Budhimaan

Home » Hindi Muhavare » टके की चटाई, नौ टका विदाई अर्थ, प्रयोग(Take ki chatai, Nau taka vidai)

टके की चटाई, नौ टका विदाई अर्थ, प्रयोग(Take ki chatai, Nau taka vidai)

परिचय: “टके की चटाई, नौ टका विदाई” यह हिंदी मुहावरा उन परिस्थितियों का वर्णन करता है जहाँ लागत कम होती है लेकिन खर्चा या व्यय अधिक होता है। यह उन स्थितियों की ओर इशारा करता है जहाँ लाभ कम होने की वजह से व्यापार या किसी कार्य में हानि होती है।

अर्थ: इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है कि जिस वस्तु की कीमत बहुत कम हो (यहाँ पर चटाई का मूल्य एक टका माना गया है), उसके विदाई या अंतिम संस्कार में अधिक खर्च (नौ टका) होता है। यह उस स्थिति को दर्शाता है जब प्राप्तियां लागत से कम होती हैं।

प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग आमतौर पर व्यापार, निवेश, या किसी अन्य कार्य में होने वाले नुकसान को व्यक्त करने के लिए किया जाता है जहां लाभ की अपेक्षा खर्च अधिक होता है।

उदाहरण:

-> एक व्यापारी जिसने कम मूल्य के उत्पादों पर अधिक विज्ञापन और प्रचार खर्च किया और अंत में हानि उठाई, उसकी स्थिति को ‘टके की चटाई, नौ टका विदाई’ कहा जा सकता है।

-> एक किसान जिसने फसल पर कम खर्च किया लेकिन बाजार में फसल के लिए मिलने वाले दाम बहुत कम थे, उसकी स्थिति ‘टके की चटाई, नौ टका विदाई’ का उदाहरण है।

निष्कर्ष: ‘टके की चटाई, नौ टका विदाई’ मुहावरा हमें यह सिखाता है कि किसी भी कार्य या व्यापार में लाभ और हानि का सही आकलन करना जरूरी है। यह हमें यह भी बताता है कि कभी-कभी लागत कम होने के बावजूद भी अंतिम परिणाम हानिकारक हो सकता है।

Hindi Muhavare Quiz

टके की चटाई, नौ टका विदाई मुहावरा पर कहानी:

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में सुभाष नाम का एक व्यापारी रहता था। सुभाष ने अपनी सारी जमा पूंजी से एक छोटी सी दुकान खोली और उसमें अनेक प्रकार के सस्ते सामान रखे। उसका मानना था कि कम दाम के सामान से वह ज्यादा ग्राहक आकर्षित कर पाएगा और उसका व्यापार फलेगा-फूलेगा।

सुभाष ने अपनी दुकान का बड़े जोर-शोर से प्रचार किया। उसने विज्ञापन पर बहुत खर्च किया, गाँव भर में बैनर और पोस्टर लगवाए और खूब डिस्काउंट दिए। धीरे-धीरे उसकी दुकान में ग्राहक आने लगे, लेकिन जल्द ही उसने महसूस किया कि विज्ञापन और डिस्काउंट पर होने वाला खर्च उसके दुकान से होने वाली कमाई से कहीं ज्यादा था।

एक दिन, उसके एक मित्र ने उसे सलाह देते हुए कहा, “सुभाष, तुम्हारी दुकान तो ‘टके की चटाई, नौ टका विदाई’ का परफेक्ट उदाहरण है। तुम्हारे सामान का मूल्य तो कम है, लेकिन उसे बेचने के लिए होने वाला खर्च बहुत ज्यादा है।”

सुभाष ने अपने मित्र की बात समझी और फिर से अपने व्यापार की रणनीति पर विचार किया। उसने विज्ञापन पर खर्च कम कर दिया और अधिक मुनाफे वाले सामानों को दुकान में जगह दी। इससे उसके व्यापार में सुधार हुआ और वह लाभ कमाने लगा।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि किसी भी कारोबार में सामान की लागत और उसके प्रचार-प्रसार पर होने वाले खर्च का सही तरीके से आकलन करना जरूरी है। “टके की चटाई, नौ टका विदाई” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि लागत कम होने के बावजूद भी अंतिम परिणाम हानिकारक हो सकता है।

शायरी:

ख्वाबों की चादर में लिपटी है रात,

“टके की चटाई, नौ टका विदाई” की बात।

किस्मत के खेल में उठते हैं सवाल,

कब तक छुपाएंगे अपने हालात?

