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थूक के चाटना, अर्थ, प्रयोग(Thook ke chatna)

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परिचय: हिंदी भाषा में अनेक मुहावरे हैं जो जीवन की विभिन्न परिस्थितियों और मानवीय भावनाओं को व्यक्त करने में सहायक होते हैं। “थूक के चाटना” भी इसी प्रकार का एक मुहावरा है।

अर्थ: “थूक के चाटना” मुहावरे का अर्थ होता है किसी का अपनी कही गई बात से पलट जाना।

उदाहरण:

-> अभय ने अपने मित्र से वादा किया कि वह पार्टी में ज़रूर आएगा, पर अगले दिन वह पार्टी में नहीं आया। मानो उसने थूक के चाट लिया हो।

-> अनीता ने अपने बहन से कहा कि वह उसकी सहायता करेगी, पर बाद में वह अपनी बातों से मुकर गई। इसे कहते है थूक के चाटना।

विवेचना: यह मुहावरा उस स्थिति को दर्शाता है जब व्यक्ति अपने किए वादे या कही गई बात से मुकर जाता है। इसका प्रयोग अधिकतर तब होता है जब किसी को उसकी अपनी गलती का अहसास होता है और वह अपनी बात से पलट जाता है।

निष्कर्ष: “थूक के चाटना” मुहावरे से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें हमेशा अपने वादे और बातों पर अमल करना चाहिए। अपनी बातों से पलटना विश्वासघात समझा जाता है और यह अच्छा नहीं माना जाता।

थूक के चाटना मुहावरा पर कहानी:

गाँव में एक लड़का रहता था जिसका नाम मोहन था। मोहन बहुत ही चालाक और चतुर था। वह अकेला ही गाँव में रंग-बिरंगी और अनूठी मिठाइयाँ बनाने वाला हलवाई था। उसकी मिठाइयाँ गाँव में बहुत प्रसिद्ध थीं।

एक दिन, गाँव में मेला लगा। मोहन ने सभी गाँववालों को वादा किया कि वह इस मेले में एक ऐसी नई मिठाई पेश करेगा जिसे किसी ने पहले कभी नहीं देखा होगा। सभी लोग बहुत उत्साहित हुए और मेले का इंतजार करने लगे।

मेले का दिन आया, पर मोहन की दुकान पर वह अद्भुत मिठाई नजर नहीं आई। लोग मोहन से पूछने लगे, तो उसने कहा कि उसकी विशेष मिठाई अभी तक तैयार नहीं हुई है।

लोग निराश होकर चले गए। फिर कुछ दिनों बाद, मोहन ने गाँव में सुनाई दी कि वह अब एक और नई और अद्वितीय मिठाई लेकर आएगा। पर जब उस समय आया, तो वह फिर से अपनी बात से मुकर गया।

गाँव के लोग ने उसे समझाया कि वह अगर बार-बार अपनी ही बात से मुकरेगा, तो लोग उस पर भरोसा नहीं कर पाएंगे। मोहन को अब समझ में आया कि वह बार-बार ‘थूक के चाट रहा था’ और लोगों का विश्वास खो रहा था।

वह तय करता है कि अब वह जो भी वादा करेगा, वह उसे पूरा करेगा। इस प्रकार, मोहन ने समझा कि अपनी बातों की पक्की पालना करना चाहिए और ‘थूक के चाटना’ चाहिए नहीं।

शायरी:

थूक के चाटने का चलन क्यों,

जब विश्वास है अपने जुबां पर।

वादा जो किया है किसी से,

उसे पूरा कर, बना रह अदान पर।

 

थूक के चाटना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of थूक के चाटना – Thook ke chaatna Idiom:

Introduction: The Hindi language contains numerous idioms that assist in expressing various life situations and human emotions. “Thook ke chaatna” is one such idiom.

Meaning:  The phrase “Thook ke chaatna” translates to “going back on one’s word” or “breaking a promise.”

Usage:

-> Abhay promised his friend that he would surely come to the party, but the next day he didn’t show up. It was as if he went back on his word.

-> Anita told her sister that she would help her, but later she reneged on her commitment. This is what is referred to as “going back on one’s word.”

Discussion: This idiom represents a situation where an individual breaks a promise or goes back on what they’ve said. It’s predominantly used when someone realizes their mistake and backtracks on their previous statement.

Conclusion: The idiom “Thook ke chaatna” teaches us that we should always uphold our promises and words. Backtracking on one’s words is seen as a betrayal of trust and is not considered good behavior.

Story of ‌‌hook ke chaatna Idiom in English:

In a village, there lived a boy named Mohan. Mohan was very cunning and clever. He was the only confectioner in the village who made colorful and unique sweets. His confections were quite famous throughout the village.

One day, a fair was held in the village. Mohan promised all the villagers that he would introduce a new sweet at this fair, one that no one had ever seen before. Everyone was excited and eagerly awaited the fair.

The day of the fair arrived, but Mohan’s stall had no sign of the promised exceptional sweet. When people inquired, he said that his special sweet was not ready yet.

Disappointed, the villagers left. A few days later, Mohan announced that he would soon bring another new and unique sweet. But when the time came, he again went back on his word.

The villagers advised him that if he kept breaking his promises repeatedly, they would lose faith in him. Mohan then realized that he was consistently “going back on his word” and was losing the trust of the people.

He decided that from then on, he would fulfill any promise he made. In this way, Mohan understood the importance of keeping one’s word and not “going back on one’s spit” (literal translation of ‘थूक के चाटना’).

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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