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उत्तम खेती मध्यम बान, निकृष्ट चाकरी भीख निदान अर्थ, प्रयोग (Uttam kheti madhaym baan, Nikrasht chakri bheekh nidan)

परिचय: “उत्तम खेती मध्यम बान, निकृष्ट चाकरी भीख निदान” एक प्राचीन हिंदी मुहावरा है जो विभिन्न पेशों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति की तुलना करता है। यह मुहावरा जीविका के विभिन्न साधनों को महत्व के क्रम में रखता है।

अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है कि खेती करना सबसे उत्तम काम है, व्यापार (बान) करना मध्यम है, नौकरी करना निकृष्ट है, और भीख मांगना सबसे निचले स्तर का काम है। इसके माध्यम से, स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता को सर्वोच्च महत्व दिया जाता है।

प्रयोग: यह मुहावरा अक्सर लोगों को खेती और स्वावलंबन के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह युवाओं को स्वयं के व्यवसाय या खेती की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करता है, जबकि नौकरी या भीख मांगने की मानसिकता से दूर रहने का संदेश देता है।

उदाहरण:

एक गाँव में रहने वाले राम ने खेती करके अपनी जीविका चलाई और समृद्धि प्राप्त की। उसके पड़ोसी श्याम ने व्यापार किया और मध्यम स्तर की समृद्धि प्राप्त की। एक अन्य गाँववाला, अनुभव, ने नौकरी की और जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया। और गाँव के एक अन्य व्यक्ति ने भीख मांगकर अपना जीवन बिताया, जिसे समाज में सबसे निम्न माना गया।

निष्कर्ष: “उत्तम खेती मध्यम बान, निकृष्ट चाकरी भीख निदान” मुहावरा हमें सिखाता है कि आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन ही जीवन में सच्ची समृद्धि और संतोष की कुंजी हैं। यह हमें अपने स्वयं के व्यवसाय या खेती की ओर अग्रसर होने के महत्व को समझाता है, ताकि हम एक समृद्ध और संतुष्ट जीवन जी सकें।

उत्तम खेती मध्यम बान, निकृष्ट चाकरी भीख निदान मुहावरा पर कहानी:

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में चार दोस्त रहते थे – अखिल, विशाल, विकास और अनुभव। चारों अपने-अपने जीवन की दिशा तलाश रहे थे।

अखिल ने खेती करने का निर्णय लिया। उसने अपनी जमीन पर मेहनत से काम किया और धीरे-धीरे उसकी फसलें लहलहाने लगीं। वह अपने उत्पादों को बाजार में बेचकर अच्छी कमाई करने लगा।

विशाल ने व्यापार करने का विचार किया। वह अनाज और अन्य सामग्री को थोक में खरीदकर उन्हें उचित मूल्य पर बेचता। उसका व्यवसाय भी धीरे-धीरे फलने-फूलने लगा।

विकास ने नौकरी करने का फैसला किया। वह एक स्थानीय व्यापारी के यहाँ नौकरी करने लगा। उसे काम में खुशी तो मिली, लेकिन वह हमेशा अपने मालिक के निर्देशों का पालन करता था और अपनी इच्छाओं के अनुसार जीवन नहीं जी पा रहा था।

अनुभव ने कोई काम नहीं करने का चुनाव किया। वह गाँव में भीख माँगने लगा। उसका जीवन कठिनाईयों और असम्मान से भरा था।

समय के साथ, अखिल की खेती फली-फूली और उसने समृद्धि प्राप्त की। विशाल का व्यापार भी अच्छा चला लेकिन उसे अखिल जितनी सफलता नहीं मिली। विकास नौकरी में बंधा रहा और अनुभव का जीवन दुःख और अभाव में बीता।

इस कहानी के माध्यम से “उत्तम खेती मध्यम बान, निकृष्ट चाकरी भीख निदान” मुहावरे का संदेश स्पष्ट होता है। यह बताता है कि स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता से ही जीवन में सच्ची समृद्धि और संतोष मिलता है। नौकरी और भीख मांगने के जीवन से अधिक, खेती और व्यापार जैसे स्वतंत्र पेशे को अपनाना चाहिए।

