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नाम निशान न रहना, अर्थ, प्रयोग(Naam nishan na rehna)

परिचय: “नाम निशान न रहना” एक प्रमुख हिंदी मुहावरा है, जिसका प्रयोग किसी चीज या व्यक्ति के मौजूद होने के कोई भी संकेत या चिह्न नहीं बचे होने की स्थिति को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।

अर्थ: जब कोई वस्तु, स्थल या व्यक्ति पूरी तरह से समाप्त हो जाता है, ताउम्र के लिए गायब हो जाता है या उसका कोई भी चिह्न नहीं बचता, तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है।

प्रयोग:

-> जिस बड़े पेड़ के नीचे हम खेलते थे, वह अब ऐसे कट गया कि उसका नाम निशान न रहा।

-> बड़ी तेज आग में पूरे गाँव के घरों का नाम निशान नहीं रहा।

-> जिस स्थल पर पहले तालाब था, अब वह सूख गया है और उसका नाम निशान नहीं रहा।

विशेष टिप्पणी: इस मुहावरे का प्रयोग विशेष रूप से तब होता है जब हम बात करते हैं किसी पुरानी बात, स्थल या व्यक्ति की जो अब मौजूद नहीं है और उसकी यादें ही बची हैं।

निष्कर्ष: “नाम निशान न रहना” मुहावरा एक विशेष घटना या स्थिति को दर्शाता है जहां कुछ पूरी तरह से समाप्त हो जाता है, चाहे वह कोई वस्तु हो, स्थल हो या व्यक्ति। यह हमें यह सिखाता है कि समय के साथ सभी चीजें बदल जाती हैं और हमें उसे स्वीकार करना चाहिए।

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नाम निशान न रहना मुहावरा पर कहानी:

एक समय की बात है, राजस्थान प्रदेश में ‘रामपुर’ नामक एक छोटा सा गाँव बसा हुआ था। यहाँ के लोग मुख्य रूप से कृषि पर ही निर्भर थे। रामपुर में एक विशेष तालाब था जिसे लोग ‘जीवन झील’ कहते थे। जीवन झील गाँव के लिए जीवन स्रोत की तरह था, जिससे सभी फसलों की सिंचाई होती थी।

सालों-सालों तक सूखा पड़ने की वजह से जीवन झील का पानी धीरे-धीरे समाप्त हो रहा था। गाँव के बुजुर्ग कहते थे कि अगर इस स्तिथि में सुधार नहीं हुआ तो एक दिन ऐसा आएगा जब झील का नाम निशान न रहेगा।

और वही हुआ। धीरे-धीरे झील सूखती चली गई और अंत में एक दिन वह पूरी तरह से सूख गई। गाँववालों को अब उसकी जगह पर सिर्फ एक बड़ी सी सूखी भूमि दिखाई देने लगी, जहाँ पहले झील का पानी खिलता था। झील का नाम निशान न रह गया।

इसके बाद, गाँववाले तय करने लगे कि उन्हें अब गाँव छोड़कर और कहीं चले जाना होगा जहाँ पानी की समस्या न हो। बहुत से परिवार रामपुर छोड़कर चले गए, और रामपुर अब एक सुनसान गाँव बन गया।

कहीं-कहीं ऐसे जगह भी होते हैं जहाँ समय के साथ साथ सब कुछ बदल जाता है, और कुछ पुरानी चीजें नाम निशान न रहने की स्थिति में आ जाती हैं। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि संसार में स्थिरता कुछ भी नहीं है, सब कुछ समय के साथ बदलता रहता है।

शायरी:

नाम निशान न रहा वो मोहब्बत का मौसम,

आँखों में धूल थी, जिसके पीछे छुपा था वो आलम।

जिंदगी के उस मोड़ पर, जब सब कुछ खो बैठा,

जाने किस गली में, वो लम्हे रो बैठा।

आधी रात की चुप्प में, सुनता हूँ मैं ज़िंदगी की सदा,

वो बीते पल कैसे, छोड़ गए बिना किसी अदा।

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of नाम निशान न रहना – Naam nishan na rehna Idiom:

Introduction: “Naam Nishaan Na Rehna” is a prominent Hindi idiom, used to indicate a situation where no trace or sign remains of an object or person’s existence.

Meaning: When an object, place, or person is completely obliterated, disappears forever, or no sign of it remains, this idiom is employed.

Usage:

-> The large tree under which we used to play has been cut down so that no trace of it remains.

-> The intense fire left no trace of the houses in the entire village. -> The spot where there was once a pond has now dried up, leaving no trace of its existence.

Special Note: This idiom is especially used when discussing something old, a place, or a person that no longer exists, and only memories remain.

Conclusion: The idiom “Naam Nishaan Na Rehna” depicts a specific event or situation where something is completely wiped out, be it an object, place, or person. It teaches us that everything changes with time, and we must accept it.

Story of Naam Nishaan Na Rehna Idiom in English:

Once upon a time, there was a small village named ‘Rampur’ in the state of Rajasthan. The villagers were primarily dependent on agriculture. Rampur had a special pond, which the locals referred to as ‘Jeevan Jheel’ (Life Lake). The Jeevan Jheel was like a lifeline for the village, providing water for the irrigation of all crops.

Due to consecutive years of drought, the water in Jeevan Jheel was gradually depleting. The village elders often remarked that if the situation did not improve, a day would come when there would be no trace of the lake left.

And that’s precisely what happened. Slowly, the lake kept drying up, and eventually, one day, it completely vanished. All that the villagers could now see in its place was a vast parched land, where once the shimmering waters of the lake stood. There was no sign of the lake anymore.

Following this, the villagers decided they would have to leave their homes and move to a place where water wasn’t an issue. Many families left Rampur, and it soon became a deserted village.

In some places, as time progresses, everything changes, and some old things reach a state where they cease to exist. From this story, we learn that nothing in this world is permanent; everything keeps changing with time.

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

यह मुहावरा किस प्रकार के संदेश को देता है?

यह मुहावरा समय के साथ किसी व्यक्ति या वस्तु की महत्वता की गिरावट को बताता है।

क्या इस मुहावरे का कोई धार्मिक या आध्यात्मिक संदेश है?

नहीं, यह मुहावरा धार्मिक या आध्यात्मिक संदेश से प्रभावित नहीं है।

क्या इस मुहावरे का कोई ऐतिहासिक प्रासंग है?

नहीं, यह मुहावरा ऐतिहासिक प्रासंग से संबंधित नहीं है।

यह मुहावरा किसी विशेष समय या समाजिक समस्या से संबंधित है क्या?

नहीं, यह मुहावरा सामान्य रूप से व्यक्तिगत या सामाजिक स्थिति को व्यक्त करता है।

क्या इस मुहावरे का कोई विरोधी अर्थ है?

नहीं, इस मुहावरे का कोई विशेष विरोधी अर्थ नहीं है।

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