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नाक पर गुस्सा होना अर्थ, प्रयोग (Naak par gussa hona)

परिचय: “नाक पर गुस्सा होना” यह हिंदी मुहावरा भारतीय समाज में अत्यधिक प्रचलित है। यह मुहावरा उन व्यक्तियों की भावनात्मक स्थिति का वर्णन करता है जो बहुत जल्दी और थोड़ी-थोड़ी बात पर गुस्सा हो जाते हैं।

अर्थ: “नाक पर गुस्सा होना” मुहावरे का सामान्य अर्थ है जल्दी गुस्सा हो जाना या छोटी-छोटी बातों पर अनुचित प्रतिक्रिया दिखाना। यह उस व्यक्ति की चिड़चिड़ाहट और आवेगी प्रकृति को दर्शाता है जिसे बहुत कम प्रेरणा पर गुस्सा आ जाता है।

प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग आमतौर पर तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति को बहुत जल्दी और छोटी बात पर गुस्सा होते हुए देखा जाता है। यह व्यक्तित्व की उस विशेषता को बताता है जहां व्यक्ति का संयम कम होता है और वह आसानी से क्रोधित हो जाता है।

उदाहरण:

-> अमन को देखो, छोटी-छोटी बात पर ही नाक पर गुस्सा आ जाता है, थोड़ा संयम रखना चाहिए।

-> गार्गी की क्लास में एक लड़का है जिसे हर बात पर ‘नाक पर गुस्सा’ होता है, इसलिए लोग उससे बात करने से कतराते हैं।

निष्कर्ष: “नाक पर गुस्सा होना” मुहावरे के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि छोटी बातों पर गुस्सा करने से न केवल हमारे संबंध प्रभावित होते हैं, बल्कि यह हमारे मानसिक संतुलन को भी बिगाड़ सकता है। इसलिए जीवन में संयम और सहनशीलता की भावना विकसित करना महत्वपूर्ण है ताकि हम शांति और समझदारी से प्रतिक्रिया दे सकें।

Hindi Muhavare Quiz

नाक पर गुस्सा होना मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में अंश नाम का एक लड़का रहता था। अंश की एक विशेषता थी जिसके लिए वह गाँव में प्रसिद्ध था – उसे बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता था। चाहे बात छोटी हो या बड़ी, अंश का मूड हमेशा ‘नाक पर गुस्सा’ लिए रहता।

एक दिन की बात है, अंश अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेल रहा था। गेंद उसकी तरफ आई और उसने एक शॉट खेला, लेकिन वह आउट हो गया। इस छोटी सी बात पर अंश इतना गुस्सा हो गया कि उसने अपना बैट फेंक दिया और मैदान छोड़कर चला गया। उसके दोस्त हैरान रह गए।

उसी गाँव में एक बुजुर्ग थे, जिन्हें सभी प्यार से दादाजी कहते थे। दादाजी ने अंश के गुस्से को देखा और उसे अपने पास बुलाया। उन्होंने अंश को समझाया कि जीवन में छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करना सही नहीं है। उन्होंने कहा, “अंश, गुस्सा एक ऐसी आग है जो सब कुछ जला देती है, सबसे पहले खुद को।”

अंश ने दादाजी की बातों पर गौर किया और अपने व्यवहार में बदलाव लाने का निश्चय किया। उसने सीखा कि गुस्सा करने से बेहतर है कि समस्याओं का समाधान ढूँढा जाए। धीरे-धीरे, अंश ने अपने गुस्से पर काबू पाया और एक शांत और समझदार व्यक्तित्व विकसित किया।

गाँव वाले भी अंश के इस परिवर्तन को देखकर खुश हुए और उसे एक उदाहरण के रूप में देखने लगे। अंश की कहानी ने सबको यह सिखाया कि “नाक पर गुस्सा” होने के बजाय शांति और समझदारी से काम लेना ही जीवन में सच्ची खुशी और सफलता का रास्ता है।

शायरी:

