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रोज के टपके से पत्थर भी घिस जाते हैं अर्थ, प्रयोग (Roj ke tapke se patthar bhi ghis jate hain)

परिचय: हिंदी मुहावरों में जीवन की विभिन्न परिस्थितियों और सत्यों का गहरा वर्णन मिलता है। “रोज के टपके से पत्थर भी घिस जाते हैं” एक ऐसा ही मुहावरा है, जो लगातार प्रयास और धैर्य के महत्व को दर्शाता है।

अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है कि निरंतर प्रयास और समय के साथ, कठिन से कठिन कार्य भी संभव हो सकते हैं। जिस प्रकार निरंतर पानी की बूंदें पत्थर को भी घिस देती हैं, उसी प्रकार लगातार मेहनत से बड़ी से बड़ी चुनौतियों को भी पार किया जा सकता है।

प्रयोग: यह मुहावरा उन स्थितियों में प्रयोग किया जाता है, जब किसी को लंबे समय तक धैर्य और संघर्ष के साथ काम करने की आवश्यकता होती है। यह हमें सिखाता है कि धैर्य और निरंतर प्रयास से ही सफलता प्राप्त होती है।

उदाहरण:

-> एक छात्र जो गणित में कमजोर था, लेकिन उसने हर दिन अभ्यास किया। समय के साथ, उसकी मेहनत रंग लाई और वह गणित में उत्कृष्ट अंक प्राप्त करने लगा। उसकी सफलता इस मुहावरे का प्रत्यक्ष उदाहरण है।

निष्कर्ष: “रोज के टपके से पत्थर भी घिस जाते हैं” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि निरंतर प्रयास और धैर्य से किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। यह हमें प्रेरित करता है कि हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए और अपने लक्ष्य की ओर लगातार कदम बढ़ाते रहना चाहिए।

रोज के टपके से पत्थर भी घिस जाते हैं मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गांव में अनुभव नाम का एक युवक रहता था। अनुभव का सपना था कि वह एक दिन महान चित्रकार बने। लेकिन, वह चित्रकला में उतना पारंगत नहीं था। उसके चित्र अक्सर अधूरे और बिना जीवन के होते थे। इससे वह बहुत निराश होता था।

एक दिन, अनुभव ने अपने गुरु से अपनी चिंता साझा की। गुरु ने उसे “रोज के टपके से पत्थर भी घिस जाते हैं” मुहावरे के बारे में बताया और समझाया कि निरंतर प्रयास से ही वह अपने सपने को साकार कर सकता है।

अनुभव ने अपने गुरु की बातों को दिल से लगा लिया और चित्रकला में अपने प्रयास को दोगुना कर दिया। वह हर दिन घंटों अभ्यास करता, अपनी तकनीकों को सुधारता और नए नए प्रयोग करता। दिन बीतते गए, महीने बीतते गए और अनुभव की मेहनत रंग लाने लगी।

उसके चित्र अब जीवंत और प्रभावशाली होने लगे थे। उसकी कला में एक अद्भुत सुधार आया था। गांव के लोग उसकी कला की प्रशंसा करने लगे और धीरे-धीरे उसकी प्रतिष्ठा दूर-दूर तक फैलने लगी।

निष्कर्ष

अनुभव की कहानी हमें सिखाती है कि “रोज के टपके से पत्थर भी घिस जाते हैं”। निरंतर प्रयास और धैर्य के साथ, हम किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं और अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। अनुभव की तरह, हमें भी अपने लक्ष्य की ओर निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए, तभी हम अपने जीवन में सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं।

शायरी:

धैर्य की धरा पर, निरंतरता के बीज बोए,

“रोज के टपके से पत्थर भी घिस जाते हैं”, इस सच को सोचे।

हर बूंद में है ताकत, पत्थर को भी घिसने की,

जीवन की इस राह में, धैर्य ही सबसे बड़ी किस्मत है।

सपने जो दूर नज़र आएं, मंज़िल जो लगे अनजानी,

“रोज के टपके” से सीखो, हर मुश्किल है आसानी।

छोटी छोटी कोशिशें, बड़े बदलाव लाती हैं,

निरंतर प्रयास से ही, सपने सच हो जाते हैं।

जब भी थकान महसूस हो, और लगे कि तुम हारे,

याद रखना “रोज के टपके”, पत्थरों पर भी विजय पाते हैं।

 

रोज के टपके से पत्थर भी घिस जाते हैं शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of रोज के टपके से पत्थर भी घिस जाते हैं – Roj ke tapke se patthar bhi ghis jate hain Idiom:

Introduction: Hindi idioms deeply describe various situations and truths of life. “Roj ke tapke se patthar bhi ghis jate hain” is one such idiom that highlights the importance of continuous effort and patience.

Meaning: The meaning of this idiom is that with continuous effort and over time, even the most difficult tasks can become possible. Just as constant droplets of water can wear away stone, similarly, persistent hard work can overcome the greatest challenges.

Usage: This idiom is used in situations when someone needs to work with patience and struggle over a long period. It teaches us that success is achieved only through patience and continuous effort.

Example:

-> A student who was weak in mathematics but practiced every day. Over time, his hard work paid off, and he began to excel in mathematics. His success is a direct example of this idiom.

Conclusion: The idiom “Roj ke tapke se patthar bhi ghis jate hain” teaches us that any difficulty can be overcome with continuous effort and patience. It motivates us never to give up and to keep moving towards our goal continuously.

Story of ‌‌Roj ke tapke se patthar bhi ghis jate hain Idiom in English:

In a small village lived a young man named Anubhav. Anubhav dreamt of becoming a great painter one day. However, he was not very skilled in painting. His paintings often appeared incomplete and lifeless, which left him deeply disheartened.

One day, Anubhav shared his concerns with his mentor. The mentor told him about the idiom “Even stones wear away with the constant dripping of water” and explained that only through persistent effort could he realize his dream.

Anubhav took his mentor’s words to heart and doubled his efforts in painting. He practiced for hours every day, improving his techniques and experimenting with new ideas. As days and months passed, Anubhav’s hard work began to show results.

His paintings became vibrant and impressive. There was a remarkable improvement in his art. The villagers started appreciating his art, and gradually, his reputation spread far and wide.

Conclusion

Anubhav’s story teaches us that “Even stones wear away with the constant dripping of water.” With continuous effort and patience, we can overcome any difficulty and achieve our dreams. Like Anubhav, we too should persistently strive towards our goals, as that is the only way to reach the heights of success in our lives.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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