परिचय: हिंदी मुहावरों में “नाम से हाजी वैसे पाजी” एक लोकप्रिय कहावत है। यह मुहावरा उन लोगों पर लागू होता है जो बाहरी रूप से तो बहुत धार्मिक या नैतिक दिखाई देते हैं, लेकिन वास्तव में उनके आचरण में वह गुण नहीं होते हैं।
अर्थ: “नाम से हाजी वैसे पाजी” का शाब्दिक अर्थ है कि नाम से कोई हाजी (धार्मिक व्यक्ति) लग सकता है, लेकिन व्यवहार से वह पाजी (धूर्त या चालाक) होता है। इसका इस्तेमाल उन परिस्थितियों में होता है जब किसी व्यक्ति का बाहरी दिखावा उसके वास्तविक चरित्र से मेल नहीं खाता।
प्रयोग: यह मुहावरा अक्सर तब प्रयोग किया जाता है जब किसी व्यक्ति के दोहरे मापदंड या ढोंगी स्वभाव की ओर इशारा करना होता है।
उदाहरण:
-> नियांत को सब बहुत ईमानदार समझते थे, लेकिन जब पता चला कि उसने धोखाधड़ी की है, तब सब ने कहा, “नाम से हाजी वैसे पाजी”।
-> अपने आस-पास के लोगों को नसीहत देने वाला शर्मा जी खुद उन्हीं बुराइयों में लिप्त पाए गए, सच में “नाम से हाजी वैसे पाजी”।
निष्कर्ष: “नाम से हाजी वैसे पाजी” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि हमें किसी के बाहरी दिखावे पर नहीं, बल्कि उसके आचरण और कर्मों पर विचार करना चाहिए। यह हमें यह भी याद दिलाता है कि अक्सर वास्तविकता दिखावे से काफी अलग होती है।
नाम से हाजी वैसे पाजी मुहावरा पर कहानी:
एक छोटे से गाँव में शर्मा जी नामक एक व्यक्ति रहते थे। गाँव में उनकी छवि एक धार्मिक और सम्मानित व्यक्ति की थी। वे अक्सर मंदिर में पूजा करते और सामाजिक कार्यों में भाग लेते थे।
शर्मा जी का व्यवहार गाँव वालों के लिए आदर्श था। वे अक्सर लोगों को नैतिकता और ईमानदारी की बातें सिखाते। लेकिन, शर्मा जी का एक और पहलू था जो अभी तक किसी को पता नहीं था।
एक दिन, गाँव के एक व्यक्ति ने शर्मा जी को एक बड़ी राशि का घूस लेते हुए देख लिया। यह बात जल्दी ही पूरे गाँव में फैल गई। लोग हैरान थे कि वही शर्मा जी, जो सदैव नैतिकता की बात करते थे, वे खुद भ्रष्टाचार में लिप्त थे।
गाँव वालों ने कहा, “नाम से हाजी वैसे पाजी”। इस घटना से उन्हें समझ में आया कि किसी के व्यवहार का असली मूल्यांकन उसके कर्मों से होता है, न कि केवल बाहरी दिखावे से।
इस कहानी के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि सत्य की परख केवल बाहरी छवि से नहीं, बल्कि व्यक्ति के आचरण और कर्मों से की जानी चाहिए। यह हमें यह भी बताता है कि अक्सर लोग अपने नाम और बाहरी छवि के विपरीत हो सकते हैं।
शायरी:
नाम से हाजी वो बनते हैं, बातों में फरिश्ते,
वैसे पाजी वो हैं, करतूतों में बस्ते।
हर गली की मस्जिद में, वो नमाजी बन जाते हैं,
पर अंधेरे में उनके चेहरे, कुछ और ही बयां करते हैं।
वो दिन में तो सच्चाई के झंडे गाड़ते हैं,
रात को अपने ही धोखे की चादर ओढ़ते हैं।
सिखाते सबको वो दीन और दुनिया की बातें,
पर खुद उलझे हैं अपनी ही मतलबी सौगातों में।
उनके लबों पर तो हर वक्त दुआएँ होती हैं,
मगर दिल में बस अपने फायदे की दुआ गूंजती है।
ये दुनिया भी निराली है, यहाँ नाम और कर्म में फर्क है,
“नाम से हाजी वैसे पाजी”, ये कहावत भी कितनी सच्ची है।
आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।
Hindi to English Translation of नाम से हाजी वैसे पाजी – Naam se hazi waise paji Idiom:
Introduction: In Hindi idioms, “नाम से हाजी वैसे पाजी” (A saint in name, but a trickster in behavior) is a popular saying. This idiom applies to those who appear very religious or ethical outwardly, but in reality, do not possess those qualities in their conduct.