जोड़ते हैं ज़िंदगी में खुशियों के पल,

कभी खोते हैं, कभी पाते हैं ज़िंदगी का मलाल।

हर खुशी की कीमत में छुपा है एक सवाल,

“टके की चटाई” के बदले में क्या मिला है हमको कमाल?

अरमानों की दौलत में, हर कदम पे है इम्तिहान,

जब खुलती है मुट्ठी, तो खाली है जहान।

सपनों की दुनिया में, हर एक का है अपना मकाम,

“नौ टका विदाई” में छुपा हर एक का अंजाम।

जीवन की इस डगर में, हर कदम पे है नया इशारा,

“टके की चटाई, नौ टका विदाई” में छुपा है सच्चाई का सहारा।

जो मिला है उसे संजो लो, ये वक़्त का है इशारा,

क्योंकि खुली मुट्ठी में कुछ नहीं, सिवाय रेत का गुबारा।

 

टके की चटाई, नौ टका विदाई शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of टके की चटाई, नौ टका विदाई – Take ki chatai, Nau taka vidai Idiom:

Introduction: “टके की चटाई, नौ टका विदाई” is a Hindi proverb that describes situations where the cost is low but the expenses or outlays are high. It points to scenarios where due to lower profits, a business or any endeavor incurs losses.

Meaning: The literal meaning of this proverb is that for an item of very low value (here, the cost of a mat is considered to be one “taka”), the expense or the farewell cost is much higher (nine takas). It illustrates a situation when the earnings are less than the costs.

Usage: This proverb is typically used to express losses in business, investment, or any other activity where the expenses outweigh the profits.

Usage:

-> A businessman who spent more on advertising and promotion for low-value products and eventually faced losses exemplifies the situation of “टके की चटाई, नौ टका विदाई.”

-> A farmer who invested less in his crop but received very low prices in the market also represents the situation of “टके की चटाई, नौ टका विदाई.”

Conclusion: The proverb “टके की चटाई, नौ टका विदाई” teaches us the importance of correctly assessing profit and loss in any work or business. It also indicates that sometimes, despite low costs, the end result can be detrimental.

Story of ‌‌Take ki chatai, Nau taka vidai Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, there lived a merchant named Subhash. Subhash opened a small shop using all his savings and stocked it with various cheap items. He believed that low-priced goods would attract more customers and his business would thrive.

Subhash advertised his shop extensively. He spent a lot on advertisements, put up banners and posters throughout the village, and offered substantial discounts. Gradually, customers started visiting his shop, but soon he realized that the expenses on advertising and discounts were far more than his earnings from the shop.

One day, one of his friends advised him, saying, “Subhash, your shop is a perfect example of ‘टके की चटाई, नौ टका विदाई’. The value of your goods is low, but the cost of selling them is much higher.”

Subhash understood his friend’s advice and reconsidered his business strategy. He reduced the expenses on advertising and started focusing on more profitable goods in his shop. This change improved his business, and he began to make profits.

This story teaches us the importance of correctly assessing the cost of goods and the expenses of marketing and promotion in any business. The proverb “टके की चटाई, नौ टका विदाई” illustrates that even with low costs, the final outcome can be detrimental if not managed properly.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस मुहावरे का कोई ऐतिहासिक प्रसंग है?

ऐतिहासिक रूप से तो इसका कोई विशेष ऐतिहासिक प्रसंग नहीं है, परंतु यह सामान्य जीवन में घटित घटनाओं को बताने में प्रयुक्त होता है।

इस मुहावरे का उपयोग किस प्रकार से होता है?

यह मुहावरा किसी घटना के समापन को ज्यादा महत्वपूर्ण बनाने के लिए प्रयुक्त होता है, जिसमें विशेष रूप से धूमधाम होता है।

टके की चटाई, नौ टका विदाई मुहावरा का क्या अर्थ है?

इस मुहावरे का अर्थ है किसी चीज का समापन या समाप्ति होना, जो बड़ी धूमधाम से होता है।

इस मुहावरे का विशेष उपयोग किस क्षेत्र में होता है?

यह मुहावरा साहित्य और भाषा के क्षेत्र में ज्यादातर प्रयुक्त होता है, जब किसी घटना को बड़े पैम्प और धूमधाम के साथ समाप्त किया जाता है।

क्या इस मुहावरे का कोई विरोधाभास है?

