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नंग बड़े परमेश्वर छोटे अर्थ, प्रयोग(Nang bade Parmeshwar chote)

परिचय: “नंग बड़े परमेश्वर छोटे” एक पारंपरिक हिंदी मुहावरा है जो इस धारणा को व्यक्त करता है कि बेशर्म या निर्लज्ज व्यक्ति का सामना करना कठिन होता है और अक्सर लोग उससे डरते हैं।

अर्थ: इस मुहावरे का साहित्यिक अर्थ है कि जो व्यक्ति बेशर्म होता है, उसके सामने बड़े-बड़े लोग भी छोटे पड़ जाते हैं। इसका तात्पर्य है कि बेशर्मी के आगे बड़ी से बड़ी सामाजिक या नैतिक ताकत भी कमजोर पड़ जाती है।

प्रयोग:

-> जब किसी के बेशर्म व्यवहार के आगे लोग असहाय महसूस करते हैं।

-> जब समाज में कोई व्यक्ति निर्लज्जता के बल पर अपनी मनमानी करता है।

उदाहरण:

-> अमन की निर्लज्जता के आगे तो प्रधान भी नतमस्तक हो गए, सच में ‘नंग बड़े परमेश्वर छोटे’।

-> गाँव में जब भी कोई निर्लज्ज व्यक्ति आता, सब उससे डरते थे, ‘नंग बड़े परमेश्वर छोटे’ की कहावत सच हो उठती थी।

निष्कर्ष: ‘नंग बड़े परमेश्वर छोटे’ मुहावरा हमें सिखाता है कि समाज में बेशर्मी का कोई मुकाबला नहीं होता। यह हमें यह भी बताता है कि ऐसे व्यक्ति के सामने सभ्यता और नैतिकता की सीमाएँ अक्सर धूमिल पड़ जाती हैं। अतः, यह मुहावरा हमें जागरूक रहने और ऐसी स्थितियों में समझदारी से काम लेने की प्रेरणा देता है।

Hindi Muhavare Quiz

नंग बड़े परमेश्वर छोटे मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में नियांत नाम का एक युवक रहता था। नियांत की सबसे बड़ी खासियत थी उसकी बेशर्मी। वह किसी भी प्रकार की सामाजिक और नैतिक सीमाओं की परवाह नहीं करता था।

गाँव में जब भी कोई सामाजिक समारोह होता, नियांत बिन बुलाए ही पहुँच जाता और अपनी बेशर्मी का परिचय देता। वह ना केवल अनचाहे मेहमान की तरह आता, बल्कि खाने-पीने में भी बदतमीजी करता।

एक बार गाँव में एक बड़ा त्योहार था और गाँव के प्रधान ने एक बड़ा भोज आयोजित किया था। नियांत वहां भी पहुँच गया और अपनी बेशर्मी से सबको परेशान कर दिया। उसने ना केवल खाने पर टूट पड़ा, बल्कि अन्य मेहमानों के साथ भी बदसलूकी की।

प्रधान और गाँव के अन्य सम्मानित लोग भी नियांत की इस बेशर्मी के आगे नतमस्तक हो गए। उन्हें समझ नहीं आया कि नियांत का कैसे सामना करें।

इस कहानी से हमें ‘नंग बड़े परमेश्वर छोटे’ मुहावरे का सार समझ आता है। बेशर्म व्यक्ति के सामने बड़े से बड़ा व्यक्ति भी असहाय महसूस करता है। यह कहानी हमें यह भी बताती है कि समाज में नैतिकता और सभ्यता की महत्ता है, और इसे हमेशा बनाए रखना चाहिए।

शायरी:

