परिचय: “पासंग बराबर भी न होना” भारतीय हिंदी भाषा में एक प्रचलित मुहावरा है। यह मुहावरा प्रायः उन परिस्थितियों में प्रयुक्त होता है जहां किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थिति की तुलना में दूसरी वस्तु, व्यक्ति या स्थिति काफी हीन या अपर्याप्त प्रतीत होती है।
अर्थ: “पासंग बराबर भी न होना” का अर्थ है कि कुछ भी तुलना में बहुत कम या नगण्य होना। यह मुहावरा तब इस्तेमाल होता है जब किसी चीज़ की गुणवत्ता या महत्व किसी अन्य चीज़ की तुलना में बहुत कम हो।
प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग आमतौर पर तुलना करते समय किया जाता है, जब हमें यह दर्शाना हो कि एक चीज दूसरे की तुलना में काफी अधिक हीन है।
उदाहरण:
-> “विकास की बुद्धिमत्ता और अनुभव के सामने राहुल का ज्ञान पासंग बराबर भी नहीं है।”
-> “इस बड़ी कंपनी के सामने हमारा छोटा सा स्टार्टअप पासंग बराबर भी नहीं है।”
निष्कर्ष: मुहावरा “पासंग बराबर भी न होना” हमें बताता है कि कई बार चीजें या व्यक्ति तुलना में इतने अलग होते हैं कि उनकी तुलना करना ही बेमानी होता है। यह हमें सिखाता है कि प्रत्येक व्यक्ति या चीज की अपनी एक विशिष्टता और महत्व होता है।
पासंग बराबर भी न होना मुहावरा पर कहानी:
एक छोटे से गांव में अनुभव और विशाल नामक दो लड़के रहते थे। अनुभव एक सामान्य परिवार से था और विशाल एक धनी परिवार का बेटा था। दोनों के बीच एक प्रतिस्पर्धा सी चलती रहती थी।
गांव में एक दिन एक खेल प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। अनुभव और विशाल दोनों ने इसमें भाग लिया। विशाल के पास अच्छे खेल उपकरण और प्रशिक्षण की सुविधा थी, जबकि अनुभव के पास ये सब नहीं था।
प्रतियोगिता शुरू होने पर, अनुभव ने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया, लेकिन विशाल के आधुनिक उपकरण और बेहतर प्रशिक्षण के आगे वह पिछड़ गया। गांव के लोगों ने कहा, “अनुभव की तैयारी विशाल के सामने पासंग बराबर भी नहीं है।”
विशाल ने प्रतियोगिता जीती, लेकिन उसे एहसास हुआ कि अनुभव ने अपनी सीमित संसाधनों के बावजूद बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। विशाल ने अनुभव की प्रशंसा की और उसे अपने साथ प्रशिक्षण लेने का निमंत्रण दिया।
अनुभव ने यह प्रस्ताव स्वीकार किया और दोनों ने मिलकर आगे की प्रतियोगिताओं के लिए अभ्यास किया।
यह कहानी हमें सिखाती है कि “पासंग बराबर भी न होना” मुहावरा तब प्रयोग में आता है जब दो चीजों की तुलना उनकी विशिष्टताओं के कारण बेमानी हो। यह यह भी बताता है कि संसाधनों की कमी होने के बावजूद, प्रयास और लगन से बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की जा सकती हैं।
शायरी:
उसकी शान में मेरी कहानी, पासंग बराबर नहीं,
चांदनी रात में, मेरी जुगनू सी रोशनी, पासंग बराबर नहीं।
वो बहारों का सुल्तान, मैं पतझड़ की एक शाम,
उसके गुलशन के आगे, मेरा बंजर भी काम, पासंग बराबर नहीं।
उसके सपने आसमान, मेरे अरमान ज़मीन पर,
उसकी उड़ानों के सामने, मेरी चाल पासंग बराबर नहीं।
वो दरिया की रवानी, मैं रेगिस्तान का सूखा,
उसकी लहरों के आगे, मेरा कतरा भी झूठा, पासंग बराबर नहीं।
उसकी दौलत-ए-इश्क़ में, मेरी मोहब्बत क्या चीज़,
उसके जज़्बातों के आगे, मेरा दिल भी फीका, पासंग बराबर नहीं।
आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।
Hindi to English Translation of पासंग बराबर भी न होना – Paasang barabar bhi na hona Idiom:
Introduction: “पासंग बराबर भी न होना” is a prevalent idiom in the Hindi language in India. This idiom is often used in situations where one object, person, or situation appears significantly inferior or inadequate compared to another.
Meaning: The meaning of “पासंग बराबर भी न होना” is that something is too insignificant or negligible in comparison. This idiom is used when the quality or importance of one thing is much lesser compared to another.
Usage: This idiom is commonly used during comparisons to illustrate that one thing is significantly inferior to another.
Example:
-> “In front of Vikas’s intelligence and experience, Rahul’s knowledge doesn’t even compare.”
-> “Our small startup is nothing compared to this big company.”
Conclusion: The idiom “पासंग बराबर भी न होना” tells us that sometimes things or people are so different in comparison that comparing them becomes meaningless. It teaches us that every individual or thing has its own uniqueness and importance.
Story of Paasang barabar bhi na hona Idiom in English:
In a small village, there lived two boys named Anubhav and Vishal. Anubhav came from an ordinary family, while Vishal was the son of a wealthy family. There was a constant competition between them.
One day, a sports competition was organized in the village. Both Anubhav and Vishal participated. Vishal had access to good sports equipment and training, which Anubhav lacked.
When the competition started, Anubhav gave his best, but he fell behind due to Vishal’s modern equipment and better training. The villagers remarked, “Anubhav’s preparation is nothing compared to Vishal.”
Vishal won the competition, but he realized that Anubhav had performed very well despite his limited resources. Vishal appreciated Anubhav’s effort and invited him to train together for future competitions.
Anubhav accepted the offer, and both of them practiced together for upcoming events.
This story teaches us that the idiom “पासंग बराबर भी न होना” is used when comparing two things becomes meaningless due to their distinct characteristics. It also conveys that despite a lack of resources, great achievements can be attained through effort and dedication.
I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly
FAQs:
क्या इस मुहावरे का कोई विरोधी अर्थ है?
नहीं, “पासंग बराबर भी न होना” का कोई विरोधी अर्थ नहीं है।
क्या इस मुहावरे का कोई विशेष इतिहास है?
इस मुहावरे का प्रारंभिक उपयोग उत्तर भारत के समाज में देखा जा सकता है, जहां समाज में व्यक्तियों की कमियों को उजागर किया जाता था।
क्या इस मुहावरे का कोई संदर्भ है
हां, इस मुहावरे का प्रयोग व्यक्तिगत, सामाजिक, या राजनीतिक संदर्भों में किया जा सकता है जब किसी की कमजोरी या कमी का जिक्र किया जाता है।
क्या इस मुहावरे का कोई अन्य संबंध है?
नहीं, यह मुहावरा किसी और संबंध में नहीं है, यह केवल कमी या कमजोरी को बताता है।
क्या इस मुहावरे का कोई धार्मिक या सामाजिक पर्याय है?
नहीं, यह मुहावरा कोई धार्मिक या सामाजिक पर्याय नहीं है, यह केवल कमजोरी या कमी को व्यक्त करता है।
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