परिचय: हिंदी भाषा में मुहावरों का अपना एक विशेष स्थान होता है। “तलवे धो-धोकर पीना” एक ऐसा ही रोचक और प्रतीकात्मक मुहावरा है, जो अत्यधिक चापलूसी या समर्पण की भावना को व्यक्त करता है।
अर्थ: “तलवे धो-धोकर पीना” मुहावरे का अर्थ है किसी की बहुत ज्यादा चापलूसी करना या उसके प्रति अत्यधिक समर्पित होना। यह आमतौर पर नकारात्मक अर्थ में प्रयोग किया जाता है।
प्रयोग: यह मुहावरा उस समय प्रयोग किया जाता है जब कोई व्यक्ति अपने स्वार्थ या लाभ के लिए किसी दूसरे व्यक्ति की अत्यधिक खुशामद करता है।
उदाहरण:
-> राजनेताओं के आस-पास के लोग अक्सर उनके तलवे धो-धोकर पीते हैं।
-> उसने प्रमोशन पाने के लिए अपने बॉस के तलवे धो-धोकर पिए।
निष्कर्ष: “तलवे धो-धोकर पीना” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि अत्यधिक चापलूसी और अंधा समर्पण न केवल अपनी गरिमा को कम करता है, बल्कि यह व्यक्ति के चरित्र पर भी प्रश्न उठाता है। यह मुहावरा हमें स्वाभिमानी और स्वतंत्र विचार वाला बनने की प्रेरणा देता है।
तलवे धो-धोकर पीना मुहावरा पर कहानी:
एक शहर में अभय नाम का एक युवक रहता था। अभय काम में तो औसत था, परंतु वह अपनी चापलूसी के लिए जाना जाता था। उसका मानना था कि चापलूसी से वह जीवन में आगे बढ़ सकता है।
अभय के ऑफिस में एक नया बॉस आया, जो काफी प्रभावशाली और सख्त था। अभय ने सोचा कि यदि वह बॉस की चापलूसी करेगा, तो उसे प्रमोशन मिल सकता है। इसलिए वह हमेशा बॉस के आगे-पीछे घूमता और उनकी हर बात पर हाँ में हाँ मिलाता।
कुछ ही समय में, अभय की यह आदत सबको पता चल गई और लोग कहने लगे कि अभय तो बॉस के “तलवे धो-धोकर पी रहा है।” उसके सहकर्मी उसकी इस आदत से खिन्न हो गए और उससे दूरी बना ली।
जब प्रमोशन का समय आया, तो बॉस ने उस व्यक्ति को प्रमोट किया, जो वास्तव में काबिल था और मेहनती था, न कि अभय को। अभय को तब समझ आया कि चापलूसी से कुछ हासिल नहीं होता।
इस कहानी के माध्यम से हम समझते हैं कि “तलवे धो-धोकर पीना” यानी अत्यधिक चापलूसी करना, वास्तविकता में नुकसानदेह होता है और यह व्यक्ति के स्वाभिमान और सम्मान को कम करता है। यह मुहावरा हमें स्वतंत्र और स्वाभिमानी बनने की प्रेरणा देता है।
शायरी:
चापलूसी की राह पर, चलकर देख लिया,
“तलवे धो-धोकर पीना”, ये खेल भी खेल लिया।
जहाँ सच्चाई की कद्र नहीं, वहां क्या इज्जत पाओगे,
तलवे धो-धोकर पीते रहो, खुद को कहाँ तक ले जाओगे।
जिस दिन अपने आप पे, तुम खुद यकीन कर लोगे,
उस दिन चापलूसी के जाल से, खुद को आजाद कर लोगे।
जो खुद की मेहनत पर चलता है, वो फलक तक पहुंचता है,
जो दूसरों के तलवे धोता है, वो कहाँ तक सफलता पाता है।
इंसानियत के रास्ते पर, चलने का जज्बा रखो,
“तलवे धो-धोकर पीने” से, बेहतर है सच्चाई का सबक सिखो।
चापलूसी की इस दुनिया में, सच का दामन थामे रखना,
तलवे धो-धोकर पीने वालों से, खुद को दूर ही रखना।
आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।
Hindi to English Translation of तलवे धो-धोकर पीना – Talve dho-dhokar peena Idiom:
Introduction: In Hindi language, idioms hold a special place. “तलवे धो-धोकर पीना” (Talve dho-dhokar peena) is one such interesting and symbolic idiom, which expresses extreme flattery or submission.
Meaning: The idiom “तलवे धो-धोकर पीना” means to excessively flatter someone or to be overly devoted to them. It is generally used in a negative context.
Usage: This idiom is used when someone excessively flatters another person for their own selfish gain or benefit.
Example:
-> People around politicians often indulge in extreme flattery, almost like ‘washing and drinking someone’s feet’.
-> He went to the extent of excessively flattering his boss to get a promotion.
Conclusion: The idiom “तलवे धो-धोकर पीना” teaches us that excessive flattery and blind devotion not only diminish our dignity but also raise questions about our character. This idiom inspires us to be dignified and to have independent thoughts.
Story of Talve dho-dhokar peena Idiom in English:
In a city, there lived a young man named Abhay. Abhay was average in his work, but he was known for his sycophancy. He believed that flattery could help him progress in life.
When a new boss, who was quite influential and strict, arrived at Abhay’s office, Abhay thought that flattery could earn him a promotion. Therefore, he constantly hovered around the boss, agreeing with everything he said.
Soon, everyone became aware of Abhay’s habit, and people started saying that Abhay was “excessively flattering the boss.” His colleagues became annoyed with this behavior and started keeping their distance.
When the time for promotion came, the boss promoted someone who was truly capable and hardworking, not Abhay. That’s when Abhay realized that flattery doesn’t yield anything.
Through this story, we understand that “excessive flattery” is actually harmful and diminishes one’s dignity and respect. This idiom inspires us to be independent and dignified.
I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly
FAQs:
तलवे धो-धोकर पीना का क्या मूल उत्पत्ति है?
यह मुहावरा उस अभ्यास से लिया गया है जब लोग पुराने जमीनी चादर को धोधोकर उसका पानी पीते थे।
इस मुहावरे का क्या प्रयोग है?
इसका प्रयोग किसी काम को बहुत मेहनत से और ध्यान से करने का व्यक्त करने के लिए किया जाता है।
तलवे धो-धोकर पीना मुहावरा का क्या अर्थ है?
यह मुहावरा किसी चीज को बहुत ध्यान से करना या पर्याप्त समय लेकर कुछ करने का अर्थ है।
क्या इस मुहावरे का किसी ऐतिहासिक या साहित्यिक काम में उपयोग हुआ है?
हां, कई साहित्यिक और कविताओं में इस मुहावरे का उपयोग किया गया है।
क्या इस मुहावरे का उपयोग संबंधों में भी हो सकता है?
हां, यह मुहावरा संबंधों में भी उपयोगी हो सकता है, जैसे कि किसी के साथ समय बिताने के लिए ध्यानपूर्वक समय देने का संकेत देते हुए।
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