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तेते पाँव पसारिये जेती लंबी सौर, अर्थ, प्रयोग(Tete panv pasariye jeti lambi saur)

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इस मुहावरे का अर्थ है कि आपको अपनी सीमा के अनुसार ही व्यय करना चाहिए। यह मुहावरा हमें यह सिखाता है कि हमें अपनी आजीविका या संसाधनों की सीमा में रहकर ही खर्च करना चाहिए।

अर्थ: “तेते पाँव पसारिये जेती लंबी सौर” इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है कि आपको उतना ही बिछाना फैलाना चाहिए जितनी आपकी चादर हो। इससे मुक्तार्थ है कि आपको अपनी आजीविका और संसाधनों के हिसाब से ही व्यय करना चाहिए।

उदाहरण:

-> अभय ने अपने दोस्त से कहा, “मैं तो ‘तेते पाँव पसारिये जेती लंबी सौर’ के हिसाब से जीवन जीता हूँ, ताउम्र कर्ज में नहीं पड़ना चाहता।”

-> जब अनुभव ने नई कार खरीदने का इरादा किया, तो उसके पिता ने उसे सलाह दी कि “तेते पाँव पसारिये जेती लंबी सौर”, उसे अपनी आमदनी के हिसाब से ही वाहन चुनना चाहिए।

निष्कर्ष: हमारे समाज में कई बार लोग दिखावे के लिए ज्यादा खर्च करते हैं, जिससे वे आर्थिक संकट में पहुँचते हैं। इस मुहावरे का प्रयोग उन्हें इस बात की याद दिलाने के लिए किया जाता है कि वे अपनी आमदनी और संसाधनों की सीमा में रहकर ही व्यय करें।

आज के समय में, जब हर कोई जीवन की रेस में आगे बढ़ना चाहता है, इस मुहावरे का महत्व और भी बढ़ जाता है।

तेते पाँव पसारिये जेती लंबी सौर मुहावरा पर कहानी:

अखिल एक साधारण परिवार से था। वह शहर की एक छोटी नौकरी में काम करता था और अपनी तनख्वाह से अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। शहर में जीवन जीना कभी-कभी मुश्किल होता था, लेकिन अखिल हमेशा अपनी आजीविका के हिसाब से ही खर्च करता था।

एक दिन, अखिल के पास उसका पुराना दोस्त विशाल आया। विशाल ने हाल ही में एक नई कार खरीदी थी और वह उसे दिखाने आया था। अखिल को कार बहुत पसंद आई, और उसका मन भी किया कि वह भी एक नई कार खरीदे।

लेकिन जब अखिल अपनी वित्तीय स्थिति पर विचार किया, तो उसे समझ में आया कि वह अभी कार खरीदने के लिए सक्षम नहीं है। वह अपनी तनख्वाह के हिसाब से जीवन जीने में विश्वास करता था, और उसने यह सोच कर आत्म-संतोष किया कि जब उसकी आजीविका बढ़ेगी, तो वह भी कार खरीदेगा।

विशाल ने अखिल से पूछा, “तुम भी तो कार खरीद सकते हो। शहर में तो बहुत सारी फाइनेंस की सुविधाएं हैं।”

अखिल ने मुस्कराकर कहा, “तेते पाँव पसारिये जेती लंबी सौर। मैं अपनी सामर्थ्यानुसार ही खर्च करता हूँ। जब मेरी सामर्थ्या बढ़ेगी, तो मैं भी नई कार खरीदूंगा।”

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अपनी सीमा और सामर्थ्य के हिसाब से ही व्यय करना चाहिए, ताकि हमें भविष्य में कोई समस्या न हो।

शायरी:

तेते पाँव पसारिये, जीवन में हो बहार,

जैसे चाँद की रौशनी, सीमा से आये यार।

खर्चे जैसे दिल की धड़कन, सोच समझ कर करो,

जिंदगी का संगीनी, आँखों में बसा लो।

जिसे देखो वही दौड़े, धन की इस रेस में,

लेकिन जीवन की असलीता, सीमा में ही बस्ती है फैसला।

 

तेते पाँव पसारिये जेती लंबी सौर शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of तेते पाँव पसारिये जेती लंबी सौर – Tete panv pasariye jeti lambi saur Idiom:

Meaning: The literal translation of the idiom “Tete panv pasariye jeti lambi saur” is that you should spread your bed only as far as your blanket goes. The figurative meaning is that one should spend according to one’s income and resources.

Examples:

-> Abhay told his friend, “I live my life by the principle of ‘Tete panv pasariye jeti lambi saur’, I don’t want to be in debt all my life.”

-> When Anubhav decided to buy a new car, his father advised him that “Tete panv pasariye jeti lambi saur”, meaning he should choose a vehicle according to his earnings.

Conclusion: In our society, many people overspend for the sake of showing off, leading them to financial crises. This idiom is used to remind them to spend within the boundaries of their income and resources.

In today’s times, when everyone wants to get ahead in the race of life, the significance of this idiom becomes even more relevant.

Story of ‌‌Dastak Dena Idiom in English:

Akhil came from a modest family. He worked in a small job in the city and supported his family with his salary. Living in the city was sometimes challenging, but Akhil always spent according to his means.

One day, Akhil’s old friend Vishal visited him. Vishal had recently purchased a new car and came to show it off. Akhil admired the car, and he felt a desire to buy one himself.

However, upon reflecting on his financial situation, he realized that he wasn’t in a position to afford a car yet. He believed in living within his means, and he took solace in the thought that when his income increased, he would buy a car too.

Vishal asked Akhil, “You can buy a car too. There are many financing options available in the city.”

Akhil replied with a smile, “Stretch your feet only as long as your blanket allows. I spend according to my capability. When my means increase, I’ll buy a new car too.”

From this story, we learn that we should spend only according to our limits and capabilities, ensuring we don’t face issues in the future.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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