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म्याऊँ-म्याऊँ करना अर्थ, प्रयोग (Myaun-myaun karna)

परिचय: “म्याऊँ-म्याऊँ करना” एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है, जिसे अक्सर व्यक्तियों के व्यवहार या प्रतिक्रिया को व्यक्त करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह मुहावरा उन परिस्थितियों में उपयोगी होता है जहां व्यक्ति शिकायत या असंतोष की भावना व्यक्त कर रहे हों।

अर्थ: “म्याऊँ-म्याऊँ करना” मुहावरे का अर्थ है बिना किसी ठोस कारण के शिकायत या असंतोष प्रकट करना। यह अक्सर उस स्थिति को दर्शाता है जहां व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर नाराजगी या दुःख व्यक्त करते हैं।

प्रयोग: यह मुहावरा उन परिस्थितियों में सही बैठता है जहां व्यक्ति अत्यधिक संवेदनशीलता या अतिरिक्त शिकायती रवैया अपनाते हैं। यह व्यक्त करने का एक तरीका है कि किसी की शिकायतें अनुचित या अतिरंजित हैं।

उदाहरण:

-> जब अमन को अपने जन्मदिन पर मनचाहा उपहार नहीं मिला, तो वह पूरे दिन “म्याऊँ-म्याऊँ करता रहा”।

-> पारुल ऑफिस में हर छोटी-बड़ी बात पर “म्याऊँ-म्याऊँ करती है”, जिससे उसके सहकर्मी कभी-कभी परेशान हो जाते हैं।

निष्कर्ष: “म्याऊँ-म्याऊँ करना” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि अतिरिक्त शिकायती रवैया अपनाने से न केवल व्यक्ति स्वयं परेशान होता है, बल्कि उसके आस-पास के लोग भी असहज महसूस करते हैं। इसलिए, यह मुहावरा हमें अधिक सकारात्मक और समाधान-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा देता है, ताकि हम अपने जीवन में और अपने संबंधों में अधिक सुख और संतोष पा सकें।

म्याऊँ-म्याऊँ करना मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में नियांत नाम का एक लड़का रहता था। नियांत अपनी पढ़ाई में तो अच्छा था, लेकिन उसकी एक आदत थी जो सबको परेशान करती थी। वह हमेशा “म्याऊँ-म्याऊँ करना” यानी कि बिना किसी ठोस कारण के शिकायत करना। चाहे मौसम की बात हो या खाने की, नियांत को हर चीज़ में कुछ न कुछ कमी ही नज़र आती।

एक दिन गाँव में मेला लगा। सभी गाँववाले मेले में जाने के लिए उत्साहित थे, लेकिन नियांत को वहाँ भी कुछ न कुछ शिकायत करने को मिल गया। उसने कहा, “यहाँ तो बहुत भीड़ है, मुझे तो मज़ा ही नहीं आ रहा।” उसके दोस्तों ने उसे समझाया कि मेले में भीड़ तो होती ही है, लेकिन नियांत की शिकायतें खत्म नहीं हुईं।

नियांत के इस व्यवहार से उसके दोस्त और परिवार वाले काफी परेशान थे। उन्होंने नियांत को समझाया कि जीवन में अगर हम हर छोटी-बड़ी बात पर शिकायत करते रहें, तो हम कभी भी खुश नहीं रह सकते।

एक दिन नियांत के दादाजी ने उसे बुलाया और कहानी सुनाई। दादाजी ने कहा, “एक बार एक सम्राट थे जो हमेशा शिकायत करते थे। उन्हें अपने राज्य में कुछ भी अच्छा नहीं लगता था। एक दिन उन्होंने एक साधु की बात सुनी और अपना दृष्टिकोण बदल दिया। उन्होंने सीखा कि खुश रहने के लिए हमें जो है उसमें संतोष करना चाहिए।”

नियांत ने दादाजी की बातें गंभीरता से लीं और अपने व्यवहार में बदलाव लाने का निश्चय किया। उसने धीरे-धीरे “म्याऊँ-म्याऊँ करना” छोड़ दिया और जीवन के हर पल का आनंद लेने लगा। उसने सीखा कि जीवन में सकारात्मकता और संतोष ही सच्ची खुशी की कुंजी है।