शायरी:

खेती से मिले सुख की बहार, व्यापार में भी है कुछ प्यार,
नौकरी बनी रहती बंधन की दीवार, भीख में छुपा जीवन का अंधकार।

उत्तम खेती, जहाँ खुद की मेहनत का संगीत,
मध्यम बान, जहाँ खुद के सपनों की परिपाटी।

निकृष्ट चाकरी, जहाँ खुद की मर्जी की होती है हार,
भीख निदान, जीवन का वो पथ, जो है सबसे दुष्कर।

जीवन की इस दौड़ में, खुद का मार्ग चुनना है आसान नहीं,
पर खेती और बान में ही सच्ची समृद्धि, ये बात है माननी।

हर कदम पर अपनी मेहनत का दीप जलाना,
जीवन के इस मंच पर, खुद को सच्चा सिद्ध कर जाना।

चलो चुनें वो राह, जो ले चले हमें आत्मनिर्भरता की ओर,
“उत्तम खेती मध्यम बान, निकृष्ट चाकरी भीख निदान”, जीवन का यही है सबसे सुंदर शोर।

 

उत्तम खेती मध्यम बान, निकृष्ट चाकरी भीख निदान शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of उत्तम खेती मध्यम बान, निकृष्ट चाकरी भीख निदान – Uttam kheti madhaym baan, Nikrasht chakri bheekh nidan Idiom:

Introduction: “Uttam kheti madhaym baan, Nikrasht chakri bheekh nidan” is an ancient Hindi idiom that compares the social and economic status of various professions. This idiom ranks different means of livelihood in order of importance.

Meaning: The meaning of this idiom is that farming is considered the best work, trade (business) is moderate, servitude (job) is inferior, and begging is regarded as the lowest level of work. Through this, self-reliance and self-sufficiency are given utmost importance.

Usage: This idiom is often used to encourage people towards farming and self-reliance. It motivates the youth to lean towards their own business or agriculture, while conveying the message to stay away from the mentality of job-seeking or begging.

Example:

In a village, Ram earned his living and achieved prosperity through farming. His neighbor, Shyam, engaged in trade and attained moderate wealth. Another villager, Anubhav, took up a job and faced many challenges in life. And another individual in the village spent his life begging, which was considered the lowest in society.

Conclusion: The idiom “Uttam kheti madhaym baan, Nikrasht chakri bheekh nidan” teaches us that self-reliance and self-sufficiency are the keys to true wealth and contentment in life. It emphasizes the importance of advancing towards our own business or agriculture to lead a prosperous and satisfying life.

Story of ‌‌Uttam kheti madhaym baan, Nikrasht chakri bheekh nidan Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, there lived four friends – Akhil, Vishal, Vikas, and Anubhav. Each was searching for their direction in life.

Akhil decided to take up farming. He worked hard on his land, and gradually, his crops began to flourish. He started earning well by selling his produce in the market.

Vishal thought of engaging in business. He bought grains and other materials in bulk and sold them at a fair price. His business too began to grow steadily.

Vikas chose to do a job. He started working for a local merchant. He found happiness in his work, but he was always following his employer’s instructions and couldn’t live life according to his own desires.

Anubhav chose not to work at all. He started begging in the village. His life was filled with difficulties and disrespect.

Over time, Akhil’s farming prospered, and he attained wealth. Vishal’s business also did well but didn’t achieve as much success as Akhil. Vikas remained tied to his job, and Anubhav’s life was spent in sorrow and scarcity.

This story clearly conveys the message of the idiom “The best is farming, moderate is trade, inferior is servitude, and the worst is begging.” It tells us that true wealth and contentment in life come from self-reliance and self-sufficiency. One should prefer independent professions like farming and business over a life of servitude or begging.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

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