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ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती अर्थ, प्रयोग(Oss chatne se pyaas nahi bujhti)

परिचय: “ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती” यह हिंदी भाषा का एक प्रसिद्ध मुहावरा है, जो अक्सर उन स्थितियों में प्रयोग किया जाता है जब अपर्याप्त प्रयासों से बड़ी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता।

अर्थ: मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है कि सुबह की ओस को चाटने से प्यास की शांति नहीं होती। इसका प्रतीकात्मक अर्थ यह है कि अधूरे या अपर्याप्त प्रयासों से बड़ी समस्याओं का हल नहीं निकलता।

प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति या संस्था आधे-अधूरे मन से या बिना पर्याप्त योजना के किसी कार्य को अंजाम देता है।

उदाहरण:

-> जब अभय ने अपने व्यवसाय में बिना ठोस योजना के निवेश किया, तो उसके दोस्त ने कहा, “भाई, ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती।”

-> सरकार ने गरीबी दूर करने के लिए कई योजनाएं बनाईं, लेकिन उनके अमल में आधे-अधूरे प्रयास से कोई स्थायी परिवर्तन नहीं हुआ। यहाँ भी यही कहावत लागू होती है, “ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती।”

निष्कर्ष: “ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि जीवन में किसी भी समस्या का समाधान ढूंढने के लिए पूर्ण और समर्पित प्रयास आवश्यक हैं। अधूरे और अपर्याप्त प्रयासों से वांछित परिणाम प्राप्त नहीं होते।

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ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में अनुज नाम का एक किसान रहता था। अनुज बहुत मेहनती और लगनशील था, लेकिन उसे कभी-कभी जल्दबाजी हो जाती थी। एक बार उसने सोचा कि वह अपने खेत में नई फसल उगाएगा।

उसने बाजार से बीज खरीदे और उन्हें बिना पूरी तैयारी के खेत में बो दिया। उसने न तो मिट्टी की जांच की और न ही पानी की उचित व्यवस्था की। उसका मानना था कि बीज अपने आप उग आएंगे और उसे अच्छी फसल मिल जाएगी।

लेकिन, जैसा कि उम्मीद थी, बीजों ने अच्छे से अंकुर नहीं किया और जो उगे भी, वे कमजोर थे। अनुज को जल्द ही एहसास हो गया कि उसने गलती की है।

गाँव के बुजुर्गों ने जब यह देखा, तो उन्होंने अनुज से कहा, “बेटा, ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती।” उनका मतलब था कि अधूरे प्रयासों से कभी भी पूर्ण परिणाम प्राप्त नहीं होते।

इस घटना से अनुज ने सीखा कि किसी भी कार्य को करने के लिए पूरी तैयारी और समर्पित प्रयास जरूरी हैं। अधूरे और जल्दबाजी में किए गए काम कभी भी सफल नहीं होते।

इस कहानी के माध्यम से “ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती” मुहावरे का सही अर्थ समझ में आता है।

शायरी:

ओस चाटने से कभी प्यास नहीं बुझती,

ये बात जिंदगी के हर मोड़ पर सुनती।

हर ख्वाब के पीछे जो चलता है आधा,

वो मंजिल को पाने में रहता है सदा फासला।

जीवन की इस दौड़ में जो करता है आधी कोशिश,

उसके हाथ लगती है सिर्फ आधी खुशी।

कहते हैं जिसे ‘ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती’,

वो कहानी है उनकी, जिन्होंने नहीं की पूरी जुस्तजू।

अर्ज है, इस जीवन में अगर है जीतना,

तो पूरे मन से करना होगा हर कोशिश का यत्न।

 

ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती – Oss chatne se pyaas nahi bujhti Idiom:

Introduction: “ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती” (Licking dew does not quench thirst) is a famous Hindi idiom often used in situations where insufficient efforts fail to solve significant problems.

Meaning: The literal meaning of the idiom is that licking the morning dew does not quench thirst. Symbolically, it means that half-hearted or inadequate efforts do not solve big problems.

Usage: This idiom is used when an individual or organization attempts a task half-heartedly or without adequate planning.

Usage:

-> When Abhay invested in his business without a solid plan, his friend remarked, “Brother, licking dew does not quench thirst.”

-> The government created many schemes to eradicate poverty, but half-hearted efforts in their implementation led to no lasting change. Here too, the saying “Licking dew does not quench thirst” applies.

Conclusion: The idiom “ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती” teaches us that complete and dedicated efforts are necessary to solve any problem in life. Half-hearted and inadequate efforts do not yield desired results.

Story of ‌‌Oss chatne se pyaas nahi bujhti Idiom in English:

In a small village, there lived a farmer named Anuj. Anuj was very hardworking and diligent, but sometimes he tended to be hasty. Once, he decided to grow a new crop in his field.

He bought seeds from the market and sowed them in the field without proper preparation. He neither checked the soil nor arranged for adequate watering. He believed that the seeds would sprout on their own and yield a good harvest.

However, as expected, the seeds did not germinate well, and those that did were weak. Anuj soon realized his mistake.

When the elders of the village saw this, they said to Anuj, “Son, licking dew does not quench thirst.” They meant that half-hearted efforts never yield complete results.

From this incident, Anuj learned that thorough preparation and dedicated effort are necessary for any task. Work done in haste and incompletely is never successful.

This story illustrates the true meaning of the idiom “लicking dew does not quench thirst.”

FAQs:

इस मुहावरे का उपयोग किस प्रकार के व्यक्ति के लिए किया जा सकता है?

यह मुहावरा उन लोगों के लिए है जो छोटी समस्याओं को हल करने में ध्यान नहीं देते और उन्हें बड़ी समस्याएं हो जाती हैं।

इस मुहावरे का प्रयोग किस परिस्थिति में हो सकता है?

इसे किसी कार्य को छोटा मानकर उसके समाधान में लापरवाही करने पर जब कोई उपयुक्त महसूस हो, तो इसका प्रयोग हो सकता है।

ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती” का अर्थ क्या है?

इस मुहावरे का अर्थ है कि किसी छोटे कार्य या समस्या को हल करने से बड़ी समस्याएं नहीं सुलझतीं।

क्या इस मुहावरे का कोई विशेष इतिहास है?

नहीं, इस मुहावरे का कोई विशेष इतिहास नहीं है, यह सामान्य भाषा में प्रचलित है।

क्या इस मुहावरे का उपयोग केवल सामान्य जीवन में ही होता है?

नहीं, इसका उपयोग व्यापक रूप से किसी भी क्षेत्र में छोटी समस्याओं के लिए उपयुक्त हो सकता है।

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