“उधेड़-बुन में रहना” यह एक सामान्य हिंदी मुहावरा है, जिसका प्रयोग अक्सर उस स्थिति को व्यक्त करने के लिए होता है जब कोई व्यक्ति अत्यधिक सोच-विचार में डूबा रहता है या अनिश्चितता में फंसा हुआ होता है।
परिचय: यह मुहावरा उन परिस्थितियों में प्रयोग होता है जब किसी को निर्णय लेने में कठिनाई होती है, और वह विचारों के जाल में उलझा रहता है। “उधेड़-बुन में रहना” का अर्थ है किसी समस्या या परिस्थिति को बार-बार सोचते रहना।
अर्थ: इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है किसी चीज़ को बार-बार उधेड़ना और बुनना, यानी बार-बार विचार करना। यह व्यक्ति के अंतर्मन की उस अवस्था का वर्णन करता है जहाँ वह निरंतर सोच-विचार में लगा रहता है।
प्रयोग: इस मुहावरे का उपयोग तब होता है जब किसी को अपने विचारों और चिंताओं में अत्यधिक डूबा हुआ दिखाना हो। यह अक्सर अनिर्णय की स्थिति को दर्शाता है।
उदाहरण:
मान लीजिए, एक व्यापारी को नए व्यवसाय के अवसर पर निर्णय लेना है, लेकिन वह संभावित जोखिमों को लेकर चिंतित है। इसलिए वह हमेशा “उधेड़-बुन में रहता है”।
निष्कर्ष: “उधेड़-बुन में रहना” मुहावरे का महत्व यह है कि यह हमें सिखाता है कि अत्यधिक सोच-विचार भी कभी-कभी हमें एक ही स्थान पर रोक देता है। इसलिए, हमें सोच-विचार के साथ-साथ कार्रवाई में भी संतुलन बनाकर चलना चाहिए। यह मुहावरा हमें यह भी सिखाता है कि निर्णय लेने में दृढ़ता और स्पष्टता आवश्यक है।
उधेड़-बुन में रहना मुहावरा पर कहानी:
एक शहर में सुभाष नामक एक युवक रहता था। सुभाष एक प्रतिभाशाली लेकिन अत्यंत सोच-विचार में डूबा रहने वाला व्यक्ति था। उसे अपने जीवन के हर पहलू में सही निर्णय लेने की चिंता सताती रहती थी।
एक दिन सुभाष को अपनी कंपनी से दो अलग-अलग शहरों में नौकरी के लिए दो ऑफर मिले। एक ऑफर उसके गृहनगर में था और दूसरा एक महानगर में। गृहनगर की नौकरी में सुरक्षा और परिवार का साथ था, जबकि महानगर की नौकरी में अधिक वेतन और करियर के बेहतर अवसर।
सुभाष इस निर्णय पर पहुंचने में बहुत ज्यादा “उधेड़-बुन” में फंस गया। वह रात-दिन इस बात पर सोचता रहा कि कौन सा ऑफर चुने। उसकी इस उधेड़-बुन की वजह से उसे नींद नहीं आती थी और वह अशांत रहने लगा।
आखिरकार, उसके एक मित्र ने उसे सलाह दी कि वह एक सूची बनाए और प्रत्येक ऑफर के पक्ष और विपक्ष को तौले। सुभाष ने ऐसा ही किया और अंत में उसने महानगर की नौकरी को चुना।
इस अनुभव से सुभाष को समझ में आया कि जीवन में “उधेड़-बुन” में फंसे रहने के बजाय ठोस और तार्किक तरीके से निर्णय लेना ज्यादा उत्तम है। उसने सीखा कि किसी भी समस्या का हल निकालने के लिए धैर्य और विचारशीलता जरूरी है।
और इस तरह, सुभाष ने “उधेड़-बुन में रहना” के मुहावरे का वास्तविक अर्थ समझा और अपने जीवन में उतारा।
शायरी:
उधेड़-बुन की राहों में, खो गया जो खुद को,
सोच की गलियों में, बिता दी जिंदगी अपनी।
हर विचार में उलझा, हर सवाल में बहका,
ख्वाबों के पीछे चला, पर हकीकत से डरा।
उधेड़-बुन का ये सफर, ना जाने कितनी बार चला,
हर बार सोचा कुछ नया, पर फैसला ना कर पाया।
जिंदगी के मोड़ पर, खड़ा हुआ मैं सोच में,
उधेड़-बुन की इस बाजी में, खुद को ही हरा बैठा।
काश! सोच के बादलों से निकल, पा लेता मंजिल का रास्ता,
उधेड़-बुन की इस दुनिया से, निकल पाता जिंदगी की आस्था।
अब समझा, उधेड़-बुन से कुछ नहीं मिलता,
जो दिल कहे, उसी राह पर चलना चाहिए।
आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।
Hindi to English Translation of उधेड़-बुन में रहना – Udhed-bun mein rahna Idiom:
“उधेड़-बुन में रहना” is a common Hindi idiom often used to describe a situation where a person is deeply immersed in thought or stuck in uncertainty.