बेशर्मी में बंटी ने, दिखाया अपना कमाल,

‘नंग बड़े परमेश्वर छोटे’, सच हुआ हर बार।

समाज के नियमों को, जब उसने तोड़ा बार-बार,

बड़े-बड़े दिग्गज भी, उसके आगे हुए हार।

बिना लज्जा के जो चलता, उसका नहीं कोई मुकाबला,

सब उससे करते दूरियां, जैसे कोई अनकहा ज्वाला।

बेशर्मी की राह पर, जो चलता बेखौफ ज़माने में,

उसके आगे नैतिकता भी, होती बेजान सी कहानी में।

सबक यही है कहानी का, जो हमें समझाती हर बार,

‘नंग बड़े परमेश्वर छोटे’, यही है जीवन का सार।

 

नंग बड़े परमेश्वर छोटे शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of नंग बड़े परमेश्वर छोटे – Nang bade Parmeshwar chote Idiom:

Introduction: “नंग बड़े परमेश्वर छोटे” is a traditional Hindi idiom that conveys the notion that it is difficult to confront a shameless or brazen person, and people often fear them.

Meaning: The literal meaning of this idiom is that in front of a shameless person, even the greatest individuals seem small. It implies that in the face of shamelessness, even the greatest social or moral powers weaken.

Usage:

-> When people feel helpless in front of someone’s shameless behavior.

-> When someone in society acts arbitrarily on the strength of their shamelessness.

Usage:

-> In front of Aman’s shamelessness, even the village head had to bow down, truly ‘नंग बड़े परमेश्वर छोटे’.

-> Whenever a shameless person came to the village, everyone feared them, making the proverb ‘नंग बड़े परमेश्वर छोटे’ come true.

Conclusion: The idiom ‘नंग बड़े परमेश्वर छोटे’ teaches us that in society, there is no match for shamelessness. It also tells us that in front of such a person, the boundaries of civility and morality often become blurred. Therefore, this idiom encourages us to remain vigilant and act wisely in such situations.

Story of ‌‌Nang bade Parmeshwar chote Idiom in English:

In a small village, there lived a young man named Niyant. Niyant’s most notable characteristic was his shamelessness. He had no regard for any social or moral boundaries.

Whenever there was a social event in the village, Niyant would arrive uninvited and exhibit his shamelessness. He would not only arrive as an unwelcome guest but also behave rudely during meals.

Once, during a major festival in the village, the village head organized a grand feast. Niyant showed up there too and troubled everyone with his shameless behavior. He not only pounced on the food but also misbehaved with other guests.

The village head and other respected individuals also felt helpless before Niyant’s shamelessness. They were at a loss about how to confront Niyant.

This story helps us understand the essence of the idiom ‘नंग बड़े परमेश्वर छोटे’. Even the most significant person feels helpless in front of a shameless individual. The story also tells us about the importance of morality and civility in society, which should always be maintained.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस मुहावरे का कोई ऐतिहासिक प्रसंग है?

ऐतिहासिक रूप से इसका कोई विशेष प्रसंग नहीं है, लेकिन इसका अर्थ सामाजिक और राजनीतिक संदर्भों में बहुत बार उपयोग होता है।

इस मुहावरे का प्रयोग किस प्रकार से होता है?

यह मुहावरा उस स्थिति को व्यक्त करने के लिए उपयोग होता है जब किसी का दिखावा और असलीता में अंतर होता है।

नंग बड़े परमेश्वर छोटे” का अर्थ क्या है?

इस मुहावरे का अर्थ है कि कोई व्यक्ति, यदि भले ही दिखाई में बड़ा और महत्त्वपूर्ण लगता हो, तो वास्तव में उसकी असली स्थिति छोटी हो सकती है।

क्या इस मुहावरे का कोई विपरीत अर्थ होता है?

जी हां, कई समयों में यह मुहावरा अपने विपरीत अर्थों में भी प्रयुक्त हो सकता है, जो किसी की अच्छाई और महत्त्वपूर्णता को बताता है।

क्या यह मुहावरा किसी धार्मिक अर्थ में भी प्रयुक्त होता है?

जी हां, यह मुहावरा धार्मिक अनुष्ठान और नैतिकता के संदर्भ में भी प्रयुक्त हो सकता है, जिसमें असलीता की महत्ता बताई जाती है।

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