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थाली का बैंगन होना, अर्थ, प्रयोग(Thali ka baingan hona)

थाली में बैंगन की चित्र।, सुभाष और सुरेंद्र की संवाद की चित्र।, बैंगन अपनी स्थिति बदलते हुए।, Budhimaan.com लोगो।

परिचय: हिंदी भाषा में कई मुहावरे प्रयुक्त होते हैं जिनसे वाक्य को और भी प्रभावशाली बनाया जा सकता है। “थाली का बैंगन होना” भी ऐसा ही एक मुहावरा है।

अर्थ: “थाली का बैंगन होना” का अर्थ है एक व्यक्ति का अपने विचारों या फैसलों पे स्थिर नहीं रहना। इसका मतलब है कि वह व्यक्ति अक्सर अपनी राय बदलता रहता है और किसी भी विचारधारा में स्थायित्व नहीं दिखाता है।

उदाहरण:

-> अनुज अक्सर अपने फैसलों पे कायम ही नहीं रहता वह हमेशा कहता कुछ और है करता कुछ और है, वह तो बिल्कुल थाली का बैंगन है।

-> सुरेंद्र सम्मेलन में हर वक्त अलग-अलग विचार प्रस्तुत करता है, उसे तो कोई भी सीरियसली नहीं लेता, वह तो थाली का बैंगन है।

विवेचना: “थाली का बैंगन” मुहावरे का प्रयोग उस समय होता है जब कोई व्यक्ति अपनी बातों पर अड़ा नहीं होता और उसकी राय में बार-बार परिवर्तन होता रहता है।

निष्कर्ष: “थाली का बैंगन होना” इस बात को दर्शाता है कि किसी भी व्यक्ति की स्थायिता उसकी विश्वसनीयता और मजबूती का प्रतीक होता है। जो व्यक्ति अक्सर अपनी राय बदलता है, वह समूह में अपनी विशेष स्थिति खो देता है।

थाली का बैंगन होना मुहावरा पर कहानी:

नगर में एक प्रसिद्ध व्यक्ति थे जिसका नाम सुभाष था। सुभाष को उसकी अस्थिरता के लिए जाना जाता था। वह अपनी नौकरी, दोस्त, और विचारों में स्थिर नहीं रह सकता था, बल्कि उसके विचार और निर्णय भी हर समय बदलते रहते थे।

एक दिन, उसके मित्र सुरेंद्र ने उसे घर बुलाया और उसे एक थाली में बैंगन दिखाया। वह बैंगन हर दो मिनट में अपनी जगह बदलता था। सुरेश ने कहा, “तुम इस बैंगन की तरह हो, सुभाष। हर समय अपनी जगह और सोच बदल देना।”

सुभाष कुछ देर चिंतित रहा, और फिर उसने समझा कि वह वास्तव में ‘थाली का बैंगन’ की तरह है, जो हर समय अपनी स्थिति बदल देता है। उसे समझ में आया कि स्थिरता और ठोस निर्णय जीवन में कितने महत्वपूर्ण हैं।

इस घटना के बाद, सुभाष ने अपनी जीवन शैली में बदलाव किया और अधिक स्थिर और निर्णायक बनने की कोशिश की। और जब भी उसे अपनी स्थिरता पर संदेह होता, वह उस ‘थाली का बैंगन’ को याद करता और अपने आप को संभाल लेता।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि ‘थाली का बैंगन होना’ का मतलब है किसी का निरंतर अस्थिर रहना और अपने विचारों और निर्णयों में अस्थिरता प्रदर्शित करना।

शायरी:

हर सोच में बदलता, हर मोड़ पर अनिर्णित,

जैसे बाजार के बैंगन, रंग बदलता नित-नित।

हवा की तरह फिरता, ख्वाब अधूरे से ज्यादा,

हर लफ्ज़ में चुपा सच्चाई का अद्वितीय फसाना।

निर्णयों में अस्थिरता, जीवन की इस धड़कन में,

हर दिन एक नई खोज में, थाली का बैंगन बन जाऊँ कहीं।

 

थाली का बैंगन होना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of थाली का बैंगन होना – Thali ka baingan hona Idiom:

Introduction: The Hindi language consists of several idioms that can enhance the impact of a sentence. “Thali ka baingan hona” is one such idiom.

Meaning:  “Thali ka baingan hona” translates to someone being inconsistent in their thoughts or decisions. It implies that the person often changes their opinions and doesn’t show steadfastness in any ideology.

Usage:

-> Anuj often doesn’t stick to his decisions; he always says one thing and does another. He is absolutely like a ‘Thali ka baingan’.

 -> Surendra presents different ideas in the conference every time; no one takes him seriously. He is just like a ‘Thali ka baingan’.

Discussion: The idiom “Thali ka baingan hona” is used when someone is not firm in their words and frequently changes their opinion.

Conclusion: The idiom “Thali ka baingan hona” conveys that consistency in a person represents their reliability and strength. Someone who constantly alters their opinions tends to lose their unique standing within a group.

Story of ‌‌hali ka baingan hona Idiom in English:

In the town, there was a renowned man named Subhash. Subhash was known for his instability. He couldn’t remain steady in his job, friendships, and even his thoughts; his views and decisions would change constantly.

One day, his friend Surendra invited him home and showed him a brinjal (eggplant) in a plate. The brinjal would change its position every two minutes. Suresh remarked, “You are just like this brinjal, Subhash, always changing your position and thoughts.”

Subhash reflected for a while and then realized that he indeed was like the ‘brinjal in a plate,’ changing his stance all the time. He understood the importance of stability and firm decisions in life.

After this incident, Subhash made changes in his lifestyle and tried to become more stable and decisive. And whenever he doubted his consistency, he remembered that ‘brinjal in the plate’ and gathered himself.

This story teaches us that being a ‘brinjal in a plate’ signifies someone’s constant inconsistency and demonstrating instability in their thoughts and decisions.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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