परिचय: “आंखों के आगे पलकों की बुराई” यह हिंदी कहावत उन परिस्थितियों का वर्णन करती है जब हम अपने निकटतम और महत्वपूर्ण चीजों का महत्व नहीं समझते, बल्कि उनकी आलोचना करते हैं।
अर्थ: इस कहावत का अर्थ है कि कई बार हम अपने सबसे करीबी और महत्वपूर्ण संबंधों या चीजों की कद्र नहीं करते हैं। जैसे पलकें आंखों की सुरक्षा करती हैं, परंतु हम उनके महत्व को अक्सर अनदेखा कर देते हैं।
उपयोग: यह कहावत तब प्रयोग की जाती है जब हमें किसी को यह समझाना हो कि वे अपने निकटस्थ व्यक्तियों या चीजों की अहमियत को न समझकर उनकी अवहेलना कर रहे हैं।
उदाहरण:
-> एक व्यापारी जो अपने व्यावसायिक सफलता के लिए परिवार और दोस्तों को उपेक्षित करता है, लेकिन जब वह मुश्किल में होता है, तो उसे अपने परिवार और दोस्तों की अहमियत का एहसास होता है। यहां, “आंखों के आगे पलकों की बुराई” कहावत उसके व्यवहार को सटीक रूप से व्यक्त करती है।
समापन: इस कहावत से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अपने आसपास के लोगों और चीजों की कद्र करनी चाहिए। यह हमें याद दिलाती है कि जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीजें अक्सर हमारे बहुत निकट होती हैं, और हमें उनका मूल्य समझना चाहिए।
आंखों के आगे पलकों की बुराई कहावत पर कहानी:
एक समय की बात है, एक छोटे शहर में विशाल नाम का एक व्यापारी रहता था। विशाल एक सफल व्यवसायी था, लेकिन उसकी सफलता का श्रेय उसके सख्त और नियंत्रित व्यवहार को जाता था। वह अपने कर्मचारियों पर बहुत सख्त था और उन्हें कभी भी सराहना नहीं देता था।
विशाल के व्यवसाय में एक विशेष कर्मचारी था, अनुभव। अनुभव विशाल के व्यवसाय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। वह हमेशा समय पर काम पर आता था, अपना काम बड़े जतन से करता था और विशाल के लिए बहुत से अच्छे विचार लाता था। लेकिन, विशाल ने कभी अनुभव की सराहना नहीं की, बल्कि हमेशा उसे और अधिक काम करने के लिए कहता था।
एक दिन अनुभव ने विशाल के साथ बैठकर अपने विचारों को साझा किया, जिससे व्यवसाय को और अधिक लाभ हो सकता था। लेकिन विशाल ने उसकी एक भी बात नहीं सुनी और उसे और काम में लगा दिया।
कुछ समय बाद, अनुभव ने विशाल की कंपनी छोड़ दी और अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर दिया। उसके जाने के बाद, विशाल को अनुभव की अहमियत का एहसास हुआ। उसे समझ में आया कि अनुभव उसके व्यवसाय की पलकों की तरह था – हमेशा सुरक्षा प्रदान करता था, लेकिन उसकी कभी सराहना नहीं की गई।
इस कहानी से “आंखों के आगे पलकों की बुराई” कहावत का अर्थ स्पष्ट होता है। यह दर्शाती है कि हम अक्सर अपने निकटतम और महत्वपूर्ण चीजों की कद्र नहीं करते हैं और उनका महत्व तब समझते हैं जब वे हमसे दूर चली जाती हैं।
शायरी:
आंखों के सामने हैं पलकें, पर इनकी कद्र नहीं,
जैसे खो देते हैं हम, अपनी जिंदगी की ज़मीन।
दिखती नहीं हैं अक्सर, जो होती बहुत करीब,
ये पलकें ही तो बचाती हैं, हर आंख को अजीब।
कद्र करो उनकी, जो साथ हैं हर पल,
जिनके बिना जिंदगी हो जाती है कमहल।
आँखों के आगे जो पलकों की बुराई करते,
वो नहीं जानते, इनकी छाँव में कितने प्यार भरते।
जीवन में जो हैं पास, उनकी अहमियत समझो,
अनमोल हैं ये रिश्ते, इनकी कीमत पहचानो।
आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।
Hindi to English Translation of आंखों के आगे पलकों की बुराई – Aakhon ke aage palkon ki burai Proverb:
Introduction: “Aakhon ke aage palkon ki burai” is a Hindi proverb that describes situations where we fail to recognize the importance of our nearest and dearest things or relationships, but instead criticize them.
Meaning: The proverb means that often we don’t appreciate our closest and most significant relationships or things. Like eyelashes protect the eyes, but we often overlook their importance.
Usage: This proverb is used when we need to explain to someone that they are neglecting and undervaluing their closest people or things.
Examples:
-> Consider a businessman who neglects his family and friends for his professional success, but when he faces difficulty, he realizes the importance of his family and friends. Here, “Aakhon ke aage palkon ki burai” aptly describes his behavior.
Conclusion: This proverb teaches us the importance of valuing the people and things around us. It reminds us that the most important things in life are often very close to us, and we should recognize their value.
Story of Aakhon ke aage palkon ki burai Proverb in English:
Once upon a time in a small town, there was a businessman named Vishal. Vishal was successful, but his success was attributed to his strict and controlled behavior. He was very harsh with his employees and never appreciated them.
In Vishal’s business, there was a special employee named Anubhav. Anubhav was an integral part of Vishal’s business. He always arrived at work on time, performed his duties diligently, and brought many good ideas for Vishal. However, Vishal never appreciated Anubhav, always pushing him to work more.
One day, Anubhav shared his ideas with Vishal in a meeting, which could have greatly benefited the business. But Vishal didn’t listen to him and burdened him with more work.
Eventually, Anubhav left Vishal’s company and started his own business. After his departure, Vishal realized Anubhav’s importance. He understood that Anubhav was like the eyelashes of his business – always providing protection, but never appreciated.
This story illustrates the meaning of the proverb “Aakhon ke aage palkon ki burai”. It shows that we often fail to appreciate our closest and most important things and realize their value only when they are gone.
I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly
FAQs:
आंखों के आगे पलकों की बुराई” का अर्थ क्या है?
इस कहावत का मतलब है कि कभी-कभी हम अपनी स्थिति या समस्याओं को सही तरीके से समझने में असमर्थ हो सकते हैं।
कहावत में ‘आंखों के आगे’ का मतलब क्या है?
आंखों के आगे’ का अर्थ है वह चीजें जो हमारी दृष्टि के भीतर होती हैं, यानी हमारी नजरों के सामने।
इस कहावत का उपयोग किस स्थिति में किया जा सकता है?
यह कहावत उस समय का विवेचन करने के लिए है जब हम किसी चीज को सही से समझ नहीं पा रहे होते हैं, क्योंकि हम उससे बाहर होते हैं।
क्या इस कहावत में किसी विशेष साइनिफिकेंस है?
हाँ, यह कहावत हमें यह सिखाती है कि हमें अपनी दृष्टि को बढ़ावा देना चाहिए ताकि हम चीजों को सही से देख सकें।
क्या यह कहावत केवल दृष्टि संबंधित है या इसमें कोई अन्य अर्थ भी हैं?
इसमें दृष्टि के अलावा भी अन्य अर्थ हो सकते हैं, जैसे कि सही समझने की क्षमता और उचित तरीके से समझने की क्षमता।
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