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सांच को आंच नहीं, अर्थ, प्रयोग(Saanch ko aanch nahi)

हिंदी भाषा में अनेक मुहावरे हैं जो जीवन की विविध परिस्थितियों और घटनाओं को व्यक्त करते हैं। ‘सांच को आंच नहीं’ भी ऐसा ही एक गहनार्थक मुहावरा है।

अर्थ: ‘सांच को आंच नहीं’ का अर्थ होता है किसी सच्चाई को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं हो सकता।

उदाहरण:

-> अमन ने अपनी मासूमियत को साबित कर दिया तो सब लोगो ने कहा की वाकई साँच को आंच नहीं आती।

प्रयोग: यह मुहावरा उस समय प्रयोग किया जाता है जब हम बताना चाहते हैं कि सच्चाई और नैतिकता को किसी भी अवस्था में कोई हानि नहीं पहुंच सकती।

विस्तार: सच्चाई और ईमानदारी जैसी मूल्यों को दर्शाने वाले इस मुहावरे का महत्व आज के समय में भी बना हुआ है। जब भी कोई ईमानदार और सजीव व्यक्ति किसी अवस्था में अपनी मासूमियत और सच्चाई को साबित करता है, तो इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है।

अंत में, ‘सांच को आंच नहीं’ हिंदी मुहावरा जीवन के उस पहलु को बयां करता है जिसमें सच्चाई और ईमानदारी का महत्व है, और यह दर्शाता है कि वे मूल्य आज भी हमारे समाज में महत्वपूर्ण हैं।

Hindi Muhavare Quiz

सांच को आंच नहीं मुहावरा पर कहानी:

सुंदरनगर एक छोटा सा गाँव था जहाँ प्रत्येक व्यक्ति दूसरे को अच्छी तरह से जानता था। गाँव में एक ही स्कूल था, जिसके प्रधान अध्यापक अखिल जी थे। वह बहुत ही ईमानदार और सच्चे व्यक्ति थे।

एक दिन, स्कूल में एक बड़ी राशि की चोरी हो गई। जब यह खबर गाँव में फैली, तो बहुत सारे लोगों ने अखिल जी पर उंगली उठाई, क्योंकि चोरी उस समय हुई थी जब वह स्कूल में अकेले थे।

अखिल जी ने हमेशा सच्चाई का साथ दिया था और उसने स्वीकारा कि वह स्कूल में अकेले थे, लेकिन उसने चोरी की घोर निंदा की और अपनी मासूमियत की पूरी तरह से पक्षपात की।

समस्या के समाधान के लिए गाँव के मुख्य ने एक बैठक बुलाई, जहाँ एक युवक ने चोरी का अभियोग अपने ऊपर लिया। वह बताया कि उसने पैसा अपनी बीमार माँ के इलाज के लिए चुराया था।

अखिल जी की मासूमियत सामने आ गई, और वे जो लोग उस पर शक कर रहे थे, उन्होंने खुद को शरमसार पाया। अखिल जी ने इस घटना को उपयोग करके बच्चों और गाँववालों को समझाया कि सच्चाई और ईमानदारी के आगे कोई भी झूठा आरोप नहीं टिक सकता।

उस दिन से, गाँव में ‘सांच को आंच नहीं’ इस मुहावरे का सही अर्थ सभी को समझ में आ गया। और यह सिखाने वाली बात बन गई कि सत्य की शक्ति को कभी भी तुच्छ नहीं समझा जा सकता।

शायरी:

सांच को जब आंच आई,

झूठ की जलन हर बार यही दिखाई।

दुनिया के चक्कर में भी,

सत्य का दीदार सजीव होता है।

ज़िंदगी के मेले में, झूठ बहुत बिकता है,

पर सच की क़ीमत वक़्त अपने आप दिखलाता है।

जैसे उस धूप में, सया हो आराम,

सत्य ही वो आंच है, जिससे सांच डरता काम।

 

सांच को आंच नहीं शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of सांच को आंच नहीं – Saanch Ko Aanch Nahin Idiom:

In the Hindi language, there are numerous idioms that depict various life situations and events. ‘Saanch Ko Aanch Nahin’ is one such profound idiom.

