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आग लागंते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ, अर्थ, प्रयोग (Aag langte jhopda, Jo nikle so labh)

परिचय: “आग लागंते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ” यह हिंदी की एक प्रचलित कहावत है, जिसका अर्थ है कि जब बड़ी हानि हो जाती है, तो जो भी बचता है, उसे लाभ मानना चाहिए।

अर्थ: इस कहावत का शाब्दिक अर्थ है कि जब एक झोपड़ी में आग लग जाती है, तो जो कुछ भी उस आग से बच कर निकलता है, वह लाभ माना जाता है। यहाँ, ‘आग’ हानि का प्रतीक है और ‘बचना’ उस हानि से जो कुछ भी शेष रह जाता है, उसका।

उपयोग: इस कहावत का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी विपदा या हानि के समय में जो कुछ भी बचा हो, उसके प्रति आभार और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की बात की जाती है।

उदाहरण:

-> मान लीजिए, एक व्यापारी का गोदाम आग से जल जाता है और उसमें से कुछ सामान ही बच पाता है। ऐसी स्थिति में, व्यापारी यह कह सकता है, “आग लागंते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ”, यानी जो कुछ भी बच गया है, उसे वह अपना लाभ मानता है।

समापन: इस प्रकार, “आग लागंते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ” कहावत हमें यह सिखाती है कि जीवन में जब भी कोई बड़ी हानि हो, तो हमें उसमें से जो भी बचता है, उसे अपना लाभ मानना चाहिए। यह कहावत हमें सिखाती है कि हर परिस्थिति में सकारात्मकता और आभार का भाव रखना चाहिए।

Hindi Muhavare Quiz

आग लागंते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ कहावत पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे से शहर में सुधीर नाम का एक व्यापारी रहता था। सुधीर का व्यापार बहुत ही अच्छा चल रहा था, और उसका एक बड़ा गोदाम भी था, जहाँ वह अपना सारा माल संग्रहित करता था।

एक रात, अचानक सुधीर के गोदाम में आग लग गई। आग इतनी भयानक थी कि कुछ ही समय में पूरा गोदाम जलकर खाक हो गया। सुधीर ने देखा कि उसके वर्षों की मेहनत और निवेश का सब कुछ नष्ट हो गया है। वह बहुत निराश हुआ।

लेकिन जब आग बुझी, तो उसने पाया कि गोदाम के एक कोने में रखा कुछ माल सुरक्षित बच गया था। सुधीर ने सोचा, “आग लागंते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ”। उसने उस बचे हुए माल को देखकर आभार महसूस किया और फिर से अपना व्यापार खड़ा करने की ठानी।

सुधीर ने धीरे-धीरे उस बचे हुए माल से अपना व्यापार फिर से शुरू किया। उसका व्यापार फिर से फलने-फूलने लगा और वह पहले से भी ज्यादा सफल हो गया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में जब भी कोई बड़ी आपदा आती है, तो हमें उसमें से जो भी बचता है, उसे अपना लाभ मानना चाहिए। “आग लागंते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ” कहावत हमें यह शिक्षा देती है कि हर परिस्थिति में सकारात्मकता और आभार का भाव रखना चाहिए।

शायरी:

जब ज़िन्दगी में आये आंधी या तूफान,
तब समझो जीवन का असली ईमान।
“आग लागंते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ”,
यही सिखाता है, जीवन का हर एक हिसाब।

कभी कभी जब सब कुछ लगे हारा,
तब याद रखना, छोटा सा दिया भी होता उजाला।
जो बचा वो ही तो है असली खजाना,
“आग लागंते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ”, यही है जिंदगी का तराना।

आँसू में भी छिपा होता है मुस्कान का राज,
जीवन के हर पल में होता है एक अंदाज।
आग लगे तो भी न खोया करें आस,
“आग लागंते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ”, यही है जीवन की आवाज।

हर खोने में भी होती है कुछ पाने की बात,
जो बचा वो ही तो है जीवन की सौगात।
“आग लागंते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ”, यही है सच्चाई की सौगात।

 

आग लागंते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of आग लागंते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ – Aag langte jhopda, Jo nikle so labh Proverb:

Introduction: “Aag langte jhopda, Jo nikle so labh” is a prevalent Hindi proverb, meaning that when a significant loss occurs, whatever is left should be considered a gain.

