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पहले तोलो, फिर बोलो अर्थ, प्रयोग (Pahle Tolo, Fir Bolo)

पहले तोलो, फिर बोलो – यह एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है जो संवाद और व्यवहार के तरीके पर जोर देता है। आइए इस मुहावरे के अर्थ, प्रयोग, और उदाहरणों के माध्यम से इसके विभिन्न पहलुओं को समझते हैं।

परिचय: “पहले तोलो, फिर बोलो” एक लोकप्रिय हिंदी मुहावरा है, जिसका उपयोग विचार और वाणी की सावधानी को दर्शाने के लिए किया जाता है। यह मुहावरा बताता है कि बोलने से पहले विचार करना चाहिए।

अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है कि बोलने से पहले अपने शब्दों और विचारों का वजन कर लेना चाहिए। इसका मतलब है कि किसी भी बात को कहने से पहले उसके परिणामों पर विचार करना चाहिए।

प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग अक्सर उस समय किया जाता है जब किसी व्यक्ति को विचारशील और संयमित रहने की सलाह देनी होती है, खासकर तब जब बातचीत में संवेदनशील या महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल होते हैं।

उदाहरण:

-> जब राजनीतिक नेता ने जल्दबाजी में एक विवादित बयान दिया, तो उसके सलाहकार ने कहा, “पहले तोलो, फिर बोलो।”

-> एक शिक्षक ने अपने छात्रों को समझाया, “सोच-समझकर बात करो, ‘पहले तोलो, फिर बोलो’ – यह सुनहरा नियम है।”

निष्कर्ष: “पहले तोलो, फिर बोलो” यह मुहावरा हमें यह सिखाता है कि शब्दों का वजन और उनके परिणामों पर विचार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मुहावरा सोच-समझकर बोलने की महत्वता को रेखांकित करता है, जिससे अनावश्यक गलतफहमियाँ और समस्याएँ कम हो सकती हैं। यह संवाद की कला में सूझबूझ और संयमित रवैये की ओर संकेत करता है।

Hindi Muhavare Quiz

पहले तोलो, फिर बोलो मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से शहर में अनुज नाम का एक युवक रहता था। अनुज बहुत ही जल्दबाजी में बिना सोचे-समझे अपनी राय देने के लिए जाना जाता था। एक दिन उसके शहर में एक बड़ी घटना हुई। एक व्यापारी पर किसी ने चोरी का आरोप लगाया। अनुज ने तुरंत ही बिना पूरी जानकारी के उस व्यापारी के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया।

शहर में अनुज की बातें जल्दी ही फैल गईं, और लोग व्यापारी के खिलाफ हो गए। लेकिन जब पुलिस ने जांच की, तो पता चला कि व्यापारी निर्दोष था और असली चोर कोई और था। यह खबर जानकर अनुज को बहुत पछतावा हुआ। उसने महसूस किया कि उसकी जल्दबाजी और बिना सोचे-समझे बोलने की आदत ने किसी निर्दोष व्यक्ति को कितनी परेशानी में डाल दिया था।

अनुज ने उस दिन से “पहले तोलो, फिर बोलो” के मुहावरे का महत्व समझा। उसने फैसला किया कि वह आगे से किसी भी बात पर अपनी राय देने से पहले उसे अच्छी तरह से तोलेगा और सोच-समझकर बोलेगा।

इस कहानी के माध्यम से हमें “पहले तोलो, फिर बोलो” मुहावरे का महत्व समझ में आता है। यह मुहावरा हमें सिखाता है कि किसी भी बात को बोलने से पहले उसके परिणामों पर विचार करना चाहिए और तब ही अपनी राय व्यक्त करनी चाहिए। यह संवाद की कला में सोच-समझकर बोलने की महत्वता को दर्शाता है।

शायरी:

बातों का सफर यूँ ही नहीं तय होता,
‘पहले तोलो, फिर बोलो’, यही असल रहबर होता।
लफ्ज़ों के बाज़ार में, हर बात की कीमत होती है,
जो बिना सोचे बोलते हैं, उनकी खुद की हीमत होती है।

हर शब्द तराजू पर तोला जाता है,
जब दिल से दिल की बात बोला जाता है।
जिन बोलों में वजन होता है,
वही तो दिलों में बसन होता है।

‘पहले तोलो, फिर बोलो’, यही सीख है जीवन की,
जिसने यह जान लिया, समझो उसने पाई ज्ञान की गहराई।
शब्दों की ताकत में, छुपा हुआ सारा जहान होता है,
इसीलिए हर शब्द पहले तोलो, फिर उसे आसमान में छोड़ो।

 

पहले तोलो, फिर बोलो शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of पहले तोलो, फिर बोलो – Pahle Tolo, Fir Bolo Idiom:

“Pahle Tolo, Fir Bolo” – This is a common Hindi idiom that emphasizes the method of communication and behavior. Let’s delve into this idiom and understand its meaning, usage, and examples.

