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मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक, अर्थ, प्रयोग(Mulla ki daud masjid tak)

परिचय: हिंदी भाषा भरपूर है मुहावरों से, जो हमें जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में उपयोगी पड़ते हैं। इन्हीं मुहावरों में से एक है “मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक”। आइए, इस मुहावरे का अर्थ, प्रयोग और महत्व जानते हैं।

अर्थ: “मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक” का अर्थ होता है किसी चीज़ की सीमा या उसकी सीमित दूरी। इसका उपयोग वहां किया जाता है जहां किसी चीज़, स्थिति या व्यक्ति की सीमा सीमित होती है।

उदाहरण:

-> विशाल को अपने व्यवसाय में अधिक प्रगति की उम्मीद थी, लेकिन उसमें प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक थी, इसलिए उसकी प्रगति ‘मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक’ ही सीमित रही।

-> अमन अपने रूठकर कही चला गया तो घर वालों ने कहा की पास वाली दुकान पे होगा और कहा जायेगा। आखिर  ‘मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक’

महत्व: यह मुहावरा हमें यह बताता है कि किसी भी प्रक्रिया, स्थिति या व्यक्ति की सीमा हो सकती है। किसी के पास जितनी सीमा हो, वह उसी तक ही पहुँच सकता है। इसलिए, हमें हमेशा सीमित सोच और सीमित संसाधनों के बावजूद अधिकतम प्रयास करना चाहिए।

निष्कर्ष: “मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक” मुहावरा हमें यह प्रेरित करता है कि हमें अपनी सीमा तक पहुँचने के लिए प्रयासशील रहना चाहिए। हालांकि, यह भी सिखाता है कि हर चीज़ की एक सीमा होती है और हमें उस सीमा का सम्मान करते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

Hindi Muhavare Quiz

एक कहानी: मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक

मुल्ला रशीद एक छोटे से गाँव में बस्ता था। वह हर रोज़ अपनी खेतों में काम करता और शाम को मस्जिद में नमाज़ पढ़ने जाता। गाँव के लोग उसे अपने समर्थ्यानुसार काम करते हुए जानते थे।

एक दिन, गाँव में एक बड़ा मेला आया। मेले में एक दौड़ की प्रतियोगिता हुई, जिसमें सभी गाँव के युवक भाग लेने आए। मुल्ला रशीद भी इस प्रतियोगिता में भाग लेने का मन बना लिया।

जब दौड़ शुरू हुई, तो मुल्ला रशीद अच्छी गति से दौड़ने लगा। उसकी गति के चलते वह अधिकांश प्रतिस्पर्धियों को पीछे छोड़ दिया। लेकिन, जैसे-जैसे वह मस्जिद के पास पहुंचा, उसकी गति धीमी हो गई और उसने दौड़ छोड़ दी।

जब लोगों ने पूछा कि उसने मस्जिद के पास ही क्यों दौड़ छोड़ दी, तो उसने जवाब दिया, “मेरी शक्ति और सामर्थ्य मुझे सिर्फ मस्जिद तक पहुंचा सकता है। वही मेरा सीमा है।”

सभी गाँववालों को इससे यह समझ में आया कि “मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक” इस बात को दर्शाता है कि हर व्यक्ति की शक्ति और सामर्थ्य की अपनी-अपनी सीमा होती है, और वह सिर्फ उस सीमा तक ही पहुंच सकता है।

शायरी – Shayari

मुल्ला की दौड़ सीमा में बंधी है मस्जिद तक,

हर ख्वाब की सरहद होती है, हर खुदी की चोट अबीद।

जीवन के इस सफर में, हर कोई तकदीर से लड़ता,

जो मंजिल तक पहुंच जाए, वही असली शायर बनता।

 

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक – Mulla ki daud masjid tak
Idiom:

Introduction: The Hindi language is abundant with idioms that prove useful in various life situations. One such idiom is “मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक” (Mulla ki daud masjid tak). Let’s understand the meaning, usage, and significance of this idiom.

Meaning: The idiom “मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक” (Mulla ki daud masjid tak) translates to “The Mulla’s run is only up to the mosque,” implying the limited range or scope of something. It is used in situations where the extent or capability of a thing or person is restricted.

Usage:

-> Vishal had high hopes for progress in his business, but due to intense competition, his growth was limited, similar to ‘Mulla’s run being only up to the mosque’.

-> When Aman left home in anger, his family guessed he might be at the nearby shop and remarked that after all, ‘his range is only as far as the mosque’.

Significance: This idiom enlightens us that every process, situation, or person can have a limit. Regardless of the boundaries, one can only reach as far as their limits allow. Hence, we should always strive to the fullest even with limited resources and thinking.

Conclusion: The idiom “मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक” (Mulla ki daud masjid tak) inspires us to be persistent in reaching our limits. However, it also teaches that everything has its boundaries, and we should respect those limits while moving forward.

Story of ‌‌मुल्ला की दौड़ मस्जिद तकMulla ki daud masjid tak Idiom:

Mulla Rasheed lived in a small village. Every day, he worked in his fields and in the evening, he went to the mosque to offer prayers. The villagers knew him as someone who worked to the best of his abilities.

One day, a big fair came to the village. The fair included a race competition in which all the young men of the village participated. Mulla Rasheed also decided to take part in this competition.

When the race began, Mulla Rasheed started running at a good pace. Because of his speed, he managed to overtake most of the competitors. However, as he approached the mosque, his speed began to slow down, and he eventually stopped running.

When people asked him why he stopped near the mosque, he replied, “My strength and ability can only take me up to the mosque. That is my limit.”

From this, all the villagers understood that the phrase “Mulla’s run is only up to the mosque” signifies that every individual has their own limit of strength and ability, and they can only reach up to that limit.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस मुहावरे में कोई धार्मिक या सामाजिक संदेश है?

नहीं, यह मुहावरा केवल उत्साह और अस्थिरता को व्यक्त करता है, किसी धार्मिक या सामाजिक संदेश को नहीं।

क्या इस मुहावरे का कोई विपरीतार्थ है?

हां, यह मुहावरा किसी काम को बिना उचित सोचे-समझे के आरंभ करने की चेतावनी देता है, जबकि विपरीतार्थ होता है विचारशीलता और सतर्कता।

क्या इस मुहावरे का कोई विशेष इतिहास है?

नहीं, यह मुहावरा सामान्य उपयोग का हिस्सा है और इसका कोई विशेष इतिहास नहीं है।

इस मुहावरे का क्या अंग्रेजी अनुवाद हो सकता है?

यह मुहावरा अंग्रेजी में “The race of the mullah ends at the mosque” के समकक्ष हो सकता है।

क्या इस मुहावरे का कोई वैज्ञानिक अध्ययन किया गया है?

नहीं, इस मुहावरे का कोई वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हुआ है।

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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