Budhimaan

Home » Kahavaten » आंखों पर पलकों का बोझ नहीं होता, अर्थ, प्रयोग(Aankhon par palkon ka bojh nahi hota)

आंखों पर पलकों का बोझ नहीं होता, अर्थ, प्रयोग(Aankhon par palkon ka bojh nahi hota)

परिचय: “आंखों पर पलकों का बोझ नहीं होता” यह हिंदी कहावत जीवन के एक गहरे सत्य को उजागर करती है। यह कहावत हमें यह सिखाती है कि जीवन में जो चीजें हमारे निकट होती हैं, वे हमें कभी बोझ नहीं लगतीं, चाहे वे कितनी भी महत्वपूर्ण क्यों न हों।

अर्थ: इस कहावत का मतलब है कि हमारे जीवन में जो लोग या चीजें हमारे सबसे करीब होती हैं, वे हमें कभी बोझ नहीं लगतीं। ठीक वैसे ही, जैसे आंखों पर पलकें होते हुए भी, हमें उनका भार महसूस नहीं होता।

उपयोग: यह कहावत तब उपयोगी होती है जब हमें यह समझाना हो कि हमें अपने निकटस्थ और प्रिय लोगों की कद्र करनी चाहिए और उन्हें बोझ समझने की भूल नहीं करनी चाहिए।

उदाहरण:

-> मान लीजिए एक व्यक्ति अपने परिवार और दोस्तों की उपेक्षा करता है, क्योंकि वह उन्हें अपनी सफलता की राह में बाधा मानता है। लेकिन, जब वह मुश्किल में होता है, तब उसे उनकी अहमियत का एहसास होता है।

समापन: इस कहावत के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में हमारे निकटस्थ लोग और चीजें ही हमारी सबसे बड़ी ताकत होती हैं। उन्हें हमें कभी बोझ नहीं समझना चाहिए, बल्कि उनकी कद्र करनी चाहिए। ये वही चीजें हैं जो हमें जीवन में संबल प्रदान करती हैं।

Hindi Muhavare Quiz

आंखों पर पलकों का बोझ नहीं होता कहावत पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में अभय नाम का एक युवक रहता था। अभय को बचपन से ही पेड़ों और पौधों से बहुत लगाव था। उसका अपना एक छोटा सा बगीचा था, जिसमें वह रोज़ाना समय बिताता और पौधों की देखभाल करता।

जैसे-जैसे अभय बड़ा हुआ, उसकी आकांक्षाएं भी बड़ी होती गईं। वह शहर जाकर बड़ा आदमी बनना चाहता था। एक दिन, अभय ने अपना गांव और अपना प्रिय बगीचा छोड़कर शहर की ओर रुख किया। शहर में उसने एक बड़ी कंपनी में नौकरी कर ली और जीवन की तेज़ रफ्तार में खो गया।

कुछ सालों बाद, अभय ने पाया कि वह शहर की भागदौड़ में खुश नहीं है। उसे अपने गांव की याद सताने लगी, खासकर उसके बगीचे की। वह सोचने लगा कि उसने अपनी खुशियों का पीछा करने के चक्कर में अपने सच्चे सुख को छोड़ दिया था।

एक दिन, वह अपने गांव वापस लौटा और अपने बगीचे में गया। वहां पहुंचकर उसे एहसास हुआ कि वह जो सुख और शांति ढूंढ रहा था, वह तो हमेशा उसके बगीचे में ही थी। उसने महसूस किया कि “आंखों पर पलकों का बोझ नहीं होता” यानी जीवन के सच्चे सुख अक्सर हमारे बहुत करीब होते हैं, लेकिन हम उन्हें पहचान नहीं पाते।

अभय ने फिर से अपने बगीचे की देखभाल शुरू की और वहीं अपनी खुशियां खोजने लगा। उसने सीखा कि जीवन में सच्चे सुख की तलाश में हमें दूर नहीं जाना पड़ता, वे अक्सर हमारे आसपास ही होते हैं।

शायरी:

