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मुंह जो बरसे बैसाख, फूल खिले जेठ के पास अर्थ, प्रयोग (Munh jo barse Baisakh, Phool khile jeth ke paas)

“मुंह जो बरसे बैसाख, फूल खिले जेठ के पास” एक प्रचलित हिंदी कहावत है जो प्रकृति के नियमों और जीवन के सत्यों की ओर इशारा करती है। इस कहावत में वर्षा और फूलों के खिलने की ऋतुओं का उल्लेख है, जो क्रमशः बैसाख (अप्रैल-मई) और जेठ (मई-जून) के महीनों में आते हैं। यह कहावत हमें सिखाती है कि हर घटना या कार्य का अपना समय और महत्व होता है, और सही समय पर किया गया कार्य ही सर्वोत्तम परिणाम देता है।

परिचय: “मुंह जो बरसे बैसाख, फूल खिले जेठ के पास” कहावत भारतीय मौसम चक्र और कृषि-संस्कृति के गहरे ज्ञान पर आधारित है। इसमें बैसाख महीने में वर्षा होने और जेठ में फूलों के खिलने की बात कही गई है, जो प्रकृति के नियम को दर्शाती है।

अर्थ: इस कहावत का अर्थ है कि हर चीज का अपना एक समय होता है, और उस समय पर ही वह अपना सर्वोत्तम रूप प्रकट करती है। जैसे बैसाख में बरसात होने पर ही जेठ में फूल खिलते हैं, उसी प्रकार जीवन में हर कार्य का एक उचित समय होता है।

प्रयोग: इस कहावत का उपयोग व्यक्ति को धैर्य रखने और सही समय की प्रतीक्षा करने के लिए प्रेरित करने में किया जा सकता है। यह हमें सिखाती है कि प्रत्येक कार्य के लिए एक निश्चित समय होता है और उसी समय पर उसे करने से श्रेष्ठ परिणाम मिलते हैं।

उदाहरण:

एक विद्यार्थी जो परीक्षा की तैयारी में लगा है, उसे यह समझना चाहिए कि पढ़ाई का भी एक सही समय होता है। यदि वह समय पर तैयारी करता है, तो परीक्षा में सफलता उसके कदम चूमेगी।

निष्कर्ष: “मुंह जो बरसे बैसाख, फूल खिले जेठ के पास” कहावत हमें धैर्य, समय की महत्ता, और प्रकृति के नियमों के अनुसार कार्य करने का महत्व सिखाती है। यह हमें याद दिलाती है कि हर चीज का एक सही समय होता है और उस समय का इंतजार करने में ही समझदारी है।

मुंह जो बरसे बैसाख, फूल खिले जेठ के पास कहावत पर कहानी:

एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में मुनीश नाम का एक किसान रहता था। मुनीश बहुत मेहनती और समझदार था, लेकिन उसे धैर्य की कमी थी। वह हमेशा चाहता था कि उसके कार्य तुरंत पूरे हों। एक वर्ष, बैसाख के महीने में, मुनीश ने अपने खेत में नए फूलों के बीज बोए। बीज बोने के कुछ ही दिनों बाद, वह रोज खेत में जाकर देखता कि क्या उसके फूल खिले या नहीं।

लेकिन, फूल तुरंत नहीं खिलते। इसके बावजूद, मुनीश ने आशा नहीं खोई और वह निरंतर अपने खेत की देखभाल करता रहा। उसने खेत को पानी दिया, खरपतवार हटाए, और मिट्टी को उर्वरक दिया। धीरे-धीरे, बैसाख का महीना बीत गया और जेठ का महीना आ गया। एक सुबह, जब मुनीश अपने खेत में गया, तो उसने देखा कि उसके फूल खिल चुके थे। खेत में रंग-बिरंगे फूलों की एक खूबसूरत चादर बिछ गई थी। उसका दिल खुशी से भर गया।

इस घटना से मुनीश को एक महत्वपूर्ण सबक मिला। उसने समझा कि “मुंह जो बरसे बैसाख, फूल खिले जेठ के पास” – हर चीज के लिए एक सही समय होता है और धैर्य रखने पर ही सफलता मिलती है। उसने जाना कि प्रकृति के साथ जल्दबाजी में काम नहीं किया जा सकता और सही समय का इंतजार करना ही समझदारी है।

