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नाको चने चबाना, अर्थ, प्रयोग(Naakon chane chabana)

नाको चने चबाना मुहावरा इल्लस्ट्रेशन, Ramesh और Suresh कार्यालय में, सुरेश की चालाकी, रमेश का प्रमोशन

हिंदी भाषा में अनेक मुहावरे हैं जो विचार या भावनाओं को संक्षेप में प्रकट करने में सहायक होते हैं। ‘नाको चने चबाना’ भी ऐसा ही एक मुहावरा है, जो किसी व्यक्ति के द्वारा दूसरे व्यक्ति को परेशानी में डालने के संदर्भ में प्रयुक्त होता है।

अर्थ: ‘नाको चने चबाना’ का शाब्दिक अर्थ है नाक में चना डालकर चबाना। हालांकि, इसका वास्तविक अर्थ है किसी को परेशान करना या उसमें असहजता पैदा करना।

उदाहरण:

-> रमेश अपने मित्र सुरेश को बार-बार उसके काम में बाधा डालता था। जब भी सुरेश कोई काम करने जाता, रमेश कुछ ना कुछ ऐसा कर देता कि सुरेश को परेशानी हो। इस स्थिति में कह सकते हैं कि रमेश ने सुरेश को ‘नाको चने चबाया’।

प्रयोग: जब कोई व्यक्ति जानबूझकर दूसरे व्यक्ति को परेशानी में डालता है, तो हम ‘नाको चने चबाना’ मुहावरे का प्रयोग कर सकते हैं।

निष्कर्ष: ‘नाको चने चबाना’ मुहावरा हमें यह दर्शाता है कि कैसे किसी व्यक्ति की छोटी-छोटी हरकतें दूसरे व्यक्ति को परेशानी में डाल सकती हैं। इसे समझना और सही संदर्भ में प्रयोग करना महत्वपूर्ण है।

नाको चने चबाना मुहावरा पर कहानी:

रमेश और सुरेश दोनों ही एक बड़ी कंपनी में कार्य करते थे। दोनों की नौकरी की शुरुआत एक ही समय हुई थी, और अब प्रमोशन का समय नजदीक था। दोनों ही उस पद के लिए प्राथमिक उम्मीदवार थे।

सुरेश थोड़ा चालाक प्रकृति का था। वह सोचा कि अगर वह रमेश को बदनाम कर दे, तो वह प्रमोशन पाने में सफल हो सकता है। उसने एक योजना बनाई और रमेश के कंप्यूटर में कुछ गलत जानकारी डाल दी। जब प्रोजेक्ट की समीक्षा हुई, तो रमेश की जानकारी गलत पाई गई और उस पर सवाल उठाए गए। 

रमेश बहुत हैरान हुआ, क्योंकि वह सुनिश्चित था कि उसने सही जानकारी दी थी। लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी जानकारी कैसे बदल दी गई। इस तरह सुरेश रमेश को परेशान करता रहता था उसने रमेश को नाकों चने चबा दिए। 

एक दिन, जब सुरेश अपने दोस्तों से अपनी चाल के बारे में बात कर रहा था, तब वह बात कंपनी के एक अन्य कर्मचारी विवेक के कान में पहुँच गई। विवेक ने यह बात रमेश को बता दी।

रमेश ने अपने सुपरवाइजर से मुलाकात की और सबूत के साथ सच्चाई बता दी। सुपरवाइजर ने सुरेश को कार्यालय में बुलाया और उसे सख्त सजा दी। अंत में, रमेश को प्रमोशन मिला और सुरेश को उसकी चालाकी की कीमत चुकानी पड़ी।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि “नाको चने चबाना” की चाल में व्यक्ति अंत में अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारता है। ईमानदारी ही सबसे बड़ी संपत्ति होती है।

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of नाको चने चबाना – Naakon chane chabana Idiom:

Meaning:  The literal translation of ‘Naakon chane chabana’ is ‘to chew chickpeas in one’s nose’. However, its actual meaning refers to causing annoyance or discomfort to someone.

Examples:

-> Ramesh often posed hindrances in his friend Suresh’s work. Whenever Suresh attempted to do something, Ramesh would intentionally disrupt or create obstacles to annoy him. In this situation, it can be said that Ramesh ‘Naakon chane chabana’ (troubled) Suresh

Usage: The idiom ‘Naakon chane chabana’ is used when someone deliberately causes problems or discomfort for another person.

Conclusion: The idiom ‘Naakon chane chabana’ illustrates how even small actions or intentions of one person can bring about discomfort or trouble for another. It’s important to understand and use it in the right context.

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Story of ‌‌Naakon chane chabana Idiom in English:

Ramesh and Suresh both worked in a large company. They both started their careers at the same time, and promotion time was near. Both were primary candidates for that position.

Suresh had a cunning nature. He thought that if he could defame Ramesh, he might succeed in getting the promotion. He hatched a plan and entered incorrect information into Ramesh’s computer. When the project was reviewed, Ramesh’s information was found to be incorrect, and questions were raised about it.

Ramesh was very surprised, as he was sure he had given the correct information. However, he couldn’t understand how his data got altered. In this way, Suresh continuously troubled Ramesh, essentially making him “chew chickpeas in his nose.”

One day, while Suresh was bragging about his scheme to his friends, another employee, Vivek, overheard him. Vivek informed Ramesh about it.

Ramesh met with his supervisor and explained the truth with evidence. The supervisor called Suresh into the office and reprimanded him severely. In the end, Ramesh got the promotion, and Suresh paid the price for his cunningness.

This story teaches us that when one tries to “chew chickpeas in someone else’s nose,” they might end up harming themselves in the process. Honesty is indeed the best asset.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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