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मुँह देखकर बात करना अर्थ, प्रयोग (Munh dekhkar baat karna)

परिचय: हिंदी मुहावरा “मुँह देखकर बात करना” व्यक्ति की उस प्रवृत्ति को दर्शाता है जिसमें वह सामने वाले की स्थिति, हैसियत या मनोदशा के अनुसार अपनी बातें या व्यवहार को ढाल लेता है।

अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है कि किसी व्यक्ति की सामाजिक या आर्थिक स्थिति को देखकर उसके साथ व्यवहार करना। यह अक्सर उस संदर्भ में इस्तेमाल होता है जब कोई अपने स्वार्थ के लिए दूसरों के प्रति अपना रवैया बदलता है।

प्रयोग: यह मुहावरा समाज में दिखावटी व्यवहार और अवसरवादिता की प्रवृत्ति को व्यक्त करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह उन स्थितियों में आम है जहाँ लोग अपने निजी लाभ के लिए दूसरों के प्रति अपना व्यवहार बदल देते हैं।

उदाहरण:

राजनीति में अक्सर नेता “मुँह देखकर बात करते हैं” जब वे वोटरों के सामने अपने वादे बदल देते हैं। या जब कोई व्यापारी अपने ग्राहक की आर्थिक स्थिति देखकर उसे सेवाएँ प्रदान करता है।

निष्कर्ष: “मुँह देखकर बात करना” मुहावरा हमें समाज में व्याप्त दोहरे मानदंडों और अवसरवादिता के प्रति सचेत करता है। यह हमें यह भी सिखाता है कि सच्चाई और ईमानदारी के साथ व्यवहार करना ही सबसे बेहतर है, भले ही इसके लिए हमें अल्पकालिक लाभों की बलि क्यों न चढ़ानी पड़े। यह हमें सतही और दिखावटी व्यवहार के स्थान पर गहराई और सार्थकता की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देता है।

मुँह देखकर बात करना मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में अखिल और विशाल नामक दो दोस्त रहते थे। अखिल गाँव का सबसे धनी व्यक्ति था, जबकि विशाल एक साधारण किसान था। दोनों की दोस्ती काफी गहरी थी, लेकिन उनके व्यवहार में एक बड़ा अंतर था।

अखिल हमेशा “मुँह देखकर बात करता” था। जब भी गाँव में कोई उच्च पदस्थ व्यक्ति या अमीर व्यापारी आता, अखिल उनके साथ बड़ी विनम्रता और आदर के साथ पेश आता। वहीं, जब उसे किसी गरीब या साधारण व्यक्ति से बात करनी होती, तो उसका व्यवहार बिल्कुल बदल जाता। उसके शब्दों में वही आदर और सम्मान नहीं होता था।

एक दिन, गाँव में एक बड़ा मेला लगा। विशाल ने अखिल से मिलकर उसे मेले में चलने का निमंत्रण दिया। अखिल ने विशाल के साथ जाने का वादा किया। मेले के दिन, अखिल ने देखा कि गाँव के जमींदार भी मेले में आए हैं। अखिल ने विशाल को छोड़कर जमींदार के साथ समय बिताना शुरू कर दिया, जैसे उसने विशाल के साथ कोई वादा ही नहीं किया हो।

विशाल इस व्यवहार से काफी आहत हुआ लेकिन चुप रहा। उसी शाम, जब अखिल अकेला था, उसे एहसास हुआ कि उसने अपने व्यवहार से अपने एक सच्चे दोस्त को खो दिया है। उसे समझ आया कि “मुँह देखकर बात करना” न केवल दूसरों के लिए अपमानजनक है, बल्कि यह उसकी अपनी छवि को भी खराब करता है।

इस घटना ने अखिल को एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया। उसने विशाल से माफी मांगी और वादा किया कि वह भविष्य में किसी के साथ भेदभाव नहीं करेगा और सभी के साथ समान रूप से व्यवहार करेगा।

इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि “मुँह देखकर बात करना” केवल सामने वाले को ही नहीं, बल्कि खुद को भी नुकसान पहुँचाता है। यह हमें सिखाता है कि सभी के साथ समान रूप से व्यवहार करना चाहिए, चाहे वह किसी भी सामाजिक या आर्थिक स्थिति में हों।

शायरी:

देख के मुँह जो बात बदल दे, वो सच्चाई कहाँ,

हर दिल में बसी है इंसानियत, ये भूला दिया जहाँ।

खुदा ने बनाई हर शक्ल, उसमें फर्क क्यों?

