परिचय: हिंदी भाषा के मुहावरे संस्कृति के साथ-साथ जीवन के प्रत्येक पहलू को स्पर्श करते हैं। “पूरी नहीं तो आधी भली” ऐसा ही एक प्रचलित मुहावरा है जो जीवन में समझौते की महत्वपूर्णता को दर्शाता है।
अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है कि अगर किसी काम को पूरी तरह से नहीं किया जा सकता, तो उसे आंशिक रूप से करना भी अच्छा है। यह यह दर्शाता है कि थोड़ा पाना भी कुछ न पाने से बेहतर है।
प्रयोग: यह मुहावरा उन स्थितियों में इस्तेमाल होता है जहाँ पूर्णता संभव न हो। यह जीवन में यथार्थवादी और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने की सिख देता है।
उदाहरण:
-> “मैं चाहता तो पूरा कोर्स करना था, लेकिन समयाभाव के कारण सिर्फ आधा ही कर पाया। पर ठीक है, पूरी नहीं तो आधी भली।”
-> “उसने सोचा था कि वह पूरी दौड़ दौड़ेगी, पर चोट के कारण आधी ही दौड़ पाई। फिर भी, पूरी नहीं तो आधी भली।”
निष्कर्ष: “पूरी नहीं तो आधी भली” मुहावरा हमें सिखाता है कि जीवन में सभी चीजें पूरी तरह से नहीं हो सकतीं और कभी-कभी आंशिक सफलता भी महत्वपूर्ण होती है। यह मुहावरा हमें यह भी बताता है कि किसी भी स्थिति में आशावादी रहना और जो उपलब्ध है उसे स्वीकार करना चाहिए।
पूरी नहीं तो आधी भली मुहावरा पर कहानी:
एक छोटे से गाँव में अनुज नाम का एक लड़का रहता था। अनुज का सपना था एक बड़ा वैज्ञानिक बनने का। उसने इसके लिए बहुत मेहनत की और विज्ञान की पढ़ाई में अपना समय लगाया।
एक दिन, उसे पता चला कि शहर की एक प्रतिष्ठित विज्ञान अकादमी में छात्रवृत्ति के लिए प्रतियोगिता हो रही है। अनुज ने इसमें भाग लेने का फैसला किया। उसने दिन-रात एक करके तैयारी की, लेकिन जब परिणाम आए, तो वह सिर्फ आधा ही सफल हो पाया। उसे छात्रवृत्ति तो नहीं मिली, लेकिन उसका चयन एक विशेष शोध प्रोजेक्ट के लिए हो गया।
अनुज पहले तो निराश हुआ, लेकिन फिर उसने सोचा, “पूरी नहीं तो आधी भली।” उसने इस अवसर को स्वीकार किया और उस शोध प्रोजेक्ट में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। उसकी मेहनत और लगन ने उसे उस फील्ड में एक पहचान दिलाई।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में कभी-कभी हमें पूर्ण सफलता नहीं मिल पाती, लेकिन आंशिक सफलता भी महत्वपूर्ण होती है। “पूरी नहीं तो आधी भली” का मतलब है कि हमें हमेशा उपलब्ध अवसरों का सर्वोत्तम उपयोग करना चाहिए और आशावादी रहना चाहिए।
शायरी:
जिंदगी की राहों में, जब पूरी खुशियाँ ना मिले,
“पूरी नहीं तो आधी भली”, ये सोच हर गम को छिले।
आधा चाँद भी रात को, अपनी रौशनी से सजाता है,
आंशिक खुशियाँ भी जीवन में, पूर्णता का एहसास कराता है।
जो मिला है उसमें खुश रहना, जीवन की इस कला को समझो,
“पूरी नहीं तो आधी भली”, इस सच्चाई में दिल बहलो।
पूर्णता की चाह में, जो आधी खुशी खो देते हैं,
वे जीवन के सच्चे सुख से, अनजाने में रो देते हैं।
आधी ही सही पर खुशियाँ, जीवन में उम्मीद जगाती हैं,
“पूरी नहीं तो आधी भली”, यह सीख हमें आगे बढ़ाती हैं।
इसलिए जीवन में, हर छोटी खुशी को गले लगाओ,
“पूरी नहीं तो आधी भली”, इस मंत्र को अपनाओ।
आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।
Hindi to English Translation of पूरी नही तो आधी भली – Poori nahi to aadhi bhali Idiom:
Introduction: Hindi idioms touch upon culture as well as every aspect of life. “पूरी नहीं तो आधी भली” is one such prevalent idiom that illustrates the importance of compromise in life.