आंखों के सामने पलकों का ना कोई वज़न,

यूँ ही हैं जिंदगी में, नज़दीकियों का गहन।

खोजते हैं हम दूर खुशियों के मकान,

जबकि खुशियाँ होती हैं, अपनों के आसपास।

आसमान की ऊँचाइयों में, चाँद सितारों का शोर,

भूल जाते हैं हम, नज़दीक जो धरती की भोर।

सपने देखें जितने भी, उड़ान भरें चाहे दूर,

पर सुकून मिलता है, घर की चौखट पर पूर।

ये दुनिया कहती है, ढूंढो खुशियां जहां तक,

अक्सर भूल जाते हैं, साथ अपनों का जो बेहद ख़ास।

आंखों पर पलकों का, ना होता कभी बोझ,

यही सिखाता है जीवन, प्यार करो जिनसे, वो होते सबसे ख़ास।

 

आंखों पर पलकों का बोझ नहीं होता शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of आंखों पर पलकों का बोझ नहीं होता – Aankhon par palkon ka bojh nahi hota Proverb:

Introduction: The Hindi proverb “Aankhon par palkon ka bojh nahi hota” (The eyelids are not a burden on the eyes) highlights a profound truth of life. This proverb teaches us that things closest to us in life never feel like a burden, no matter how significant they may be.

Meaning: The meaning of this proverb is that the people or things closest to our lives never feel like a burden. Just like eyelids on the eyes, which, despite their importance, never feel heavy.

Usage: This proverb is useful when we need to remind someone to appreciate and value their closest and dearest people and not mistakenly consider them a burden.

Examples:

-> For instance, a person neglects their family and friends, thinking of them as obstacles to their success. However, when they face difficulties, they realize the importance of these close relationships.

Conclusion: Through this proverb, we learn that the people and things closest to us in life are our greatest strengths. We should never perceive them as burdens but value them. They are the very elements that provide us with support and strength in life.

Story of Aankhon par palkon ka bojh nahi hota Proverb in English:

Once upon a time, in a small village, there lived a young man named Abhay. Abhay had a deep affection for trees and plants since his childhood. He had his own small garden where he spent time daily, caring for the plants.

As Abhay grew older, his ambitions grew too. He wanted to move to the city and become a successful man. One day, Abhay left his village and his beloved garden to head towards the city. He got a job in a big company and got lost in the fast pace of city life.

Years later, Abhay realized he was not happy in the hustle and bustle of the city. He started missing his village, especially his garden. He thought about how, in the pursuit of happiness, he had left behind his true joy.

One day, he returned to his village and visited his garden. There, he realized that the peace and happiness he was seeking were always there in his garden. He understood the meaning of “आंखों पर पलकों का बोझ नहीं होता” – true joys of life are often very close to us, yet we fail to recognize them.

Abhay resumed taking care of his garden and began finding his happiness there. He learned that in searching for true happiness in life, we don’t need to go far; it’s often around us.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस कहावत में आत्मसमर्पण का संकेत है?

हाँ, इसमें आत्मसमर्पण और स्वीकृति की भावना है क्योंकि व्यक्ति को अपनी गलतियों को स्वीकार करना चाहिए।

आंखों पर पलकों का बोझ नहीं होने का संकेत क्या हो सकता है?

इस संकेत से तात्पर्य है कि किसी को अपनी गलतियों और दोषों के प्रति अवगुण नहीं होना चाहिए।

इस कहावत का उपयोग किस परिस्थिति में किया जा सकता है?

इस कहावत का उपयोग किसी व्यक्ति के अपने गुणों और दोषों को स्पष्टता से पहचानने के लिए किया जा सकता है।

आंखों पर पलकों का बोझ नहीं होने का अर्थ क्या है?

इसका अर्थ है कि हमें अपने कार्यों और निर्णयों के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए और उनके परिणामों को स्वीकारना चाहिए।

क्या इस कहावत का कोई ऐतिहासिक प्रसंग है?

इस कहावत का कोई विशेष ऐतिहासिक प्रसंग नहीं है, यह एक सामान्य जीवन की सीख है।

हिंदी कहावतों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

टिप्पणी करे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Budhimaan Team

Budhimaan Team

हर एक लेख बुधिमान की अनुभवी और समर्पित टीम द्वारा सोख समझकर और विस्तार से लिखा और समीक्षित किया जाता है। हमारी टीम में शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञ और अनुभवी शिक्षक शामिल हैं, जिन्होंने विद्यार्थियों को शिक्षा देने में वर्षों का समय बिताया है। हम सुनिश्चित करते हैं कि आपको हमेशा सटीक, विश्वसनीय और उपयोगी जानकारी मिले।