Meaning: The phrase ‘Saanch Ko Aanch Nahin’ translates to “the mold doesn’t get heated” or “truth remains unscathed.” Essentially, it means that truth or righteousness cannot be harmed in any way.

Example:

-> When Aman proved his innocence, everyone said that indeed the truth cannot be harmed (or in the literal sense, the mold doesn’t get hot).

Usage: This idiom is used when one wants to convey that truth and morality cannot be harmed or tarnished in any given situation.

Conclusion: The significance of this idiom, which represents values like truth and honesty, remains intact even today. Whenever an honest and righteous person proves their innocence and truth in any situation, this idiom can be invoked.

In conclusion, ‘Saanch Ko Aanch Nahin’ is a Hindi idiom that expresses the facet of life where the importance of truth and integrity stands tall. It showcases that these values are still significant in our society today.

Story of ‌‌Saanch Ko Aanch Nahin Idiom in English:

Sundarnagar was a small village where every individual knew each other well. There was only one school in the village, and its principal was Mr. Akhil. He was a very honest and genuine individual.

One day, a substantial amount of money was stolen from the school. As the news spread across the village, many people pointed fingers at Akhil since the theft happened during a time when he was alone in the school.

Akhil had always stood by the truth. He admitted to being alone in the school at the time, but vehemently denied any involvement in the theft and defended his innocence.

To resolve the issue, the village head called for a meeting. During the assembly, a young man confessed to the theft. He explained that he stole the money to pay for his ailing mother’s treatment.

Akhil’s innocence came to light, and those who doubted him felt ashamed. Using this incident, Akhil educated both the students and the villagers about how no false accusation can stand in the face of truth and honesty.

From that day onwards, everyone in the village truly understood the meaning of the idiom ‘Saanch Ko Aanch Nahin’. It became a lesson, reinforcing that the strength of truth should never be underestimated.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या “सांच को आंच नहीं” मुहावरे का कोई विलोम (विपरीत अर्थ) है?

इस मुहावरे का सीधा विलोम नहीं होता, लेकिन “झूठ के पैर नहीं होते” विपरीत भाव को व्यक्त कर सकता है, जो झूठ की अस्थायिता पर बल देता है।

“सांच को आंच नहीं” मुहावरे की उत्पत्ति क्या है?

इस मुहावरे की उत्पत्ति के बारे में सटीक जानकारी तो नहीं है, लेकिन यह भारतीय समाज में प्रचलित पुरानी कहावतों और लोकोक्तियों से आया हो सकता है जो सच्चाई की महत्ता को दर्शाते हैं।

“सांच को आंच नहीं” मुहावरे का कोई समानार्थी शब्द है

“सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं” इस मुहावरे का एक समानार्थी हो सकता है।

“सांच को आंच नहीं” मुहावरे का किसी अन्य भाषा में क्या अर्थ होगा?

अंग्रेजी में इसका समानार्थी “Truth cannot be burned” या “Truth stands the test of time” हो सकता है, जिसका अर्थ है सच्चाई समय की कसौटी पर खरी उतरती है।

क्या “सांच को आंच नहीं” मुहावरे का व्यावसायिक जगत में भी महत्व है?

हां, व्यावसायिक जगत में भी इस मुहावरे का महत्व है, खासकर जब ईमानदारी और नैतिकता की बात आती है। यह बताता है कि लंबे समय में सच्चाई और नैतिक व्यापार प्रथाएं सफलता प्राप्त करती हैं।

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यह मुहावरा स से शुरू होने वाले मुहावरे पेज पर भी उपलब्ध है।

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