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पूँछ पकड़कर चलना अर्थ, प्रयोग (Poonch pakad kar chalna)

परिचय: “पूँछ पकड़कर चलना” भारतीय हिंदी भाषा का एक लोकप्रिय मुहावरा है। इसका प्रयोग अक्सर उन स्थितियों में होता है जहाँ कोई व्यक्ति दूसरों की अंधाधुंध अनुकरण या अनुसरण करता है।

अर्थ: “पूँछ पकड़कर चलना” का अर्थ है किसी का आँख मूंदकर अनुसरण करना या बिना सोचे-समझे किसी के पीछे चलना। इस मुहावरे में ‘पूँछ पकड़कर चलने’ का भाव है कि कोई बिना अपनी बुद्धि का प्रयोग किए किसी दूसरे की अंधी नकल कर रहा है।

प्रयोग: यह मुहावरा आमतौर पर तब प्रयोग में आता है जब हमें यह दर्शाना हो कि कोई व्यक्ति स्वतंत्र विचार या निर्णय नहीं कर रहा है बल्कि किसी दूसरे की नकल कर रहा है।

उदाहरण:

-> “नियांत हमेशा अपने बड़े भाई की पूँछ पकड़कर चलता है, चाहे वो कुछ भी करें।”

-> “मुनीश ने बिना सोचे-समझे अपने मित्र के व्यापारिक फैसलों की पूँछ पकड़कर चलना शुरू कर दिया।”

निष्कर्ष: मुहावरा “पूँछ पकड़कर चलना” हमें यह सिखाता है कि आँख मूंदकर किसी का अनुसरण करने से बेहतर है कि हम अपनी बुद्धि का प्रयोग करें और स्वतंत्र निर्णय लें। यह हमें आत्मनिर्भरता और स्वतंत्र विचारशीलता की ओर प्रेरित करता है।

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पूँछ पकड़कर चलना मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में अमन नाम का एक लड़का रहता था। अमन बहुत ही सरल और भोला था। वह हमेशा अपने दोस्त शुभ की नकल करता था, चाहे वह कुछ भी करे।

एक दिन शुभ ने एक नया शौक पकड़ा – पतंगबाजी। अमन ने भी बिना सोचे-समझे पतंगबाजी शुरू कर दी, यहाँ तक कि उसने अपनी जमा-पूंजी भी पतंगों पर खर्च कर दी। लेकिन अमन को पतंग उड़ाने का कोई अनुभव नहीं था, और वह बार-बार असफल हो रहा था।

गाँव वाले देखकर कहते, “देखो अमन को, हमेशा शुभ की पूँछ पकड़कर चलता है। उसे खुद के लिए सोचना सीखना चाहिए।”

एक दिन अमन की पतंग एक पेड़ में फंस गई और वह गिरकर चोटिल हो गया। इस हादसे के बाद, अमन को समझ आया कि बिना सोचे-समझे शुभ की नकल करना कितना गलत था।

अमन ने फैसला किया कि अब वह खुद की सोच और समझ से काम लेगा। उसने अपनी रुचि के अनुसार एक नया शौक चुना और उसमें सफल भी हुआ।

यह कहानी “पूँछ पकड़कर चलना” मुहावरे के अर्थ को स्पष्ट करती है। यह हमें बताती है कि आँख मूंदकर किसी का अनुसरण करने के बजाय, हमें अपनी बुद्धि और समझ से काम लेना चाहिए। यह हमें आत्मनिर्भरता और स्वतंत्र निर्णय लेने की ओर प्रेरित करता है।

शायरी:

चलता रहा मैं पूँछ पकड़कर, खुद की राह भूल,

जिंदगी की डगर में, बना रहा खुद को मझधार का फूल।

उसकी राहों पर चलने का, मैंने किया था अंधा चुनाव,

मेरी हर कदम पे थी, उसके पदचापों की छाप।

क्या मिला मुझे इस चक्कर में, सिवाय खुद की खोज से भटकने के,

उसकी छाया में चलते-चलते, खुद की पहचान तक रह गई बकने के।

अब जागा हूँ मैं इस ख्वाब से, चुनूँगा अपनी राह,

नहीं चलूँगा अब किसी की पूँछ पकड़कर, होगी अपनी चाल।

खुद की तलाश में निकला हूँ, तोड़ कर बंधन सभी,

अब मेरी राह है मेरी, नहीं किसी की पूँछ की गली।

 

पूँछ पकड़कर चलना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of पूँछ पकड़कर चलना – Poonch pakad kar chalna Idiom:

Introduction: “पूँछ पकड़कर चलना” is a popular idiom in the Indian Hindi language. It is often used in situations where a person blindly imitates or follows others.

Meaning: The meaning of “पूँछ पकड़कर चलना” is to follow someone blindly or without thinking. This idiom implies that someone is imitating another person without using their own intelligence or understanding.

Usage: This idiom is commonly used to indicate that a person is not thinking independently or making their own decisions but instead is copying someone else.

Example:

-> “Nityant always follows his older brother blindly, whatever he does.”

-> “Munish started following his friend’s business decisions without thinking.”

Conclusion: The idiom “पूँछ पकड़कर चलना” teaches us that it is better to use our own intelligence and make independent decisions rather than blindly following someone. It encourages self-reliance and independent thinking.

Story of ‌‌Poonch pakad kar chalna Idiom in English:

In a small village, there lived a boy named Aman. Aman was very simple and naive. He always imitated his friend Shubh, whatever he did.

One day, Shubh took up a new hobby – kite flying. Without thinking, Aman also started flying kites and even spent all his savings on them. However, Aman had no experience in kite flying and kept failing.

The villagers, seeing this, said, “Look at Aman, always following Shubh blindly. He should learn to think for himself.”

One day, Aman’s kite got stuck in a tree, and he fell and got injured. After this incident, Aman realized how wrong it was to blindly imitate Shubh without thinking.

Aman decided that he would now work with his own thoughts and understanding. He chose a new hobby according to his interest and was successful in it.

This story clarifies the meaning of the idiom “पूँछ पकड़कर चलना.” It tells us that instead of blindly following someone, we should use our intelligence and understanding. It encourages us towards self-reliance and making independent decisions.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस मुहावरे का कोई विरोधी अर्थ है?

नहीं, “पूँछ पकड़कर चलना” का कोई विरोधी अर्थ नहीं है।

क्या इस मुहावरे का कोई विशेष इतिहास है?

इस मुहावरे का प्रारंभिक उपयोग वास्तव में चारों ओर बढ़ते हुए समाज के संगठन और सहायता के प्राथमिक ढंग का वर्णन करता है।

क्या इस मुहावरे का कोई संदर्भ है?

हां, यह मुहावरा सामाजिक, आर्थिक, या राजनीतिक संदर्भों में उपयोग किया जा सकता है, जब किसी को सहारा और समर्थन की आवश्यकता होती है।

क्या इस मुहावरे का कोई अन्य संबंध है?

नहीं, यह मुहावरा किसी और संबंध में नहीं है, बल्कि सहारा और समर्थन के संदर्भ में है।

क्या इस मुहावरे का कोई धार्मिक या सामाजिक पर्याय है?

हां, इस मुहावरे का उपयोग धार्मिक और सामाजिक संगठनों में सहायता और समर्थन के लिए किया जा सकता है।

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