मुँह देख के जो बात करे, वो दोस्ती में दरार क्यों?

जो मुँह देख के बात करे, समझो उसका दिल खाली,

सच्ची मोहब्बत और दोस्ती में, ना कोई ऊँच-नीच की गली।

इंसान से इंसान का रिश्ता, यही सबसे बड़ी दौलत,

मुँह देखकर जो बात करे, उसके दिल में नहीं मोहब्बत।

बातों में मिठास और दिल में प्यार होना चाहिए,

मुँह देख कर नहीं, दिल देख कर व्यवहार होना चाहिए।

 

मुँह देखकर बात करना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of मुँह देखकर बात करना – Munh dekhkar baat karna Idiom:

Introduction: The Hindi idiom “मुँह देखकर बात करना” (Munh Dekhkar Baat Karna) reflects the tendency of a person to adapt their words or behavior based on the status, position, or mood of the person in front of them. It describes a situation where someone alters their interaction to suit the perceived level or state of the person they are engaging with.

Meaning: The literal meaning of this idiom is to speak or act in a way that is influenced by the appearance or status of the person you are interacting with. It often points to a behavior where individuals change their attitude or speech to gain favor or avoid conflict, depending on who they are dealing with.

Usage: This idiom is commonly used to describe opportunistic behavior and the lack of consistency in one’s actions or words. It is applicable in contexts where people are seen to be acting differently in front of others based on their social or economic status.

Example:

Politicians are often accused of “मुँह देखकर बात करना” when they make promises to different groups of voters, tailoring their messages to what they believe each group wants to hear. Similarly, a businessperson who offers different levels of service based on a customer’s perceived wealth or importance is also exhibiting this behavior.

Conclusion: The idiom “मुँह देखकर बात करना” alerts us to the prevalent double standards and opportunism in society. It teaches us the importance of being truthful and consistent in our dealings, regardless of the short-term benefits that might be sacrificed. It encourages us to value depth and meaningfulness over superficial and pretentious interactions, advocating for a more genuine and straightforward approach in our relationships and interactions.

Story of ‌‌Munh dekhkar baat karna Idiom in English:

Once in a small village lived two friends named Akhil and Vishal. Akhil was the wealthiest person in the village, while Vishal was a simple farmer. Their friendship was deep, but there was a significant difference in their behavior.

Akhil always acted according to “मुँह देखकर बात करना” (judging by the face to speak). Whenever any high-ranking individual or wealthy merchant visited the village, Akhil would interact with them with great politeness and respect. However, when he had to speak with someone poor or ordinary, his behavior would completely change. His words lacked the same respect and honor.

One day, a grand fair was held in the village. Vishal met Akhil and invited him to go to the fair together. Akhil promised to accompany Vishal. On the day of the fair, Akhil saw that the village landlord had also come to the fair. Akhil left Vishal to spend time with the landlord as if he had never made a promise to Vishal.

Vishal was deeply hurt by this behavior but remained silent. That evening, when Akhil was alone, he realized that his behavior had cost him a true friend. He understood that “मुँह देखकर बात करना” was not only disrespectful to others but also tarnished his own image.

This incident taught Akhil an important lesson. He apologized to Vishal and promised that he would not discriminate against anyone in the future and would treat everyone equally.

This story teaches us that “मुँह देखकर बात करना” harms not only the person at the receiving end but also oneself. It underscores the importance of treating everyone equally, regardless of their social or economic status.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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