Meaning: The meaning of this idiom is that if a task cannot be completed fully, it is still good to do it partially. It conveys that getting something is better than getting nothing at all.
Usage: This idiom is used in situations where perfection is not possible. It teaches adopting a realistic and practical approach in life.
Example:
-> “I wanted to complete the entire course, but due to lack of time, I could only do half. But it’s okay, better half than none.”
-> “She thought she would run the entire race, but due to an injury, she could only run half. Still, better half than none.”
Conclusion: The idiom “पूरी नहीं तो आधी भली” teaches us that not everything in life can be complete, and sometimes partial success is also important. This idiom also tells us that we should remain optimistic in any situation and accept what is available.
Story of Poori nahi to aadhi bhali Idiom in English:
In a small village, there was a boy named Anuj. Anuj dreamed of becoming a great scientist. He worked hard and dedicated his time to studying science.
One day, he learned about a competition for a scholarship at a prestigious science academy in the city. Anuj decided to participate. He prepared day and night, but when the results came out, he was only partially successful. He didn’t receive the scholarship, but he was selected for a special research project.
Initially, Anuj was disappointed, but then he thought, “Better half than none.” He accepted the opportunity and showcased his abilities in the research project. His hard work and dedication earned him recognition in the field.
This story teaches us that sometimes we don’t achieve complete success in life, but partial success is also important. “Better half than none” means that we should always make the best use of available opportunities and remain optimistic.
I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly
FAQs:
क्या “पूरी नहीं तो आधी भली” मुहावरा सकारात्मकता को दर्शाता है?
हां, यह मुहावरा सकारात्मकता को दर्शाता है। यह यह सुझाव देता है कि स्थितियों को सकारात्मक रूप से देखना चाहिए और जो भी उपलब्ध है, उसे स्वीकार करना चाहिए, भले ही वह पूर्ण न हो।
इस मुहावरे की उत्पत्ति कैसे हुई?
इस मुहावरे की विशेष उत्पत्ति के बारे में सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन यह जीवन में व्यावहारिकता और आशावाद की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए विकसित हुआ प्रतीत होता है।
आधुनिक समाज में इस मुहावरे का क्या महत्व है?
आधुनिक समाज में यह मुहावरा व्यक्तियों को यह सिखाने में महत्वपूर्ण है कि हमेशा सब कुछ पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं होता और आंशिक लाभ या सफलता को भी सकारात्मक रूप से स्वीकार करना चाहिए।
“पूरी नहीं तो आधी भली” मुहावरे से क्या सीख मिलती है?
इस मुहावरे से सीख मिलती है कि जीवन में हमेशा सब कुछ पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं होता, इसलिए हमें जो भी मिलता है उसे स्वीकार करना चाहिए और उसकी सराहना करनी चाहिए, भले ही वह पूर्ण न हो।
क्या यह मुहावरा लचीलापन और अनुकूलनशीलता की महत्वता को बताता है?
हां, “पूरी नहीं तो आधी भली” मुहावरा लचीलापन और अनुकूलनशीलता की महत्वता को बताता है। यह सिखाता है कि स्थितियाँ हमेशा अनुकूल नहीं होतीं, इसलिए हमें जो कुछ भी मिलता है, उसमें संतोष और सकारात्मकता खोजनी चाहिए।
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