“आप तो मियां हफ्तहजारी, घर में रोवें कर्मों मारी” यह हिंदी कहावत एक विशेष सामाजिक परिस्थिति का वर्णन करती है, जहां पति भोग-विलासिता में जीवन यापन करता है, जबकि उसकी पत्नी घर में कठिनाइयों का सामना करती है।
परिचय: इस कहावत का प्रयोग उन परिस्थितियों में होता है जहां एक पति अपने आराम और सुख-सुविधाओं में डूबा रहता है, लेकिन उसकी पत्नी घरेलू कठिनाइयों और कमियों से जूझती है। यह विषमता और असमानता को दर्शाता है।
अर्थ: कहावत का सार यह है कि जब एक व्यक्ति खुद तो विलासिता में रहता है, लेकिन उसके घर के अन्य सदस्य, विशेषकर उसकी पत्नी, दुख और कष्ट में जीवन यापन करते हैं।
उपयोग: यह कहावत तब प्रयोग की जाती है जब पारिवारिक जीवन में असमानता और एकतरफा सुख-सुविधा की ओर इशारा करना हो।
उदाहरण:
-> मान लीजिए, एक व्यक्ति अपने शौक पर बहुत खर्च करता है, जबकि उसकी पत्नी को घर की मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है।
समापन: “आप तो मियां हफ्तहजारी, घर में रोवें कर्मों मारी” कहावत हमें बताती है कि पारिवारिक जीवन में समानता और संतुलन महत्वपूर्ण है। यह कहावत व्यक्तिगत आराम और विलासिता की खोज में पारिवारिक जिम्मेदारियों की अनदेखी करने की आलोचना करती है।
आप तो मियां हफ्तहजारी, घर में रोवें कर्मों मारी कहावत पर कहानी:
एक बार की बात है, एक छोटे शहर में अभय नाम का एक धनी व्यापारी रहता था। अभय अपने व्यापार में बहुत सफल था और उसके पास दौलत की कोई कमी नहीं थी। वह अक्सर महंगे शौक पूरे करता और अपने दोस्तों के साथ आलीशान होटलों में पार्टियाँ करता।
लेकिन घर की स्थिति बिलकुल अलग थी। अभय की पत्नी, पारुल, घर के कामों में व्यस्त रहती और उन्हें हमेशा पैसे की कमी का सामना करना पड़ता। अभय अपनी पत्नी की इन मुश्किलों से अनजान रहता और अपनी दौलत का उपयोग केवल अपने लिए करता।
एक दिन पारुल ने अभय से कहा, “आप तो मियां हफ्तहजारी, घर में रोवें कर्मों मारी। आप तो अपनी दुनिया में मस्त हैं, लेकिन आपकी इस दुनिया में मेरी कोई जगह नहीं है। मुझे घर चलाने के लिए हमेशा पैसे की कमी महसूस होती है।”
अभय को पारुल की बातों से झटका लगा। उसे एहसास हुआ कि वह अपनी पत्नी की भावनाओं और जरूरतों की उपेक्षा कर रहा था। उसने अपने व्यवहार में बदलाव किया और घर की जिम्मेदारियों में भी बराबरी से हिस्सा लेने लगा।
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि पारिवारिक जीवन में संतुलन और समानता महत्वपूर्ण है। व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं की खोज में किसी की उपेक्षा करना न सिर्फ अनुचित है, बल्कि यह पारिवारिक संबंधों को भी कमजोर करता है।
शायरी:
जीवन में जब खुद की खुशियाँ बनीं रानी,
“आप तो मियां हफ्तहजारी, घर में रोवें कर्मों मारी”।
घर के अंदर जब आँसू की धारा बहती है,
बाहर खुद की दुनिया में, खुशियों की बारात चलती है।
सोने के महल में जब खुद सोते हैं चैन से,
घर की दहलीज पर रोती हैं अरमान वीरान से।
खुद की खुशियों में जब सब कुछ लुटाया है,
घर में फिर क्यों “कर्मों मारी” का दिल दुखाया है।
आलीशान जिंदगी की जब चाहत बढ़ती जाती है,
घर के अंदर की खुशियाँ क्यों मुरझाती जाती हैं।
“आप तो मियां हफ्तहजारी”, ये कहावत याद दिलाती है,
घर की खुशियों का मोल क्या है, यह समझाती है।
आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।
Hindi to English Translation of आप तो मियां हफ्तहजारी, घर में रोवें कर्मों मारी – Aap to miyan hafthazaari, Ghar mein rove karmon mari Proverb:
The Hindi proverb “Aap to miyan hafthazaari, Ghar mein rove karmon mari” describes a specific social situation where the husband lives a life of luxury while his wife faces hardships at home.