मुनीश ने इस सबक को अपने जीवन में उतारा और समय के साथ, वह एक सफल किसान बन गया। उसने न केवल खेती में, बल्कि अपने जीवन के हर पहलू में धैर्य का महत्व समझा और उसे अपनाया। मुनीश की कहानी ने गांववालों को भी प्रेरित किया और उन्हें भी धैर्य की महत्वपूर्णता का एहसास हुआ।

शायरी:

बैसाख में बरसे जब पानी, जेठ में खिलते हैं फूल कहानी,
इस दिल की भी है यही कहानी, धैर्य से ही मिलती है मनचाही रानी।

हर ख्वाब का अपना वक्त होता है,
जिसे समझने में जिंदगी कोटा होता है।
जल्दबाजी में क्या रखा है, यारों,
समय से पहले न कोई बहारों।

इंतजार की घड़ी में ही तो मिठास है,
जिसमें छुपी जीवन की असली रास है।
जैसे बैसाख में बरसात, जेठ में फूलों का साथ,
वैसे ही हर दर्द के बाद, खुशियों की होती है बरसात।

धैर्य रख, दोस्त, अपने इरादों पर,
जिंदगी खुद ब खुद होगी सवार।
जैसे बैसाख की वो पहली बारिश,
जेठ में खिलते हैं फूल, बन जाती है हर ख्वाहिश।

यह कहानी है समय की, धैर्य की,
जीवन की राहत की, जो दिल से कही जाती है।
बस एक बात समझ लो, दोस्तों,
समय के साथ सब कुछ मिल जाता है, धैर्य से सब हो जाता है।

 

मुंह जो बरसे बैसाख, फूल खिले जेठ के पास शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of मुंह जो बरसे बैसाख, फूल खिले जेठ के पास – Munh jo barse Baisakh, Phool khile jeth ke paas proverb:

“Munh jo barse Baisakh, Phool khile jeth ke paas” is a popular Hindi proverb that points towards the laws of nature and truths of life. This proverb mentions the seasons of rain and blooming of flowers, which occur in the months of Baisakh (April-May) and Jeth (May-June), respectively. It teaches us that every event or action has its own time and significance, and it is the work done at the right time that yields the best results.

Introduction: The proverb “Munh jo barse Baisakh, Phool khile jeth ke paas” is based on the deep knowledge of the Indian weather cycle and agricultural culture. It talks about the rains in the month of Baisakh and the blooming of flowers in Jeth, illustrating the laws of nature.

Meaning: The meaning of this proverb is that everything has its own time, and it is at that time it reveals its best form. Just as flowers bloom in Jeth only after the rains in Baisakh, similarly, in life, every task has a proper time.

Usage: This proverb can be used to inspire a person to have patience and wait for the right time. It teaches us that there is a fixed time for every work, and doing it at that time brings the best outcomes.

Example:

A student engaged in preparing for exams should understand that studying also has a right time. If he prepares at the right time, success in the exam will embrace him.

Conclusion: The proverb “Munh jo barse Baisakh, Phool khile jeth ke paas” teaches us the importance of patience, the significance of timing, and the importance of acting according to the laws of nature. It reminds us that everything has a right time and waiting for that time is wise.

Story of ‌‌Munh jo barse Baisakh, Phool khile jeth ke paas Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, lived a farmer named Munish. Munish was hardworking and intelligent, but he lacked patience. He always wanted his tasks to be completed immediately. One year, in the month of Baisakh, Munish sowed new flower seeds in his field. Just a few days after sowing the seeds, he would go to the field every day to see if his flowers had bloomed.

However, flowers do not bloom instantly. Despite this, Munish did not lose hope and continued to take care of his field diligently. He watered the field, removed the weeds, and fertilized the soil. Gradually, the month of Baisakh passed and the month of Jeth arrived. One morning, when Munish went to his field, he saw that his flowers had bloomed. A beautiful blanket of colorful flowers had spread across the field. His heart filled with joy.

This event taught Munish an important lesson. He understood that “the showers of Baisakh, the blossoms of Jeth” – there is a right time for everything, and success comes only with patience. He learned that one cannot rush with nature and waiting for the right time is wise.

Munish applied this lesson in his life and over time, he became a successful farmer. He not only understood the importance of patience in farming but also adopted it in every aspect of his life. Munish’s story inspired the villagers as well, and they too realized the significance of patience.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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