नाक पर गुस्सा रखने वालों, सुनो इस दिल की बात,

जलती है आग वहां, जहां होती है नफरत की बारात।

थोड़ी सी बात पर जो आंधी बन जाते हैं,

अक्सर वो खुद की नाव में ही छेद कर जाते हैं।

गुस्सा तो है एक चिंगारी, जो भड़का देती है राख,

जिसे संभाले वो ही समझदार, वरना होती है बर्बादी आखिरकार।

जीवन में आती हैं कई छोटी-बड़ी आज़माइशें,

‘नाक पर गुस्सा’ वाले, खो देते हैं वो खुशनुमा फैसले।

दिल में रखो सब्र का दरिया, जो बहता है शांति से,

गुस्से की लहरें नहीं, प्यार की बारिश से महकती है ज़िंदगी।

 

नाक पर गुस्सा होना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of नाक पर गुस्सा होना – Naak par gussa hona Idiom:

Introduction: The Hindi idiom “नाक पर गुस्सा होना” is highly prevalent in Indian society. This idiom describes the emotional state of individuals who get angry quickly and over trivial matters.

Meaning: The literal meaning of “नाक पर गुस्सा होना” is to get angry quickly or to react inappropriately over minor issues. It represents the irritability and impulsive nature of a person who gets angry with very little provocation.

Usage: This idiom is commonly used when a person is observed getting angry quickly and over small matters. It indicates a personality trait where the person has little patience and gets easily angered.

Example:

-> Look at Aman, he gets angry over trivial things easily, he should maintain some patience.

-> In Gargi’s class, there is a boy who gets angry over everything, so people hesitate to talk to him.

Conclusion: The idiom “नाक पर गुस्सा होना” teaches us that getting angry over small things not only affects our relationships but can also disturb our mental balance. Therefore, it is important to develop a sense of patience and tolerance in life so that we can respond with peace and wisdom.

Story of ‌‌Naak par gussa hona Idiom in English:

In a small village, there lived a boy named Ansh. Ansh was known throughout the village for a particular trait – he would get angry very quickly. Whether it was a small or big issue, Ansh was always ‘quick to anger.’

One day, Ansh was playing cricket with his friends. The ball came towards him, and he played a shot, but got out. Over this minor incident, Ansh became so angry that he threw his bat away and left the field. His friends were left astonished.

In the same village, there was an elderly man, affectionately called Grandfather by everyone. Grandfather noticed Ansh’s anger and called him over. He explained to Ansh that it’s not right to get angry over small things in life. He said, “Ansh, anger is such a fire that burns everything, starting with oneself.”

Ansh pondered over Grandfather’s words and decided to change his behavior. He learned that it’s better to find solutions to problems rather than getting angry. Gradually, Ansh controlled his anger and developed a calm and wise personality.

The villagers too were pleased to see this transformation in Ansh and started seeing him as a role model. Ansh’s story taught everyone that instead of getting ‘quick to anger,’ it’s better to approach life with peace and wisdom for true happiness and success.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस मुहावरे का वास्तविक अर्थ होता है?

नहीं, यह मुहावरा केवल अभिभावकता को व्यक्त करने के लिए होता है, जिसका कोई वास्तविक अर्थ नहीं होता।

इस मुहावरे का विरोधी क्या है?

इस मुहावरे का विरोधी मुहावरा “मन में खुजली होना” हो सकता है।

इस मुहावरे का अनुवाद क्या हो सकता है?

इस मुहावरे का अंग्रेजी में अनुवाद “to be angry” हो सकता है।

यह मुहावरा किस प्रकार के भावनात्मक अभिव्यक्ति के लिए उपयुक्त है?

यह मुहावरा उसी के लिए उपयुक्त है जो अपने भावनाओं को साफ़ करने के लिए अपने गुस्से को व्यक्त करना चाहता है, जिससे उसकी बात समझी जा सके।

यह मुहावरा किस तरह के व्यक्तियों के लिए सार्थक हो सकता है?

यह मुहावरा उन व्यक्तियों के लिए सार्थक हो सकता है जो जल्दी भड़क जाते हैं और जिन्हें अपनी नाराजगी को व्यक्त करने की आदत होती है।

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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