संबंधित पोस्ट

"गुरु और शिष्य की अद्भुत कहानी", "गुरु गुड़ से चेला शक्कर की यात्रा", "Budhimaan.com पर गुरु-शिष्य की प्रेरणादायक कहानी", "हिन्दी मुहावरे का विश्लेषण और अर्थ"
Hindi Muhavare

गुरु गुड़ ही रहा, चेला शक्कर हो गया अर्थ, प्रयोग (Guru gud hi raha, chela shakkar ho gya)

परिचय: “गुरु गुड़ ही रहा, चेला शक्कर हो गया” यह हिन्दी मुहावरा शिक्षा और गुरु-शिष्य के संबंधों की गहराई को दर्शाता है। यह बताता है

Read More »
"गुड़ और मक्खियों का चित्रण", "सफलता के प्रतीक के रूप में गुड़", "Budhimaan.com पर मुहावरे का सार", "ईर्ष्या को दर्शाती तस्वीर"
Hindi Muhavare

गुड़ होगा तो मक्खियाँ भी आएँगी अर्थ, प्रयोग (Gud hoga to makkhiyan bhi aayengi)

परिचय: “गुड़ होगा तो मक्खियाँ भी आएँगी” यह हिन्दी मुहावरा जीवन के एक महत्वपूर्ण सत्य को उजागर करता है। यह व्यक्त करता है कि जहाँ

Read More »
"गुरु से कपट मित्र से चोरी मुहावरे का चित्रण", "नैतिकता और चरित्र की शुद्धता की कहानी", "Budhimaan.com पर नैतिकता की महत्वता", "हिन्दी साहित्य में नैतिक शिक्षा"
Hindi Muhavare

गुरु से कपट मित्र से चोरी या हो निर्धन या हो कोढ़ी अर्थ, प्रयोग (Guru se kapat mitra se chori ya ho nirdhan ya ho kodhi)

परिचय: “गुरु से कपट, मित्र से चोरी, या हो निर्धन, या हो कोढ़ी” यह हिन्दी मुहावरा नैतिकता और चरित्र की शुद्धता पर जोर देता है।

Read More »
"गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे मुहावरे का चित्रण", "मानवीय संवेदनशीलता को दर्शाती छवि", "Budhimaan.com पर सहयोग की भावना", "हिन्दी मुहावरे का विश्लेषण"
Hindi Muhavare

गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे अर्थ, प्रयोग (Gud na de to gud ki-si baat to kare)

परिचय: “गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे” यह हिन्दी मुहावरा उस स्थिति को व्यक्त करता है जब कोई व्यक्ति यदि किसी चीज़

Read More »
"गुड़ खाय गुलगुले से परहेज मुहावरे का चित्रण", "हिन्दी विरोधाभासी व्यवहार इमेज", "Budhimaan.com पर मुहावरे की समझ", "जीवन से सीखने के लिए मुहावरे का उपयोग"
Hindi Muhavare

गुड़ खाय गुलगुले से परहेज अर्थ, प्रयोग (Gud khaye gulgule se parhej)

परिचय: “गुड़ खाय गुलगुले से परहेज” यह हिन्दी मुहावरा उन परिस्थितियों का वर्णन करता है जहां व्यक्ति एक विशेष प्रकार की चीज़ का सेवन करता

Read More »
"खूब मिलाई जोड़ी इडियम का चित्रण", "हिन्दी मुहावरे एक अंधा एक कोढ़ी का अर्थ", "जीवन की शिक्षा देते मुहावरे", "Budhimaan.com पर प्रकाशित मुहावरे की व्याख्या"
Hindi Muhavare

खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी अर्थ, प्रयोग (Khoob milai jodi, Ek andha ek kodhi)

खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी, यह एक प्रसिद्ध हिन्दी मुहावरा है जिसका प्रयोग अक्सर उन परिस्थितियों में किया जाता है जहां दो व्यक्ति

Read More »

आजमाएं अपना ज्ञान!​

बुद्धिमान की इंटरैक्टिव क्विज़ श्रृंखला, शैक्षिक विशेषज्ञों के सहयोग से बनाई गई, आपको भारत के इतिहास और संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने ज्ञान को जांचने का अवसर देती है। पता लगाएं कि आप भारत की विविधता और समृद्धि को कितना समझते हैं।