Meaning: The literal meaning of this proverb is that when a hut catches fire, whatever survives the fire is considered a gain. Here, ‘fire’ symbolizes loss, and ‘survival’ represents whatever remains after the loss.

Usage: This proverb is used when expressing gratitude and a positive attitude towards whatever remains after a disaster or loss.

Examples:

-> Suppose a merchant’s warehouse catches fire, and only some goods are saved. In this situation, the merchant can say, “Aag langte jhopda, Jo nikle so labh,” meaning he considers whatever is saved as his gain.

Conclusion: Thus, the proverb “Aag langte jhopda, Jo nikle so labh” teaches us that in life, whenever there is a significant loss, we should consider whatever is left as our gain. This proverb instructs us to maintain a positive and grateful attitude in every situation.

Story of Aag langte jhopda, Jo nikle so labh Proverb in English:

Once upon a time, in a small town, there lived a merchant named Sudhir. Sudhir’s business was doing very well, and he had a large warehouse where he stored all his goods.

One night, suddenly, a fire broke out in Sudhir’s warehouse. The fire was so fierce that in a short time, the entire warehouse was reduced to ashes. Sudhir saw that everything he had worked for and invested in over the years was destroyed. He was deeply disheartened.

However, when the fire was extinguished, he found that some goods stored in a corner of the warehouse had survived. Sudhir thought, “आग लागंते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ” (When the hut catches fire, whatever comes out is a profit). He felt grateful for the goods that were saved and decided to rebuild his business.

Gradually, Sudhir restarted his business with the saved goods. His business began to flourish again and he became even more successful than before.

This story teaches us that in life, whenever a major disaster strikes, we should consider whatever is left as our gain. The proverb “आग लागंते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ” educates us to maintain a positive and grateful attitude in every situation.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

FAQs:

इस कहावत का संबंध किन जीवन के पहलुओं से है?

इस कहावत का संबंध जीवन के उन पहलुओं से है जहां विपत्ति या संकट के समय छोटी-छोटी उपलब्धियां या सकारात्मक परिणाम भी महत्वपूर्ण होते हैं।

क्या यह कहावत आशावाद की भावना को दर्शाती है?

हाँ, इस कहावत में आशावाद की भावना होती है, क्योंकि यह यह दर्शाती है कि संकट के समय भी छोटी सी उपलब्धि या सकारात्मक परिणाम महत्वपूर्ण होता है।

क्या इस कहावत का उपयोग केवल नकारात्मक परिस्थितियों में ही किया जाता है?

इस कहावत का उपयोग मुख्य रूप से नकारात्मक या संकटपूर्ण परिस्थितियों में किया जाता है, लेकिन यह आमतौर पर आशावाद और सकारात्मकता के संदर्भ में भी लागू होता है।

क्या इस कहावत में निहित दृष्टिकोण आधुनिक जीवन में प्रासंगिक है?

हाँ, इस कहावत में निहित दृष्टिकोण आधुनिक जीवन में भी प्रासंगिक है, क्योंकि यह हमें संकट के समय सकारात्मकता और आशा की महत्वपूर्णता की याद दिलाता है।

इस कहावत को जीवन की किन अन्य उक्तियों या कहावतों के साथ तुलना की जा सकती है?

इस कहावत की तुलना “नेकी कर दरिया में डाल” या “बूंद-बूंद से सागर भरता है” जैसी कहावतों के साथ की जा सकती है, जो छोटी-छोटी सकारात्मक क्रियाओं या उपलब्धियों के महत्व को दर्शाती हैं।

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