Introduction: This proverb is used in situations where a husband enjoys comfort and luxury, while his wife deals with domestic hardships and difficulties. It highlights imbalance and inequality.
Meaning: The essence of this proverb is that when a person indulges in luxury and comfort, especially the husband, while other members of the household, particularly his wife, live a life of sorrow and struggle.
Usage: This proverb is used when referring to inequality and one-sided enjoyment of comforts in family life.
Examples:
-> For instance, imagine a person who spends extravagantly on his own interests while his wife has to struggle to meet the basic household needs.
Conclusion: The proverb “Aap to miyan hafthazaari, Ghar mein rove karmon mari” reminds us of the importance of equality and balance in family life. It criticizes the negligence of familial responsibilities in the pursuit of personal comforts and luxury.
Story of Aap to miyan hafthazaari, Ghar mein rove karmon mari Proverb in English:
Once upon a time, in a small town, there lived a wealthy businessman named Abhay. Abhay was very successful in his business, and he had no shortage of wealth. He often indulged in expensive hobbies and threw parties in luxurious hotels with his friends.
However, the situation at home was entirely different. Abhay’s wife, Parul, was busy with household chores, and she always had to struggle due to a lack of money. Abhay remained oblivious to his wife’s difficulties and used his wealth only for himself.
One day, Parul said to Abhay, “You live a life of luxury, but I suffer from the hardships of household chores. You enjoy your world, but there is no place for me in it. I always feel the financial shortage in running the household.”
Abhay was shocked by Parul’s words. He realized that he had been neglecting his wife’s feelings and needs. He decided to change his behavior and started taking an equal share of responsibilities at home.
This story teaches us the importance of balance and equality in family life. Neglecting someone’s feelings and needs while pursuing personal comforts is not only inappropriate but also weakens family relationships.
I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly
FAQs:
इस कहावत में ‘कर्मों मारी’ का क्या अर्थ है?
यह भाग कहावत का बताता है कि व्यक्ति की असली शक्ति उसके कर्मों में छिपी होती है, और बातचीत में नहीं।
क्या इस कहावत का कोई विशेष संदेश है?
हाँ, इसका संदेश है कि व्यक्ति को अपने कर्मों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए, बाहरी दिखावट से नहीं।
क्या इस कहावत का कोई उदाहरण है?
हाँ, एक उदाहरण है जब कोई व्यक्ति बाहर बड़े व्यापारी के रूप में दिखाई दे, लेकिन उसका व्यापार घर में सफलता नहीं प्राप्त कर पा रहा हो।
क्या इस कहावत का कोई ऐतिहासिक संबंध है?
इसका कोई विशेष ऐतिहासिक संबंध नहीं है, लेकिन यह सामाजिक और नैतिक सिद्धांतों को व्यक्त करता है।
क्या इस कहावत का उपयोग समीक्षा के क्षेत्र में किया जा सकता है?
हाँ, इस कहावत का उपयोग किसी की दिखावटी शक्ति की तुलना में उसकी वास्तविक क्षमता से कर सकते हैं।
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