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पानी पी-पीकर कोसना अर्थ, प्रयोग (Pani pi-pikar kosna)

परिचय: “पानी पी-पीकर कोसना” यह भारतीय हिंदी भाषा का एक लोकप्रिय मुहावरा है। इस मुहावरे का उपयोग अक्सर उस स्थिति में किया जाता है जहाँ कोई व्यक्ति बिना किसी ठोस कारण के लगातार दूसरे व्यक्ति की आलोचना करता है।

अर्थ: इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है किसी को बार-बार और अनावश्यक रूप से बुरा-भला कहना। यहाँ पानी पी-पीकर कोसने का तात्पर्य है कि किसी के प्रति नकारात्मक भावना इतनी गहरी हो गई है कि रोजमर्रा के कामों में भी उसके बारे में बुरा सोचा जाता है।

प्रयोग: इस मुहावरे का उपयोग अक्सर किसी व्यक्ति की अत्यधिक आलोचनात्मक प्रवृत्ति को दर्शाने के लिए किया जाता है। यह बताता है कि कैसे कुछ लोग किसी के प्रति इतना गहरा द्वेष रखते हैं कि हर समय, हर परिस्थिति में उन्हें केवल बुरा ही बुरा नजर आता है।

उदाहरण:

-> सुरेंद्र हमेशा अपने पड़ोसी के बारे में बुरा-भला कहता रहता है, लगता है वह पानी पी-पीकर उसको कोसता है।

-> विनीता अपने सहकर्मी की छोटी-छोटी गलतियों पर भी इतना गुस्सा करती है, मानो वह पानी पी-पीकर उसे कोसती हो।

निष्कर्ष: “पानी पी-पीकर कोसना” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि अत्यधिक नकारात्मकता और आलोचना किसी भी स्थिति या रिश्ते को खराब कर सकती है। यह एक प्रकार की मानसिकता को दर्शाता है जो स्थायी रूप से नकारात्मक और असंतोषपूर्ण होती है। इसलिए, यह जरूरी है कि हम इस तरह के व्यवहार से बचें और सकारात्मकता की ओर अग्रसर हों।

Hindi Muhavare Quiz

पानी पी-पीकर कोसना मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में प्रेमचंद्र नाम का एक किसान रहता था। प्रेमचंद्र का स्वभाव बहुत ही नकारात्मक था। वह अपने पड़ोसी सुरेश के प्रति विशेष रूप से बहुत नकारात्मक था। चाहे सुरेश कितना भी अच्छा काम क्यों न करे, प्रेमचंद्र हमेशा उसकी आलोचना करता रहता। गाँव वाले भी कहते, “प्रेमचंद्र तो पानी पी-पीकर सुरेश को कोसता है।”

एक दिन गाँव में बड़ी बाढ़ आ गई। सबकुछ जलमग्न हो गया। इस आपदा में प्रेमचंद्र का घर और फसल भी नष्ट हो गए। प्रेमचंद्र और उसका परिवार बहुत परेशान हो गया। लेकिन इस कठिन समय में सुरेश ने आगे आकर प्रेमचंद्र की मदद की। उसने प्रेमचंद्र के परिवार को अपने घर में शरण दी, खाना और जरूरी सामग्री मुहैया कराई।

प्रेमचंद्र यह देखकर अचंभित और शर्मिंदा हुआ। उसे अहसास हुआ कि उसकी नकारात्मकता और आलोचना बिल्कुल अनुचित थी। सुरेश के इस नेक काम से प्रेमचंद्र की सोच में बड़ा परिवर्तन आया। उसने सुरेश से माफी मांगी और दोनों बहुत अच्छे मित्र बन गए।

प्रेमचंद्र ने सीखा कि “पानी पी-पीकर किसी को कोसना” सिर्फ समय की बर्बादी है और यह हमेशा नकारात्मकता को बढ़ावा देता है। उस दिन से प्रेमचंद्र ने सकारात्मक सोच अपनाई और अपने गाँव में एक समझदार और सहयोगी व्यक्ति के रूप में जाना जाने लगा।

और इस प्रकार, प्रेमचंद्र की कहानी ने सिखाया कि नकारात्मकता की जगह सकारात्मकता और सहयोग जीवन को बेहतर बनाते हैं।

शायरी:

वो पानी पी-पीकर हमें कोसते रहे,

हम अपने रास्ते पे बढ़ते रहे।

कहा उन्होंने, ‘बुरा है ये ज़माना,’

हमने मुस्कुराकर कहा, ‘बदलता है फसाना।’

