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पाप की कमाई, कुत्ते-बिल्लियों ने खाई अर्थ, प्रयोग (Paap ki kamai, Kutte-Billiyon ne khai)

परिचय: “पाप की कमाई, कुत्ते-बिल्लियों ने खाई” एक प्रसिद्ध हिंदी मुहावरा है जो अनैतिक या अनुचित तरीके से अर्जित धन के नष्ट हो जाने की बात करता है। यह यह दर्शाता है कि अनुचित साधनों से कमाया गया धन अंततः बेकार चीजों पर खर्च हो जाता है या व्यर्थ जाता है।

अर्थ: “पाप की कमाई, कुत्ते-बिल्लियों ने खाई” का सीधा अर्थ है कि बुरे तरीके से कमाया गया धन अंततः बेकार या अनुपयोगी चीजों पर खर्च हो जाता है। इसका तात्पर्य है कि अनैतिक तरीकों से अर्जित संपत्ति का कोई शुभ फल नहीं होता।

प्रयोग: यह मुहावरा अक्सर उन परिस्थितियों में प्रयोग होता है जब किसी व्यक्ति ने गलत तरीके से धन अर्जित किया हो और वह धन अनुचित रूप से खर्च हो जाए।

उदाहरण:

-> एक व्यापारी जिसने धोखाधड़ी से बहुत धन कमाया, वह उसे जुए में हार गया। इस स्थिति में कहा जा सकता है, “पाप की कमाई, कुत्ते-बिल्लियों ने खाई।”

निष्कर्ष: “पाप की कमाई, कुत्ते-बिल्लियों ने खाई” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि गलत तरीके से अर्जित धन अंततः नष्ट हो जाता है और उसका कोई शुभ परिणाम नहीं होता। यह हमें नैतिकता और सत्यनिष्ठा के महत्व को समझने की प्रेरणा देता है।

Hindi Muhavare Quiz

पाप की कमाई, कुत्ते-बिल्लियों ने खाई मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे शहर में प्रेमचंद्र नाम का एक धनी व्यापारी रहता था। प्रेमचंद्र ने अपनी संपत्ति अनैतिक तरीकों से कमाई थी। वह अक्सर अपने कारोबार में धोखाधड़ी करता और गरीबों का शोषण करता।

प्रेमचंद्र के पास धन की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उसका यह धन सदैव उसे असंतोष और चिंता में डाले रहता। उसने अपनी कमाई को अक्सर जुए में लगाया और फिजूलखर्ची में उड़ा दिया।

एक दिन, प्रेमचंद्र ने एक बड़े जुए के खेल में अपनी लगभग सारी संपत्ति हार गया। उसका महल जैसा घर, महंगी गाड़ियां और बैंक बैलेंस सब खत्म हो गया। प्रेमचंद्र अब बिल्कुल अकेला और निर्धन हो गया।

गाँव के लोग उसकी इस दशा पर कहते, “प्रेमचंद्र की पाप की कमाई थी, आखिर कुत्ते-बिल्लियों ने ही खाई। अनैतिक तरीके से कमाया गया धन आखिरकार व्यर्थ चला गया।”

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अनैतिक तरीकों से कमाई गई संपत्ति का अंत सदैव बुरा होता है। “पाप की कमाई, कुत्ते-बिल्लियों ने खाई” मुहावरा हमें यही सिखाता है कि नैतिकता और ईमानदारी का मार्ग ही सही और स्थायी सफलता की ओर ले जाता है।

शायरी:

क्या हासिल हुआ जो, पाप की कमाई में डूबे,

“पाप की कमाई, कुत्ते-बिल्लियों ने खाई”, सच्चाई में रूबरू हुए।

जोड़ा धन बेईमानी से, सोचा खुशियाँ खरीद लेंगे,

पर जब वक्त आया, तो सब ने आँखें फेर लेंगे।

कमाया जिसे धोखे से, वो धन कहाँ टिकता है,

“पाप की कमाई, कुत्ते-बिल्लियों ने खाई”, ये गीत बिकता है।

रातों-रात बने अमीर, पर दिल वो गरीब रहा,

जो धन बेईमानी का, वो खुशियों में कभी नहीं बहा।

“पाप की कमाई” का अंजाम, ये कहानी बताती है,

जीवन में ईमानदारी की राह, ये बात याद दिलाती है।

 

पाप की कमाई, कुत्ते-बिल्लियों ने खाई शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of पाप की कमाई, कुत्ते-बिल्लियों ने खाई – Paap ki kamai, Kutte-Billiyon ne khai Idiom:

Introduction: “पाप की कमाई, कुत्ते-बिल्लियों ने खाई” is a famous Hindi idiom that talks about the destruction of wealth acquired through immoral or inappropriate means. It indicates that money earned through improper means eventually gets wasted on useless things or goes in vain.