Meaning: The literal meaning of “नाम से हाजी वैसे पाजी” is that someone may appear to be a ‘Haji’ (a religious person) by name, but in behavior, they are ‘Paji’ (cunning or deceitful). It is used in situations where a person’s outward show does not match their true character.
Usage: This idiom is often used when indicating someone’s double standards or hypocritical nature.
Example:
-> Everyone thought Niyant was very honest, but when it was discovered that he had committed fraud, everyone said, “नाम से हाजी वैसे पाजी” (A saint in name, but a trickster in behavior).
-> Sharma Ji, who advised the people around him, was found indulging in the same vices, truly “नाम से हाजी वैसे पाजी” (A saint in name, but a trickster in behavior).
Conclusion: The idiom “नाम से हाजी वैसे पाजी” teaches us that we should not judge someone by their outward appearance but rather by their conduct and actions. It also reminds us that often reality is quite different from the facade.
Story of Naam se hazi waise paji Idiom in English:
In a small village lived a man named Sharma Ji. He was perceived in the village as a religious and respected individual. He often participated in temple prayers and social work.
Sharma Ji’s behavior was considered exemplary by the villagers. He frequently taught people about morality and honesty. However, there was another side to Sharma Ji that no one knew about yet.
One day, a villager saw Sharma Ji accepting a large bribe. This news quickly spread throughout the village. People were shocked that Sharma Ji, who always spoke of ethics, was himself involved in corruption.
The villagers remarked, “नाम से हाजी वैसे पाजी” (A saint in name, but a trickster in behavior). This incident made them realize that the true assessment of a person’s behavior should be based on their actions, not just outward appearances.
This story teaches us that the truth should be judged not by external image, but by a person’s conduct and actions. It also tells us that often people can be contrary to their name and outward image.
I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly
FAQs:
क्या “नाम से हाजी वैसे पाजी” मुहावरा विशेष धर्म या समुदाय के लिए है?
नहीं, यह मुहावरा किसी विशेष धर्म या समुदाय तक सीमित नहीं है। यह व्यापक रूप से उन सभी परिस्थितियों में उपयोग किया जा सकता है जहां किसी के नाम और कर्म में विपरीतता देखी जाती है।
“नाम से हाजी वैसे पाजी” मुहावरे का इतिहास क्या है?
इस मुहावरे का विशेष इतिहास नहीं मिलता है, परंतु यह भारतीय समाज में लंबे समय से प्रचलित है। यह मुहावरा लोगों के दोहरे चरित्र पर प्रकाश डालता है, जहां वे बाहरी रूप से धार्मिक या नैतिक होने का दावा करते हैं, परंतु उनके कर्म इससे मेल नहीं खाते।
क्या “नाम से हाजी वैसे पाजी” मुहावरे में ‘हाजी’ शब्द का विशेष महत्व है?
‘हाजी’ शब्द आमतौर पर उन व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया जाता है जिन्होंने हज यात्रा की हो। इस मुहावरे में, यह शब्द विरोधाभास को दर्शाने के लिए है, जहां व्यक्ति का नाम या ख्याति धार्मिकता या उच्च नैतिक मूल्यों की ओर इशारा करती है, लेकिन उसके कर्म इससे विपरीत होते हैं।
“नाम से हाजी वैसे पाजी” का सामाजिक प्रभाव क्या है?
इस मुहावरे का सामाजिक प्रभाव यह है कि यह लोगों को अपने कर्मों के प्रति जागरूक बनाता है और यह समझाने का प्रयास करता है कि केवल नाम या ख्याति से व्यक्ति के चरित्र का न्याय नहीं किया जा सकता।
“नाम से हाजी वैसे पाजी” मुहावरे का मूल संदेश क्या है?
इस मुहावरे का मूल संदेश यह है कि असली चरित्र और नैतिकता केवल व्यक्ति के कर्मों से परिलक्षित होती है, न कि केवल नाम या उपाधि से। यह व्यक्तियों को सच्चाई और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें