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ना उधो का लेना न माधो का देना, अर्थ, प्रयोग(Na udho ka lena na madho ka dena)

“ना उधो का लेना न माधो का देना” यह एक प्रसिद्ध हिंदी मुहावरा है। इसका प्रयोग तब होता है जब किसी चीज या विषय से हमारा कोई लेना-देना नहीं होता। इसका सीधा संबंध ‘अपने काम से काम रखने’ या ‘अपने व्यवसाय में रहने’ जैसी भावना से है।

अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है कि किसी विषय में हमारा कोई रोल नहीं है और हमें उससे कोई प्रत्याशा नहीं है। अन्य शब्दों में, जब हम किसी विषय में प्रत्याशित नहीं होते और उसे अन्य लोगों को छोड़ देते हैं, तब इस मुहावरे का प्रयोग होता है।

प्रयोग:

-> सुरेंद्र को इस मुद्दे में कोई रुचि नहीं थी, इसलिए वह कह दिया, “मुझे इससे ना उधो का लेना और ना माधो का देना।”

-> जब सब लोग समिति की बैठक में विवाद में पड़ गए, लक्ष्मी ने कहा, “मैं इस विवाद में शामिल नहीं हूँ, मेरे लिए यह ना उधो का लेना और ना माधो का देना है।”

विशेष टिप्पणी: इस मुहावरे को समझने के लिए हमें जीवन में जो चीजें हमारे नियंत्रण में नहीं हैं, उनसे दूर रहने की जरूरत है। अगर किसी चीज़ में हमारी रुचि नहीं है या हमें लगता है कि हमारा योगदान महत्वपूर्ण नहीं है, तो बेहतर है कि हम उससे दूर रहें। इससे हम अपने समय और ऊर्जा की बचत कर सकते हैं।

इसलिए, “ना उधो का लेना ना माधो का देना” यह मुहावरा न केवल अपने व्यवसाय में रहने का संकेत देता है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि कैसे हम अपने समय और ऊर्जा को सही दिशा में प्रयोग करें।

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ना उधो का लेना न माधो का देना मुहावरा पर कहानी:

अभय एक छोटे गाँव में रहता था। वह बहुत ही शांत और विचारशील प्रकृति का था। गाँव में जब भी कोई विवाद होता, तो अभय उससे दूर रहता था और कभी भी उसमें हस्तक्षेप नहीं करता था।

एक दिन गाँव में दो समूह एक तालाब के पानी को लेकर विवाद में पड़ गए। एक समूह का मानना था कि तालाब का पानी सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध होना चाहिए, जबकि दूसरे समूह का विचार था कि वे ज्यादा पानी का उपयोग कर सकते हैं क्योंकि उनके खेत ज्यादा थे।

अभय के पास भी एक खेत था, लेकिन वह इस विवाद में शामिल नहीं होना चाहता था। जब लोग उससे उसकी राय मांगते थे, तो वह कहता, “मुझे इससे ना उधो का लेना और ना माधो का देना।”

लोग समझते थे कि शायद अभय डरता है, लेकिन वास्तव में अभय को यह समझ में आ चुका था कि ऐसे विवादों में शामिल होने से बेहतर है अपने काम में व्यस्त रहना।

दिनों-दिनों विवाद बढ़ता गया और गाँव का माहौल तनावपूर्ण हो गया। लेकिन अभय ने अपनी निष्कलंक भावना को बनाए रखा और अपने खेतों में काम करता रहा।

अंत में, जब गाँववाले समझे कि उनका विवाद से कोई फायदा नहीं हो रहा है, तो वे अभय के पास गए और उससे समाधान की मांग की। अभय ने उन्हें समझाया कि जब तक वे अपने आपसी मतभेदों को हल नहीं करते, तब तक वे साझा संसाधन का सही तरीके से उपयोग नहीं कर सकते।

गाँववाले ने अभय की बातों को समझा और वे आपस में समझौता कर लिया। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कभी-कभी अपने काम में व्यस्त रहना और दूसरों के विवादों से दूर रहना ही सबसे बेहतर होता है।

शायरी:

ना उधो से जुड़ने की चाह, ना माधो में बहकना,

हर विवाद में दिल नहीं लगता, सुकून की तलाश है अब तो।

जहाँ तक नजर जाए, बस चैन की हो आभास,

जीवन की इस राह में, मैं चाहता हूँ वहीं ठहरना।

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of ना उधो का लेना न माधो का देना – Na udho ka lena na madho ka dena Idiom:

Introduction: “Na udho ka lena na madho ka dena” is a famous Hindi idiom. It is used when we have no association or concern with a particular thing or topic. It directly relates to the sentiment of ‘minding one’s own business’ or ‘staying in one’s own lane’.

Meaning: The idiom means that we have no role in a particular matter and we have no expectations from it. In other words, when we are not involved in a topic and leave it for others to handle, this idiom is used.

Usage:

-> Surendra had no interest in the matter, so he said, “I have nothing to do with this.” 

-> When everyone got into a dispute during the committee meeting, Lakshmi said, “I am not involved in this dispute, it’s none of my concern.”

Special Note: To understand this idiom, we need to distance ourselves from things in life that are not under our control. If we are not interested in something or feel that our contribution is not significant, it’s better to stay away. This can save our time and energy.

Therefore, the idiom “Na udho ka lena na madho ka dena” not only indicates minding one’s own business but also teaches us how to utilize our time and energy in the right direction.

Story of Na udho ka lena na madho ka dena Idiom in English:

Abhay lived in a small village. He was of a very calm and contemplative nature. Whenever there was a dispute in the village, Abhay would stay away and never interfere.

One day, two groups in the village got into a dispute over the water from a pond. One group believed that the water should be available equally for everyone, while the other thought they could use more water because they had larger fields.

Abhay also had a farm, but he didn’t want to get involved in the dispute. When people asked for his opinion, he would say, “I have neither to borrow from Udho nor to lend to Madho.”

People thought perhaps Abhay was scared, but in reality, Abhay had realized that it’s better to stay engaged in one’s own work rather than getting involved in such disputes.

The dispute grew day by day, and the village atmosphere became tense. However, Abhay maintained his neutral stance and continued working in his fields.

In the end, when the villagers realized that their dispute was getting them nowhere, they approached Abhay and asked him for a solution. Abhay explained to them that until they resolve their differences, they wouldn’t be able to use the shared resource efficiently.

The villagers understood Abhay’s words and reached a mutual agreement. This story teaches us that sometimes, it’s best to stay focused on our own work and stay away from others’ disputes.

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs

क्या इस मुहावरे का कोई इतिहासिक प्रासंग है?

नहीं, यह मुहावरा किसी विशेष इतिहासिक घटना से संबंधित नहीं है।

क्या इस मुहावरे का कोई धार्मिक अथवा आध्यात्मिक संदेश है?

नहीं, इस मुहावरे का कोई धार्मिक अथवा आध्यात्मिक संदेश नहीं होता है।

क्या इस मुहावरे का कोई विरोधी अर्थ हो सकता है?

नहीं, इस मुहावरे का कोई विरोधी अर्थ नहीं होता है, यह अपने अर्थ में स्पष्ट है।

क्या इस मुहावरे का कोई रहस्य है?

नहीं, यह मुहावरा किसी विशेष रहस्य से जुड़ा नहीं है, यह बस एक भाषाई अभिव्यक्ति है।

क्या इस मुहावरे का कोई ऐतिहासिक प्रमाण है?

ऐतिहासिक रूप से, इस मुहावरे का कोई विशेष प्रमाण नहीं है, लेकिन यह व्यक्तिगत और सामाजिक संदर्भों में प्रयोग होता है।

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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