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ऊंची दुकान फीका पकवान, अर्थ, प्रयोग(Oonchi dukaan pheeka pakwan)

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“ऊंची दुकान फीका पकवान” एक प्रमुख हिंदी मुहावरा है, जो व्यक्ति या वस्तु के बाहरी दिखावे और वास्तविक गुणों में अंतर को दर्शाने के लिए प्रयुक्त होता है।

अर्थ: इस मुहावरे का साधारण अर्थ है कि जब किसी वस्तु या व्यक्ति का बाहरी दिखावा शानदार होता है, लेकिन उसकी असली गुणवत्ता या योग्यता उससे कम होती है।

उदाहरण:

-> अनुज ने नई दुकान खोली है, जो बहुत ही सुंदर और आकर्षक है, लेकिन जब मैं वहां से कुछ खरीदा तो समझा कि वह ऊंची दुकान फीका पकवान है।

-> सुभाष की रेस्तरां की बहुत प्रशंसा हो रही थी, लेकिन जब मैंने वहां खाना खाया, तो लगा कि यह तो ऊंची दुकान फीका पकवान है।

व्याख्या: हमारे समाज में कई बार हम बाहरी दिखावे में उलझ कर असली गुणवत्ता या मूल्य को नजरअंदाज कर देते हैं। “ऊंची दुकान फीका पकवान” मुहावरा इसी सोच और व्यवहार को चित्रित करता है।

निष्कर्ष: हमें चाहिए कि हम व्यक्ति या वस्तु की वास्तविक गुणवत्ता को पहचानें और सिर्फ बाहरी दिखावे पर ध्यान न दें। इससे हम अधिक समझदार और सावधान बन सकते हैं।

एक कहानी: ऊंची दुकान फीका पकवान

सुधीर शहर के एक प्रसिद्ध इलाके में एक शानदार मोबाइल स्टोर खोलने का सोच रहा था। उसने बड़े आलीशान तरीके से दुकान की सजावट की और उसमें नवीनतम तकनीकी उपकरण भी लगवाए। दुकान का बाहरी रूप देखकर लोग वहां मोबाइल खरीदने के लिए आने लगे।

लेकिन जब लोगों ने उस स्टोर से मोबाइल खरीदना शुरू किया, तो उन्हें समझ में आया कि वह मोबाइल अच्छी गुणवत्ता के नहीं हैं। उनमें कई समस्याएं थीं और ज्यादातर फोन कम मूल्य के थे, लेकिन सुधीर उन्हें उचित मूल्य से ज्यादा कीमत पर बेच रहा था।

लोगों ने धीरे-धीरे समझा कि सुधीर की दुकान तो “ऊंची दुकान फीका पकवान” जैसी है। दुकान का बाहरी रूप तो शानदार था, लेकिन उसकी वास्तविक सेवा और उत्पाद उसके दिखावे से मेल नहीं खाते थे।

जल्द ही सुधीर की दुकान की प्रतिष्ठा खराब हो गई और वह अपनी गलती को समझ बैठा। वह समझ गया कि केवल बाहरी दिखावे से कुछ भी प्राप्त नहीं हो सकता, असली गुणवत्ता और सेवा ही मुख्य होती है।

शायरी – Shayari

ऊंची दुकान में दिखावा बहुत, पकवान में न मिले वो ज़रा सा स्वाद,

इशारों में जो बातें छुपाई, वो अदायगी जीवन में कहीं खो जाए।

दुनिया देखे शानदार आकर्षण, पर असली ख़ुदा तो बातों में बसता,

जिसे समझे बिना जड़ों की उचाई, वही जीवन में सच्ची मोहब्बत पा जाए।

 

ऊंची दुकान फीका पकवान शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of ऊंची दुकान फीका पकवान – Oonchi dukaan pheeka pakwan
Idiom:

“ऊंची दुकान फीका पकवान” is a prominent Hindi idiom that is used to illustrate the disparity between the external appearance of a person or thing and its actual qualities.

Meaning:  The literal translation of this idiom is that when something or someone has a grand exterior but lacks substance or quality. Essentially, it highlights instances where the outer show is grand, but the intrinsic quality is lacking.

Usage:

-> Anuj opened a new shop which looks quite beautiful and attractive. But when I purchased something from there, I realized that it’s all about “great looks but poor substance.”

-> Subhash’s restaurant was highly recommended, but when I dined there, it felt like it was “all show and no substance.”

Discussion: In our society, many times, we get entangled in external appearances and neglect the genuine quality or value. The idiom “ऊंची दुकान फीका पकवान” portrays this mindset and behavior.

Conclusion: We should recognize the true quality of a person or thing and not merely focus on the external appearance. By doing so, we can become more discerning and prudent.

Story of ‌‌ऊंची दुकान फीका पकवान – Oonchi dukaan pheeka pakwan Idiom:

Sudhir was considering opening a lavish mobile store in a renowned area of the city. He adorned the shop in a grand manner and equipped it with the latest technical tools. Enticed by its magnificent exterior, people began flocking to the store to purchase mobiles.

However, when people started buying mobiles from his store, they realized that the phones were not of good quality. They had numerous issues, and most of the phones, although of lower value, were being sold by Sudhir at prices much higher than appropriate.

Gradually, people discerned that Sudhir’s store was akin to “High Shop, Dull Dish.” While the shop’s façade was splendid, its actual service and products did not live up to its grand appearance.

Soon, Sudhir’s store’s reputation plummeted, and he came to terms with his mistake. He realized that mere outer appearances achieve nothing; genuine quality and service are paramount.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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