Introduction: This phrase is used in situations where someone finds it difficult to make decisions and is tangled in a web of thoughts. “उधेड़-बुन में रहना” translates to continually thinking about a problem or situation.
Meaning: Literally, this idiom means to repeatedly unravel and knit something, symbolizing continuous contemplation. It describes the state of a person’s inner mind who is constantly engaged in thought and reflection.
Usage: The phrase is used when depicting someone deeply engulfed in their thoughts and worries, often indicative of a state of indecision.
Example:
For instance, a businessman needs to decide on a new business opportunity but is worried about potential risks. Therefore, he is always “in a state of उधेड़-बुन”.
Conclusion: The significance of “उधेड़-बुन में रहना” teaches us that excessive thought and contemplation can sometimes halt our progress. Hence, we should balance thought with action. This idiom also imparts that decisiveness and clarity are crucial in making decisions.
Story of Udhed-bun mein rahna Idiom in English:
In a city, there lived a young man named Subhash. Subhash was talented but often deeply engrossed in thought. He was constantly worried about making the right decisions in every aspect of his life.
One day, Subhash received two job offers from his company, each in a different city. One offer was in his hometown, offering security and the company of his family, while the other was in a metropolitan city, offering a higher salary and better career opportunities.
Subhash found himself deeply caught in “उधेड़-बुन” (a state of constant pondering) in making this decision. He spent days and nights contemplating which offer to choose, leading to sleepless nights and restlessness.
Finally, one of his friends advised him to make a list and weigh the pros and cons of each offer. Subhash did so and eventually chose the job in the metropolitan city.
This experience taught Subhash that instead of being caught in a web of overthinking, it is better to make decisions in a solid and logical manner. He learned that patience and thoughtfulness are necessary to solve any problem.
Thus, Subhash understood the true meaning of the idiom “उधेड़-बुन में रहना” and applied it in his life.
I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly
FAQs:
क्या यह मुहावरा केवल हिंदी में प्रयोग होता है?
नहीं, यह मुहावरा अन्य भाषाओं में भी प्रयोग होता है, जैसे अंग्रेजी में “to be in a pickle” और उर्दू में “پھسلنا”।
उधेड़-बुन में रहने की स्थिति से कैसे निपटें?
इस स्थिति से निपटने के लिए समस्याओं को सामने लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण बनाएं और समाधान प्राप्त करने के लिए कठिन प्रयास करें।
क्या है मुहावरा “उधेड़-बुन में रहना” का अर्थ?
उधेड़-बुन में रहना का अर्थ है किसी अनुप्रयोगी या अस्तबल अवस्था में रहना, जहाँ समस्याओं या अस्थिरता के बीच अटका होना।
इस मुहावरे का उपयोग किस प्रकार से किया जाता है?
यह मुहावरा अक्सर किसी के जीवन में संघर्ष या समस्याओं की अवस्था को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
क्या इस मुहावरे का कोई विशेष इतिहास है?
हाँ, इस मुहावरे का उद्गम संभवतः थोक बाजार में हुआ होगा, जहाँ उधेड़-बुन कर बिकने वाले सामानों की अवस्था में अक्सर अस्थिरता होती थी।
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