इस कहानी के माध्यम से, हमें यह सिखने को मिलता है कि “म्याऊँ-म्याऊँ करना” यानी बिना किसी ठोस कारण के शिकायत करना हमें और हमारे आस-पास के लोगों को परेशान कर सकता है। जीवन में सकारात्मकता और संतोष को अपनाकर ही हम सच्ची खुशी पा सकते हैं।

शायरी:

म्याऊँ-म्याऊँ करके जो गुज़ार दी ज़िंदगी,

उसने खुशियों की बारिश में भी तलाशी कमी।

बात बात पर नाराजगी के पर्दे गिराकर,

क्या मिला, बस एक तन्हाई का सिलसिला।

जिंदगी के मेले में, खुशी के रंग बिखेरो,

म्याऊँ-म्याऊँ नहीं, गीत सुख के गाओ।

शिकवे शिकायतों की इस दुनिया में,

आओ थोड़ा सा प्यार, थोड़ी मुस्कान बाँटें।

हर छोटी बात पर ‘म्याऊँ-म्याऊँ’ ना कर,

ज़िंदगी है बहार, इसे मुस्कुराकर भर।

शिकायतों का बोझ उतार फेंको यारो,

जीवन की इस डगर में, खुशियों की बारात लाओ।

जिन्होंने ‘म्याऊँ-म्याऊँ’ करना छोड़ दिया,

उन्होंने ही ज़िंदगी का असली मज़ा लिया।

 

म्याऊँ-म्याऊँ करना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of म्याऊँ-म्याऊँ करना – Myaun-myaun karna Idiom:

Introduction: “म्याऊँ-म्याऊँ करना” (Myaun-Myaun Karna) is a popular Hindi idiom often used to describe the behavior or reaction of individuals. This idiom is useful in situations where a person is expressing complaints or feelings of dissatisfaction.

Meaning: The literal translation of “म्याऊँ-म्याऊँ करना” is to express complaints or dissatisfaction without any solid reason. It typically represents a situation where a person is expressing annoyance or sorrow over minor issues.

Usage: This idiom fits perfectly in scenarios where individuals adopt an overly sensitive or excessively complaining attitude. It’s a way to indicate that someone’s complaints are unjustified or exaggerated.

Example:

-> When Aman didn’t receive the gift he wanted on his birthday, he spent the entire day “complaining” about it.

-> Parul “complains” over every little thing in the office, sometimes causing annoyance to her colleagues.

Conclusion: The idiom “म्याऊँ-म्याऊँ करना” teaches us that adopting an overly complaining attitude not only troubles the individual themselves but also makes those around them feel uncomfortable. Therefore, this idiom encourages us to adopt a more positive and solution-focused approach so that we can find more happiness and satisfaction in our lives and in our relationships.

Story of ‌‌Myaun-myaun karna Idiom in English:

In a small village, there lived a boy named Niyant. Niyant was good in his studies, but he had a habit that troubled everyone. He always complained without any solid reason, whether it was about the weather or the food, Niyant always found something lacking.

One day, a fair was held in the village. All the villagers were excited to go to the fair, but Niyant found something to complain about there too. He said, “It’s too crowded here, I’m not having any fun.” His friends tried to explain that fairs are naturally crowded, but Niyant’s complaints did not cease.

Niyant’s behavior was a source of trouble for his friends and family. They explained to him that if we keep complaining about every little thing in life, we can never be happy.

One day, Niyant’s grandfather called him and told him a story. The grandfather said, “Once there was an emperor who always complained. He found nothing pleasing in his kingdom. One day, he listened to a sage and changed his perspective. He learned that to be happy, we must find contentment in what we have.”

Niyant took his grandfather’s words seriously and decided to change his behavior. Gradually, he stopped his constant complaining and began to enjoy every moment of life. He learned that positivity and contentment are the true keys to happiness.

Through this story, we learn that constantly complaining without any solid reason, known as “म्याऊँ-म्याऊँ करना,” can trouble us and those around us. By adopting positivity and contentment in life, we can find true happiness.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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