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सैंया भये कोतवाल अब डर काहे का, अर्थ, प्रयोग(Sainya bhaye kotwal ab dar kahe ka)

अर्थ: “सैंया भये कोतवाल अब डर काहे का” यह हिंदी का एक प्रमुख मुहावरा है, जिसका अभिप्रेत होता है कि जब आपका कोई निकट संबंधी अधिकारी या शक्तिशाली हो, तो आपको डरने की कोई जरूरत नहीं है।

उपयोग: “सैंया” मतलब है शौहर, “कोतवाल” मतलब है शहर का प्रमुख पुलिस अधिकारी और “डर काहे का” का अर्थ है “अब डरने की क्या बात है?”। अगर आपका शौहर या पति ही पुलिस अधिकारी हो, तो आपको डरने की कोई जरूरत नहीं है।

उदाहरण:

-> पूजा और अपर्णा बाजार में थीं और वहां पर कुछ लड़ाई चल रही थी। पूजा डरी हुई थी, लेकिन अपर्णा ने उसे याद दिलाया, “तुम्हारा भाई ही थानेदार है तो फिर तू क्यों डर रही है, सैंया भये कोतवाल अब डर काहे का?”

विवेचना: यह मुहावरा उस समय को चित्रित करता है जब हमारे पास अधिकार में रहने वाले किसी व्यक्ति का संरक्षण हो। जैसे, अगर हमारा कोई परिजन अधिकारी होता है, तो हमें उसकी उपस्थिति में सुरक्षित महसूस होता है और हमें अन्य चिंताओं से मुक्ति मिलती है।

निष्कर्ष:

“सैंया भये कोतवाल अब डर काहे का” इस मुहावरे के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि अगर हमारा कोई निकटतम परिजन अधिकारी होता है, तो हमें अन्य चिंताओं से मुक्ति मिलती है और हम अपने जीवन में अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं।

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सैंया भये कोतवाल अब डर काहे का मुहावरा पर कहानी:

सुरेंद्र गांव में एक साधारण किसान था। उसका एक ही बेटा था, अनुज। अनुज बचपन से ही अपने गांव की समस्याओं को देखता आया था। वह हमेशा सोचता कि वह गांव में कुछ बदलाव लाएगा।

एक दिन, अनुज ने ठान लिया कि वह अधिकार में जाकर अपने गांव के लिए कुछ अच्छा करेगा। वह धीरे-धीरे राजनीति में शामिल हो गया और कुछ वर्षों में ही वह गांव के पंच बन गए।

जब अनुज को पंच बनाया गया, तो गांव में खुशियों की लहर दौड़ गई। अब वह अधिकार में था, और वह जो चाहता था, वह कर सकता था।

एक दिन गांव में एक बड़ी समस्या उत्थित हुई। गांव के कुछ लोग ने जमीन का कब्जा कर लिया और वह जमीन गांव के गरीबों की थी। गरीब किसान अनुज के पास गए और मदद मांगी। अनुज ने उनसे कहा, “चिंता मत करो, मैं हूं ना।”

अनुज ने अपनी सत्ता का उपयोग करते हुए उस जमीन को वापस गांव के गरीबों को दिलवाया। जब वह इस काम में सफल हुआ, तो गांव के लोगों ने कहा, “सैंया भये कोतवाल अब डर काहे का।”

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जब हमारे पास सत्ता और अधिकार होते हैं, तो हम अन्य लोगों की मदद कर सकते हैं और उन्हें सहारा प्रदान कर सकते हैं। और जब हमारा कोई निकट संबंधी अधिकारी हो, तो हमें उसकी प्रेसेंस में सुरक्षा महसूस होती है।

शायरी:

सैंया भये कोतवाल, डर किस बात का अब है,

जिसकी छाँव में सरहदें भी समझ आती हैं।

जिसकी आँखों में आंदोलन जलते हैं,

जिसके कदमों से, ज़मीनें भी हिल जाती हैं।

 

सैंया भये कोतवाल अब डर काहे का शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of सैंया भये कोतवाल अब डर काहे का – Sainya bhaye kotwal ab dar kahe ka Idiom:

Meaning: “Sainya bhaye kotwal ab dar kahe ka” is a prominent Hindi idiom, signifying that when a close relative is in a position of authority or power, there’s no need for you to fear.

Usage: “सैंया” translates to “husband,” “कोतवाल” means the chief police officer of a city, and “डर काहे का” means “why fear now?” Essentially, if your husband or spouse is a police officer, there’s no need for you to be afraid.

Usage:

-> Pooja and Aparna were in the market, and a fight was occurring there. Pooja was scared, but Aparna reminded her, “Your brother is the police chief, so why are you scared? When your husband is in authority, what’s there to fear?”

Discussion: This idiom depicts those times when we have the protection of someone in power. For instance, if a family member holds a significant position, we feel secure in their presence and are freed from other worries.

Conclusion:

“Sainya bhaye kotwal ab dar kahe ka” teaches us that if a close relative is in a position of power, we feel more secure in our lives, free from other concerns.

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Story of ‌‌Sainya bhaye kotwal ab dar kahe ka Idiom in English:

Surendra was a simple farmer in a village. He had only one son, Anuj. From a young age, Anuj had observed the problems of his village. He always dreamt of bringing about change in the village.

One day, Anuj decided that he would enter politics to make a positive difference for his village. Gradually, he became involved in politics and, in a few years, he was elected as the village head or “Panch”.

When Anuj was appointed as the Panch, there was a wave of happiness throughout the village. Now that he was in a position of authority, he could implement the changes he had always dreamed of.

One day, a major problem arose in the village. Some people had seized land that belonged to the poor villagers. The destitute farmers approached Anuj for help. Anuj reassured them, saying, “Don’t worry, I’m here.”

Using his power and influence, Anuj ensured the land was returned to the poor villagers. When he succeeded in this endeavor, the villagers exclaimed, “When your own is in authority, what’s there to fear?”

This story teaches us that when we have power and authority, we can assist others and provide them with support. And when a close relative is in a position of power, their presence makes us feel secure.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इसका कोई ऐतिहासिक महत्व है?

इसका कोई ऐतिहासिक महत्व नहीं है, लेकिन यह सामाजिक संदेश देने के लिए बहुत प्रचलित है।

क्या यह मुहावरा नकारात्मक है?

नहीं, यह मुहावरा नकारात्मक नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति को उत्साहित करने और साहसी बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

क्या इस मुहावरे का कोई सामाजिक संदेश है?

हां, इस मुहावरे का सामाजिक संदेश है कि हमें साहस और उत्साह से काम करना चाहिए और किसी चीज़ से नहीं डरना चाहिए।

इस मुहावरे का विपरीत अर्थ क्या हो सकता है?

इस मुहावरे का विपरीत अर्थ हो सकता है – “सैंया भये कोतवाल डर से कांप रहा है।”

क्या इस मुहावरे का कोई संबंध किसी किस्से या कहानी से है?

इस मुहावरे का कोई विशेष संबंध किसी किस्से या कहानी से नहीं है, यह एक सामान्य भाषा में प्रयुक्त मुहावरा है।

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