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मुँह बिचकाना अर्थ, प्रयोग (Munh bichkana)

परिचय: “मुँह बिचकाना” एक लोकप्रिय हिंदी मुहावरा है जिसका प्रयोग अक्सर असंतोष या नापसंदगी की भावना व्यक्त करने के लिए किया जाता है। यह मुहावरा व्यक्त करता है कि किसी चीज़ या स्थिति के प्रति व्यक्ति का नकारात्मक रुख होता है।

अर्थ: “मुँह बिचकाना” का अर्थ है असंतोष या असहमति का भाव प्रकट करना। जब कोई व्यक्ति किसी बात या परिस्थिति से खुश नहीं होता, तो वह अपने चेहरे के हाव-भाव से इसे दर्शाता है।

प्रयोग: यह मुहावरा तब प्रयोग किया जाता है जब किसी को किसी बात पर नाराजगी हो या वह किसी चीज़ से सहमत नहीं होता। यह व्यक्तिगत असंतोष या असहमति को व्यक्त करने का एक सामान्य तरीका है।

उदाहरण:

-> जब नियांत ने देखा कि उसके लिए खाने में केवल लौकी की सब्जी बनी है, तो उसने तुरंत मुँह बिचका दिया।

-> जया को जब पता चला कि उसे अपनी छुट्टियों में भी काम करना पड़ेगा, तो उसने मुँह बिचका लिया।

निष्कर्ष: “मुँह बिचकाना” मुहावरा हमें बताता है कि व्यक्तिगत असंतोष या असहमति को व्यक्त करने के लिए शब्दों की हमेशा आवश्यकता नहीं होती। चेहरे के हाव-भाव ही कभी-कभी हमारी भावनाओं को दर्शाने के लिए पर्याप्त होते हैं। यह मुहावरा हमें सिखाता है कि असंतोष को सकारात्मक तरीके से व्यक्त करना और समाधान की ओर कदम बढ़ाना महत्वपूर्ण है।

मुँह बिचकाना मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में अमन नाम का एक लड़का रहता था। अमन की माँ हमेशा उसे स्वस्थ भोजन करने की सलाह देतीं, लेकिन अमन को फल और सब्जियाँ खाना बिल्कुल भी पसंद नहीं था। एक दिन जब अमन स्कूल से घर आया और उसने देखा कि खाने में गाजर की सब्जी बनी है, तो उसने तुरंत अपना मुँह बिचका लिया।

उसकी माँ ने यह देख लिया और अमन से कहा, “बेटा, हर चीज़ को एक बार आजमाकर देखना चाहिए। कौन जाने तुम्हें यह पसंद आ जाए।” लेकिन अमन ने अपनी माँ की बात नहीं मानी और बिना खाए ही उठ कर चला गया।

अगले दिन, अमन की माँ ने फिर से गाजर की सब्जी बनाई लेकिन इस बार उन्होंने इसमें कुछ नया तड़का लगाया। जब अमन ने खाना खाया, तो उसे वह सब्जी बहुत पसंद आई। उसने अपनी माँ से माफी माँगी और कहा कि वह आगे से किसी भी चीज़ को बिना आजमाए नापसंद नहीं करेगा।

इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि “मुँह बिचकाना” अक्सर हमारी पूर्वाग्रहों को दर्शाता है। हमें खुले दिमाग से नई चीज़ों को आजमाना चाहिए और हर परिस्थिति को सकारात्मक रूप से स्वीकार करने की कोशिश करनी चाहिए।

शायरी:

जब भी कुछ नया सामने आए, हम मुँह बिचकाते हैं,

जाने अनजाने में ही सही, पर खुद को ही ठुकराते हैं।

खुले दिल से कभी अगर हम दुनिया को अपनाएं,

तो शायद खुद ब खुद ही, हम जीने का सलीका पाएं।

खुद की सोच से परे, जो चीज़ हमें न भाए,

उसे भी एक मौका देकर, देखें तो सही, क्या जाए।

मुँह बिचकाना छोड़ दें, अगर जीवन में खुशियाँ चाहें,

क्योंकि खुले दिमाग से ही, सच्ची खुशियाँ हम पाएं।

जिंदगी की इस दौड़ में, जो मिले वो स्वीकारें,

“मुँह बिचकाना” छोड़, हम खुद को नए रंग में सजाएं।

 

मुँह बिचकाना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of मुँह बिचकाना – Munh bichkana Idiom:

Introduction: “Munh bichkana” is a popular Hindi idiom often used to express dissatisfaction or disapproval. This idiom indicates a person’s negative attitude towards something or a situation.

Meaning: “Munh bichkana” means to express dissatisfaction or disagreement. When a person is not happy with something or a situation, they show it through their facial expressions.

Usage: This idiom is used when someone is annoyed or does not agree with something. It is a common way to express personal dissatisfaction or disagreement.

Example:

-> When Niyant saw that the meal prepared for him was only bottle gourd curry, he immediately made a face.

-> Jaya made a face when she found out that she would have to work during her holidays too.

Conclusion: The idiom “Munh bichkana” tells us that words are not always necessary to express personal dissatisfaction or disagreement. Facial expressions can sometimes suffice to convey our feelings. This idiom teaches us that it is important to express discontent in a positive manner and to take steps towards finding a solution.

Story of ‌‌Munh bichkana Idiom in English:

In a small village lived a boy named Aman. Aman’s mother always advised him to eat healthy food, but Aman did not like to eat fruits and vegetables at all. One day when Aman came home from school and saw that carrot curry was made for the meal, he immediately made a face.

His mother noticed this and said to Aman, “Son, you should try everything at least once. Who knows, you might like it.” But Aman did not heed his mother’s advice and left without eating.

The next day, Aman’s mother made carrot curry again but this time she added a new twist to it. When Aman ate the meal, he really liked the curry. He apologized to his mother and said that he would not dislike anything without trying it in the future.

This story teaches us that “making a face” often reflects our prejudices. We should keep an open mind to try new things and attempt to positively accept every situation.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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