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रोग को जड़ खांसी, झगड़े की जड़ हांसी अर्थ, प्रयोग (Rog ko jad khansi, Jhagde ki jad hansi)

परिचय: हिन्दी मुहावरों और कहावतों में गहरी समझ और जीवन के अनुभव समाहित होते हैं। “रोग को जड़ खांसी, झगड़े की जड़ हांसी” एक ऐसी ही कहावत है, जो जीवन के दो महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाती है: स्वास्थ्य और संबंध।

अर्थ: इस कहावत का अर्थ है कि अक्सर बड़ी बीमारियां छोटी लक्षणों से शुरू होती हैं, जैसे खांसी; और बड़े झगड़े अक्सर छोटी बातों या हांसी से उत्पन्न होते हैं।

प्रयोग: यह कहावत उन परिस्थितियों में प्रयोग की जाती है जब छोटी और अप्रत्याशित चीजें बड़े परिणाम लेकर आती हैं। यह हमें सिखाती है कि हमें छोटी चीजों को भी गंभीरता से लेना चाहिए।

उदाहरण:

-> एक बार दो मित्र आपस में बैठे हुए थे। एक ने दूसरे का मजाक उड़ाया, जिसे सुनकर पहले ने हंसी में उत्तर दिया। लेकिन धीरे-धीरे यह हांसी एक बड़े झगड़े का रूप ले लिया।

निष्कर्ष: “रोग को जड़ खांसी, झगड़े की जड़ हांसी” कहावत हमें यह सिखाती है कि जीवन में छोटी चीजों को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए, चाहे वह हमारे स्वास्थ्य से संबंधित हो या हमारे संबंधों से। यह हमें सतर्क रहने और छोटे संकेतों को पहचानने की आवश्यकता का बोध कराती है, ताकि हम बड़ी समस्याओं से बच सकें।

रोग को जड़ खांसी, झगड़े की जड़ हांसी कहावत पर कहानी:

एक छोटे से गांव में अभय और अनुज नाम के दो अच्छे दोस्त रहते थे। वे बचपन से ही एक-दूसरे के साथ थे और उनकी दोस्ती गांव में मिसाल के तौर पर दी जाती थी। एक दिन, वे दोनों गांव के मेले में गए। मेले में बहुत रौनक थी और हर तरफ खुशी का माहौल था।

अभय ने अनुज के नए जूतों को देखकर उसका मजाक उड़ाया। पहले तो अनुज ने इसे हंसी में टाल दिया, लेकिन जब अभय ने बार-बार उसके जूतों का मजाक उड़ाया, तो अनुज को बुरा लगने लगा। हांसी हांसी में शुरू हुई यह बात धीरे-धीरे एक बड़े झगड़े में बदल गई। दोनों दोस्त एक-दूसरे से नाराज हो गए और कुछ दिनों तक बात नहीं की।

इस घटना ने उन दोनों को और उनके परिवारों को बहुत दुखी किया। बाद में, उनके गुरुजी ने उन्हें समझाया कि कैसे एक छोटी सी हांसी ने उनकी दोस्ती में दरार डाल दी। उन्होंने कहा, “रोग को जड़ खांसी, झगड़े की जड़ हांसी।” उन्होंने समझाया कि कैसे छोटी चीजें भी बड़े परिणाम ला सकती हैं और इसलिए हमें हमेशा सोच-समझकर बोलना चाहिए।

अभय और अनुज ने अपनी गलती महसूस की और एक-दूसरे से माफी मांगी। उन्होंने वादा किया कि वे भविष्य में अपने शब्दों का चुनाव सावधानी से करेंगे और अपनी दोस्ती को हमेशा सर्वोपरि रखेंगे।

निष्कर्ष

इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि “रोग को जड़ खांसी, झगड़े की जड़ हांसी” कहावत के अनुसार, छोटी चीजें भी बड़े प्रभाव डाल सकती हैं। हमें अपने व्यवहार और शब्दों के प्रति सचेत रहना चाहिए, ताकि हम अनजाने में किसी को दुखी न करें और अपने रिश्तों को मजबूत बनाए रखें।

शायरी:

खांसी से जन्मे रोग की, हांसी से जन्मे झगड़े,

जीवन की इस डगर में, छोटी चीज़ों के बड़े फेरे।

हंसी में छिपे तीखे तेवर, खांसी में छिपी बीमारी,

समझो इनके संकेतों को, बचो इनसे यारी-दुश्मनी सारी।

छोटी चिंगारी से लगे बड़ी आग,

हंसी जो बन जाए झगड़े की वजह, तो समझो लगी लाग।

हर हंसी नहीं होती खुशी की बात,

कभी-कभी बन जाती है दोस्ती में दरार की आघात।

जीवन के इस मेले में, सबकुछ है इम्तिहान,

“रोग को जड़ खांसी, झगड़े की जड़ हांसी” समझो तो बने जीवन आसान।

 

रोग को जड़ खांसी, झगड़े की जड़ हांसी शायरी

आशा है कि आपको इस कहावत की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of रोग को जड़ खांसी, झगड़े की जड़ हांसी – Rog ko jad khansi, Jhagde ki jad hansi proverb:

Introduction: Hindi idioms and proverbs encapsulate deep understanding and life experiences. “रोग को जड़ खांसी, झगड़े की जड़ हांसी” (A cough is the root of disease, laughter the root of conflict) is one such proverb that highlights two important aspects of life: health and relationships.

Meaning: The meaning of this proverb is that often, major illnesses start with minor symptoms, like a cough; and major conflicts often arise from small matters or laughter.

Usage: This proverb is used in situations when small and unexpected things bring about significant consequences. It teaches us that we should take even the small things seriously.

Example:

-> Once, two friends were sitting together. One made fun of the other, who responded with laughter. However, gradually, this laughter turned into a big fight.

Conclusion: The proverb “रोग को जड़ खांसी, झगड़े की जड़ हांसी” teaches us not to overlook the small things in life, whether they are related to our health or our relationships. It reminds us to be mindful of our actions and words, as they can have a larger impact than we might anticipate.

Story of ‌‌Rog ko jad khansi, Jhagde ki jad hansi Proverb in English:

In a small village, there lived two good friends named Abhay and Anuj. They had been together since childhood, and their friendship was considered exemplary in the village. One day, they both went to a fair in the village. The fair was bustling, and there was an atmosphere of joy everywhere.

Abhay teased Anuj about his new shoes. Initially, Anuj brushed it off with laughter, but when Abhay repeatedly mocked his shoes, Anuj started feeling bad. What started as laughter gradually turned into a big fight. Both friends became angry with each other and did not speak for several days.

This incident saddened both of them and their families. Later, their teacher explained how a small laugh had caused a rift in their friendship. He said, “A cough is the root of disease, laughter the root of conflict.” He explained how small things could lead to significant consequences and, therefore, we should always be careful about what we say.

Abhay and Anuj realized their mistake and apologized to each other. They promised that in the future, they would carefully choose their words and always prioritize their friendship.

Conclusion

This story teaches us that, according to the proverb “A cough is the root of disease, laughter the root of conflict,” small things can have a significant impact. We should be mindful of our behavior and words so that we do not inadvertently hurt someone and maintain strong relationships.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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