नहीं, यह मुहावरा सामान्यत: प्रशंसा या समर्थन के लिए प्रयुक्त होता है और इसमें कोई विरोधाभास नहीं है।

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

टिप्पणी करे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Budhimaan Team

Budhimaan Team

हर एक लेख बुधिमान की अनुभवी और समर्पित टीम द्वारा सोख समझकर और विस्तार से लिखा और समीक्षित किया जाता है। हमारी टीम में शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञ और अनुभवी शिक्षक शामिल हैं, जिन्होंने विद्यार्थियों को शिक्षा देने में वर्षों का समय बिताया है। हम सुनिश्चित करते हैं कि आपको हमेशा सटीक, विश्वसनीय और उपयोगी जानकारी मिले।

संबंधित पोस्ट

"गुरु और शिष्य की अद्भुत कहानी", "गुरु गुड़ से चेला शक्कर की यात्रा", "Budhimaan.com पर गुरु-शिष्य की प्रेरणादायक कहानी", "हिन्दी मुहावरे का विश्लेषण और अर्थ"
Hindi Muhavare

गुरु गुड़ ही रहा, चेला शक्कर हो गया अर्थ, प्रयोग (Guru gud hi raha, chela shakkar ho gya)

परिचय: “गुरु गुड़ ही रहा, चेला शक्कर हो गया” यह हिन्दी मुहावरा शिक्षा और गुरु-शिष्य के संबंधों की गहराई को दर्शाता है। यह बताता है

Read More »
"गुड़ और मक्खियों का चित्रण", "सफलता के प्रतीक के रूप में गुड़", "Budhimaan.com पर मुहावरे का सार", "ईर्ष्या को दर्शाती तस्वीर"
Hindi Muhavare

गुड़ होगा तो मक्खियाँ भी आएँगी अर्थ, प्रयोग (Gud hoga to makkhiyan bhi aayengi)

परिचय: “गुड़ होगा तो मक्खियाँ भी आएँगी” यह हिन्दी मुहावरा जीवन के एक महत्वपूर्ण सत्य को उजागर करता है। यह व्यक्त करता है कि जहाँ

Read More »
"गुरु से कपट मित्र से चोरी मुहावरे का चित्रण", "नैतिकता और चरित्र की शुद्धता की कहानी", "Budhimaan.com पर नैतिकता की महत्वता", "हिन्दी साहित्य में नैतिक शिक्षा"
Hindi Muhavare

गुरु से कपट मित्र से चोरी या हो निर्धन या हो कोढ़ी अर्थ, प्रयोग (Guru se kapat mitra se chori ya ho nirdhan ya ho kodhi)

परिचय: “गुरु से कपट, मित्र से चोरी, या हो निर्धन, या हो कोढ़ी” यह हिन्दी मुहावरा नैतिकता और चरित्र की शुद्धता पर जोर देता है।

Read More »
"गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे मुहावरे का चित्रण", "मानवीय संवेदनशीलता को दर्शाती छवि", "Budhimaan.com पर सहयोग की भावना", "हिन्दी मुहावरे का विश्लेषण"
Hindi Muhavare

गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे अर्थ, प्रयोग (Gud na de to gud ki-si baat to kare)

परिचय: “गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे” यह हिन्दी मुहावरा उस स्थिति को व्यक्त करता है जब कोई व्यक्ति यदि किसी चीज़

Read More »
"गुड़ खाय गुलगुले से परहेज मुहावरे का चित्रण", "हिन्दी विरोधाभासी व्यवहार इमेज", "Budhimaan.com पर मुहावरे की समझ", "जीवन से सीखने के लिए मुहावरे का उपयोग"
Hindi Muhavare

गुड़ खाय गुलगुले से परहेज अर्थ, प्रयोग (Gud khaye gulgule se parhej)

परिचय: “गुड़ खाय गुलगुले से परहेज” यह हिन्दी मुहावरा उन परिस्थितियों का वर्णन करता है जहां व्यक्ति एक विशेष प्रकार की चीज़ का सेवन करता

Read More »
"खूब मिलाई जोड़ी इडियम का चित्रण", "हिन्दी मुहावरे एक अंधा एक कोढ़ी का अर्थ", "जीवन की शिक्षा देते मुहावरे", "Budhimaan.com पर प्रकाशित मुहावरे की व्याख्या"
Hindi Muhavare

खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी अर्थ, प्रयोग (Khoob milai jodi, Ek andha ek kodhi)

खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी, यह एक प्रसिद्ध हिन्दी मुहावरा है जिसका प्रयोग अक्सर उन परिस्थितियों में किया जाता है जहां दो व्यक्ति

Read More »

आजमाएं अपना ज्ञान!​

बुद्धिमान की इंटरैक्टिव क्विज़ श्रृंखला, शैक्षिक विशेषज्ञों के सहयोग से बनाई गई, आपको भारत के इतिहास और संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने ज्ञान को जांचने का अवसर देती है। पता लगाएं कि आप भारत की विविधता और समृद्धि को कितना समझते हैं।