Meaning: The literal meaning of “पाप की कमाई, कुत्ते-बिल्लियों ने खाई” is that money earned in a bad way ultimately gets spent on worthless or non-beneficial things. It implies that there is no positive outcome of wealth obtained through unethical methods.

Usage: This idiom is often used in situations where someone has earned money in a wrong way, and that money is improperly spent.

Example:

-> A trader who earned a lot of money through fraud ends up losing it in gambling. In this situation, it can be said, “The ill-gotten wealth has been squandered by dogs and cats.”

Conclusion: The idiom “पाप की कमाई, कुत्ते-बिल्लियों ने खाई” teaches us that wealth earned in the wrong way eventually gets destroyed and has no auspicious result. It inspires us to understand the importance of ethics and honesty.

Story of ‌‌Paap ki kamai, Kutte-Billiyon ne khai Idiom in English:

In a small town, there lived a wealthy businessman named Premchandra. Premchandra had accumulated his wealth through unethical means. He often engaged in fraudulent practices in his business and exploited the poor.

Premchandra was never short of money, but this wealth always left him dissatisfied and anxious. He frequently gambled his earnings away and indulged in wasteful expenditures.

One day, Premchandra lost almost all his wealth in a major gambling game. His mansion-like house, expensive cars, and bank balance were all gone. Premchandra was left completely alone and impoverished.

The people of the village commented on his situation, saying, “Premchandra’s ill-gotten wealth was finally squandered by dogs and cats. The money earned through immoral means ultimately went to waste.”

This story teaches us that the end of wealth acquired through unethical methods is always bad. The idiom “पाप की कमाई, कुत्ते-बिल्लियों ने खाई” reminds us that the path of morality and honesty is the only way to true and lasting success.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या “नानी के आगे ननिहाल की बातें” मुहावरा विशेष उम्र या पीढ़ी के लिए है?

नहीं, यह मुहावरा किसी विशेष उम्र या पीढ़ी तक सीमित नहीं है। यह ज्ञान और अनुभव के आदान-प्रदान के संदर्भ में सभी आयु समूहों पर लागू होता है।

क्या इस मुहावरे का प्रयोग केवल नकारात्मक संदर्भ में होता है?

मुख्य रूप से, यह मुहावरा नकारात्मक संदर्भ में प्रयोग किया जाता है, लेकिन इसे हल्के हास्य के साथ भी प्रयोग किया जा सकता है जब व्यक्ति को अपनी सीमाओं का एहसास होता है।

“नानी के आगे ननिहाल की बातें” मुहावरे का मूल संदेश क्या है?

इस मुहावरे का मूल संदेश यह है कि हमें उन लोगों के सामने अपना ज्ञान या अनुभव प्रदर्शित करने में सावधानी बरतनी चाहिए जो हमसे अधिक जानकार या अनुभवी हैं।

इस मुहावरे का समाज में क्या प्रभाव है?

समाज में इस मुहावरे का प्रभाव यह है कि यह व्यक्तियों को विनम्रता और सीखने के महत्व की याद दिलाता है, साथ ही यह भी कि ज्ञान और अनुभव साझा करने में उचित संदर्भ और सम्मान महत्वपूर्ण हैं।

क्या “नानी के आगे ननिहाल की बातें” मुहावरे का कोई आधुनिक संदर्भ है?

आधुनिक संदर्भ में, यह मुहावरा पेशेवर दुनिया, शिक्षा, या तकनीकी विकास जैसे क्षेत्रों में भी प्रासंगिक है, जहाँ नई पीढ़ी को अपने से ज्यादा अनुभवी पेशेवरों या विशेषज्ञों के सामने अपने विचार और ज्ञान पेश करने में सावधानी बरतनी चाहिए।

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