone from then on.

This story teaches us that mutual respect and regard are very important. If we do not respect others, we should not expect respect from them either.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

इस कहावत का उपयोग कहाँ होता है?

यह कहावत अक्सर उन स्थितियों में उपयोग होती है जब किसी व्यक्ति को अपनी आवश्यकता से बहुत ज्यादा चीज की चाहत नहीं होती.

क्या इस कहावत में कोई ऐतिहासिक कथा है?

इस कहावत के पीछे कोई विशेष ऐतिहासिक कथा नहीं है, यह सामान्य जीवन अनुभवों के साथ जुड़ी है.

कहावत में ‘ताके बाप’ का अर्थ क्या है?

ताके बाप’ का अर्थ है किसी को चाहिए नहीं होना या किसी को चाहिए ही नहीं होना.

यह कहावत सामाजिक संदेश क्या देती है?

यह कहावत सामाजिक संदेश देती है कि किसी चीज की चाहत कम होने पर भी उसे हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए.

क्या इस कहावत का उपयोग केवल व्यक्तिगत स्थितियों में होता है?

नहीं, इस कहावत का उपयोग सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक संदर्भों में भी होता है.

हिंदी कहावतों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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