गिला शिकवा छोड़, खुशियों को अपनाया,

ज़िंदगी का हर पल, फूलों सा महकाया।

उनकी नफरत में भी, प्यार का रंग ढूंढा,

जीने की राह में, हर खुशी को चुना।

कहते हैं दुनिया, ‘इस अंदाज़ पे क्या कहना,’

हम हंसते हैं, ‘राहत की बातें हैं ये, सुनना।’

बारिश की बूँदों में, प्यास का सफर देखा,

जिन्होंने कोसा हमें, उनमें भी सच्चाई का असर देखा।

तोड़ दिया हमने, शिकवा और गिले का दर,

जियेंगे हम खुलकर, इस खूबसूरत सफर पर।

 

पानी पी-पीकर किसी को कोसना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of पानी पी-पीकर कोसना – Pani pi-pikar kosna Idiom:

Introduction: “पानी पी-पीकर कोसना” (Cursing someone while drinking water) is a popular idiom in the Hindi language. This idiom is often used in situations where a person constantly criticizes another without any solid reason.

Meaning: The literal meaning of this idiom is to unnecessarily and repeatedly speak ill of someone. The implication of ‘cursing someone while drinking water’ is that the negative feelings towards someone have become so deep that even during routine activities, one thinks badly about them.

Usage: This idiom is frequently used to describe someone’s excessively critical nature. It illustrates how some people harbor such deep resentment towards someone that they always perceive them negatively, in every situation and circumstance.

Example:

-> “Surendra always speaks ill of his neighbor; it seems like he curses him even while drinking water.”

-> “Vineeta gets so angry over the smallest mistakes of her coworker, as if she curses her while drinking water.”

Conclusion: The idiom “पानी पी-पीकर कोसना” teaches us that excessive negativity and criticism can spoil any situation or relationship. It represents a mindset that is persistently negative and dissatisfied. Therefore, it is essential that we avoid such behavior and move towards positivity.

Story of ‌‌Pani pi-pikar kosna Idiom in English:

In a small village, there lived a farmer named Premchandra. Premchandra had a very negative attitude, especially towards his neighbor, Suresh. No matter how good Suresh’s deeds were, Premchandra always criticized him. The villagers even said, “Premchandra curses Suresh while drinking water.”

One day, a great flood struck the village. Everything was submerged underwater. In this disaster, Premchandra’s house and crops were destroyed. Premchandra and his family were deeply troubled. However, during this difficult time, Suresh stepped forward to help Premchandra. He provided shelter for Premchandra’s family in his own home, along with food and essential supplies.

Seeing this, Premchandra was astonished and ashamed. He realized that his negativity and criticism were completely unjustified. Suresh’s kind act brought a significant change in Premchandra’s mindset. He apologized to Suresh, and the two became good friends.

Premchandra learned that “cursing someone while drinking water” is just a waste of time and always promotes negativity. From that day on, Premchandra adopted a positive outlook and became known in the village as a wise and cooperative person.

Thus, Premchandra’s story taught that positivity and cooperation, rather than negativity, make life better.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या “पानी पी-पीकर कोसना” नकारात्मक भावनाओं को दर्शाता है?

हां, यह मुहावरा नकारात्मक भावनाओं जैसे कि क्रोध, असंतोष या ईर्ष्या को दर्शाता है और यह बताता है कि कोई व्यक्ति किसी के प्रति लगातार नकारात्मक भाव रखता है।

इस मुहावरे की उत्पत्ति कैसे हुई?

इस मुहावरे की विशेष उत्पत्ति के बारे में जानकारी स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह मानव स्वभाव और समाज में नकारात्मक भावनाओं के प्रचलन से उपजा प्रतीत होता है।

“पानी पी-पीकर कोसना” मुहावरे का आधुनिक समाज में क्या महत्व है?

आधुनिक समाज में यह मुहावरा सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर व्यक्तियों द्वारा किए गए निरंतर और अनावश्यक आलोचना को दर्शाने के लिए प्रासंगिक हो सकता है।

“पानी पी-पीकर कोसना” मुहावरे से क्या सीख मिलती है?

इस मुहावरे से यह सीख मिलती है कि लगातार और अनावश्यक आलोचना करना नकारात्मक और अनुचित है, और हमें दूसरों के प्रति अधिक सहनशील और सकारात्मक होना चाहिए।

क्या “पानी पी-पीकर कोसना” मुहावरे का प्रयोग सकारात्मक संदर्भ में भी हो सकता है?

आमतौर पर, यह मुहावरा नकारात्मक संदर्भ में ही उपयोग किया जाता है। हालांकि, यह लोगों को अपने व्यवहार के प्रति जागरूक करने और अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है।

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