Introduction: “Measure First, Then Speak” is a popular Hindi idiom used to demonstrate the caution needed in thoughts and speech. This idiom suggests that one should think before speaking.

Meaning: The meaning of this idiom is to weigh your words and thoughts before speaking. It means that one should consider the consequences of their words before saying anything.

Usage: This idiom is often used when advising someone to be thoughtful and restrained, especially when sensitive or important issues are involved in a conversation.

Example:

-> When a political leader hastily made a controversial statement, his advisor said, “Measure First, Then Speak.”

-> A teacher explained to his students, “Speak thoughtfully, ‘Measure First, Then Speak’ – this is a golden rule.”

Conclusion: The idiom “Pahle Tolo, Fir Bolo” teaches us that weighing one’s words and considering their consequences is extremely important. It underscores the importance of speaking thoughtfully to avoid unnecessary misunderstandings and problems. This idiom points towards a wise and restrained approach in the art of conversation.

Story of ‌‌Pahle Tolo, Fir Bolo Idiom in English:

In a small town, there lived a young man named Anuj, who was known for giving his opinions hastily without thinking. One day, a significant incident occurred in his town. A merchant was accused of theft. Anuj immediately started speaking against the merchant without having full information.

Anuj’s words quickly spread throughout the town, and people turned against the merchant. However, when the police investigated, it was found that the merchant was innocent and the real thief was someone else. Realizing this, Anuj felt deep remorse. He recognized that his impulsiveness and habit of speaking without thinking had caused trouble for an innocent person.

From that day, Anuj understood the importance of the idiom “Measure First, Then Speak.” He decided that in the future, he would weigh his words carefully and speak thoughtfully before giving his opinion on any matter.

This story illustrates the importance of the idiom “Measure First, Then Speak.” It teaches us that we should consider the consequences of our words before speaking. The idiom highlights the importance of speaking thoughtfully in the art of conversation.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

कार्यस्थल पर “पहले तोलो, फिर बोलो” मुहावरे का महत्व क्या है?

कार्यस्थल पर, यह मुहावरा टीम के सदस्यों और वरिष्ठों के साथ संवाद करते समय विचारशीलता और सम्मान की महत्वपूर्णता को रेखांकित करता है, जिससे गलतफहमियों और संघर्षों को कम किया जा सके।

इस मुहावरे का सामाजिक मीडिया पर क्या प्रभाव हो सकता है?

सोशल मीडिया पर, यह सलाह देता है कि हमें अपनी पोस्ट या टिप्पणी करने से पहले सोच-समझकर कार्य करना चाहिए, क्योंकि एक बार साझा किए गए शब्दों को वापस नहीं लिया जा सकता।

बच्चों को “पहले तोलो, फिर बोलो” का महत्व कैसे समझाएं?

बच्चों को इस मुहावरे का महत्व समझाने के लिए, हम उन्हें उदाहरणों और कहानियों के माध्यम से दिखा सकते हैं कि कैसे शब्दों का सोच समझकर प्रयोग उनके संबंधों और संवाद में सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

इस मुहावरे का नेतृत्व और प्रबंधन में क्या महत्व है?

नेतृत्व और प्रबंधन में, यह मुहावरा नेताओं को यह सलाह देता है कि वे अपने विचारों और आदेशों को संवेदनशीलता और समझदारी से प्रस्तुत करें, जिससे टीम के मनोबल और सहयोग को बढ़ावा मिले।

“पहले तोलो, फिर बोलो” का अभ्यास कैसे किया जा सकता है?

इस मुहावरे का अभ्यास करने के लिए, हम अपने विचारों को धैर्यपूर्वक सोचने, उन्हें आत्म-संशोधित करने और संवाद करने से पहले उनके प्रभावों पर विचार करने का प्रयास कर सकते हैं।

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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