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रसरी आवत जात तै सिल पर परत निशान अर्थ, प्रयोग (Rasri aawat jaat te sil par parat nishan)

परिचय: हिन्दी मुहावरों की दुनिया अपने आप में बहुत विशाल है, और “रसरी आवत जात तै सिल पर परत निशान” इसी विशाल सागर का एक मोती है। इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है, रस्सी बार-बार रगड़ खाने से पत्थर पर भी निशान बना देती है।

अर्थ: इसका भावार्थ यह है कि निरंतर प्रयास और धैर्य के बल पर कोई भी कठिनाई पार की जा सकती है। यह मुहावरा दृढ़ संकल्प और लगातार मेहनत की महत्ता को दर्शाता है।

प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग अक्सर उन परिस्थितियों में किया जाता है, जहां लगातार मेहनत और प्रयास से सफलता प्राप्त होती है। यह व्यक्तियों को निराशा की स्थिति में आशा की किरण दिखाता है।

उदाहरण:

-> एक विद्यार्थी जो गणित में कमजोर था, उसने रोजाना अभ्यास किया। उसकी निरंतर मेहनत और धैर्य का परिणाम यह हुआ कि वह गणित में अव्वल आया। यहाँ पर “रसरी आवत जात तै सिल पर परत निशान” मुहावरे का प्रयोग कर सकते हैं।

निष्कर्ष: इस मुहावरे का संदेश बहुत ही स्पष्ट है। यह हमें बताता है कि कोई भी लक्ष्य कितना भी कठिन क्यों न हो, अगर हम निरंतर प्रयास करें और धैर्य रखें तो सफलता अवश्य मिलती है। यह मुहावरा हमें प्रेरित करता है कि हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।

रसरी आवत जात तै सिल पर परत निशान मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में प्रथम नाम का एक लड़का रहता था। प्रथम का सपना था कि वह एक दिन बड़ा वैज्ञानिक बने। लेकिन उसके रास्ते में एक बड़ी बाधा थी – उसकी गणित में रुचि नहीं थी और वह इस विषय में बहुत कमजोर था।

उसके शिक्षक ने उसे कहा, “प्रथम, तुम्हें अपने सपने को पूरा करने के लिए गणित में अच्छा होना पड़ेगा।” प्रथम ने अपने शिक्षक की बातों को दिल से लगाया और ठान लिया कि वह गणित में अच्छा बनकर रहेगा।

प्रथम ने गणित की तैयारी में जुट जाने का निश्चय किया। वह रोज सुबह जल्दी उठता और देर रात तक गणित की प्रैक्टिस करता। शुरुआत में तो उसे बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, पर उसने हार नहीं मानी।

महीनों की कड़ी मेहनत के बाद, प्रथम ने धीरे-धीरे गणित में सुधार देखना शुरू किया। उसके प्रयासों का फल तब मिला जब वह गणित में स्कूल टॉपर बना। उसकी सफलता ने सभी को चकित कर दिया।

प्रथम की कहानी ने साबित कर दिया कि “रसरी आवत जात तै सिल पर परत निशान”। अर्थात, निरंतर प्रयास और धैर्य के साथ, कोई भी अपनी कमजोरियों को दूर कर सफलता प्राप्त कर सकता है। प्रथम का दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत उसे उसके सपनों तक ले गई, और उसने सबको दिखा दिया कि किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है, बस लगातार प्रयास की जरूरत होती है।

शायरी:

धागों की मजबूती में, सिल सिला एक कहानी है,

रसरी जब चलती है, तो पत्थर भी गाने लगती है।

नहीं आसान यहाँ कुछ भी, ये सफर मानी है,

पर लगातार चलने से, हर मंजिल पानी है।

जिंदगी के इस मेले में, हर ख्वाब सजाने हैं,

रस्सी की तरह हमको, पत्थर पे निशान बनाने हैं।

जिसे देखो वो यहाँ, अपनी तकदीर लिखता जाए,

रसरी और सिल की कहानी से, हर दिल कुछ सीखता जाए।

मेहनत की रस्सी से, सपनों का जहाँ बुनते जाओ,

धीरज धरो, धारा के संग, पत्थर पे भी निशान छोड़ जाओ।

ये कहानी नहीं सिर्फ, ये जिंदगी का फलसफा है,

रसरी की तरह चलो, तो हर सिल पे निशान रह जाता है।

 

रसरी आवत जात तै सिल पर परत निशान शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of रसरी आवत जात तै सिल पर परत निशान – Rasri aawat jaat te sil par parat nishan Idiom:

Introduction: The world of Hindi idioms is vast in itself, and “रसरी आवत जात तै सिल पर परत निशान” (Continuous rubbing of the rope on stone makes a mark) is a pearl from this vast ocean. The literal meaning of this idiom is that a rope, by repeatedly rubbing against a stone, can leave a mark on it.

Meaning: Its implied meaning is that any difficulty can be overcome with persistent effort and patience. This idiom highlights the importance of determination and continuous hard work.

Usage: This idiom is often used in situations where success is achieved through continuous effort and hard work. It provides a ray of hope in situations of despair.

Example:

A student who was weak in mathematics practiced daily. The result of his continuous hard work and patience was that he excelled in mathematics. Here, the use of the idiom “रसरी आवत जात तै सिल पर परत निशान” can be seen.

Conclusion: The message of this idiom is very clear. It tells us that no matter how difficult a goal may be, success is assured if we continue to make persistent efforts and maintain patience. This idiom inspires us never to give up and to keep striving to achieve our dreams.

Story of ‌‌Rasri aawat jaat te sil par parat nishan Idiom in English:

In a small village lived a boy named Pratham. Pratham dreamed of becoming a great scientist one day. However, there was a significant obstacle in his path – he had no interest in mathematics and was very weak in the subject.

His teacher told him, “Pratham, to fulfill your dream, you will need to be good at mathematics.” Pratham took his teacher’s words to heart and resolved to excel in mathematics.

Pratham decided to dedicate himself to preparing for mathematics. He would wake up early every morning and practice math until late at night. Initially, he faced many difficulties, but he never gave up.

After months of hard work, Pratham gradually began to improve in mathematics. His efforts bore fruit when he became the school topper in math. His success surprised everyone.

Pratham’s story proved the idiom “Continuous effort and patience can overcome any weakness.” His determination and hard work led him to his dreams, and he showed everyone that any difficulty can be overcome with persistent effort.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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