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मुलम्मा उतारना अर्थ, प्रयोग (Mulamma utarna)

परिचय: “मुलम्मा उतारना” एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है, जिसका प्रयोग अक्सर उस स्थिति को व्यक्त करने के लिए किया जाता है जब किसी के झूठ या दिखावे की पोल खुल जाती है, या जब किसी का असली चेहरा सामने आ जाता है। “मुलम्मा” शब्द का अर्थ होता है बाहरी आवरण या चमक, जो किसी वस्तु या व्यक्ति की असलियत को छुपाता है। “मुलम्मा उतारना” का अर्थ होता है उस बाहरी चमक या आवरण को हटाना और असलियत को सामने लाना।

अर्थ: इस मुहावरे का उपयोग व्यक्त करता है कि किसी व्यक्ति का बनावटी या दिखावटी स्वभाव, झूठ या छल कपट का पर्दाफाश हो जाना।

प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी की असलियत सबके सामने आ जाए, खासकर तब जब वह व्यक्ति अपनी असलियत को छुपाने के लिए झूठ या बहाने का सहारा ले रहा हो।

उदाहरण:

-> राजनीतिक दलों के वादे अक्सर “मुलम्मा उतारने” पर झूठे साबित होते हैं।

निष्कर्ष: “मुलम्मा उतारना” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि दिखावटी जीवन या झूठे वादे अंततः सामने आ ही जाते हैं। इसलिए, असलियत में जीना और सत्य के पथ पर चलना ही बेहतर होता है। यह मुहावरा हमें सच्चाई और पारदर्शिता की महत्ता को समझाता है।

मुलम्मा उतारना मुहावरा पर कहानी:

एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक धनी व्यापारी रहता था, जिसका नाम था प्रेमचंद्र। प्रेमचंद्र अपने आप को बहुत ही दानशील और उदार व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करता था। वह अक्सर गांव के लोगों के सामने बड़े-बड़े दान देने की बातें करता और खुद को समाजसेवी के रूप में प्रदर्शित करता।

लेकिन असलियत में, प्रेमचंद्र की यह सब उदारता केवल दिखावे के लिए थी। उसकी असलियत यह थी कि वह अपने धन का उपयोग केवल अपने लाभ के लिए करता था और जरूरतमंदों की मदद करने में कोई रुचि नहीं रखता था। उसकी यह दोहरी जिंदगी किसी को भी पता नहीं थी।

एक दिन, गांव में एक बड़ा अकाल पड़ा और लोगों को भोजन और पानी की बहुत आवश्यकता थी। गांव के लोग प्रेमचंद्र के पास मदद के लिए गए, उम्मीद करते हुए कि उसकी उदारता उनके काम आएगी। प्रेमचंद्र ने पहले तो बड़े उत्साह से उन्हें आश्वासन दिया कि वह उनकी मदद करेगा। लेकिन जब समय आया, तो उसने अपना वादा पूरा नहीं किया।

इस घटना के बाद, एक समझदार और ईमानदार ग्रामीण ने प्रेमचंद्र की असलियत का पर्दाफाश कर दिया। उसने गांव वालों को बताया कि प्रेमचंद्र की सारी उदारता केवल दिखावा थी और असल में, वह कभी भी उनकी मदद करने का इरादा नहीं रखता था।

इस प्रकार, प्रेमचंद्र के “मुलम्मा उतारने” के बाद, गांव वालों को समझ में आया कि असली उदारता और दानशीलता क्या होती है। उन्होंने सीखा कि दिखावे की उदारता से अधिक महत्वपूर्ण है असली नेकी और मदद की भावना।

इस कहानी के माध्यम से “मुलम्मा उतारना” मुहावरे का सही अर्थ समझ में आता है, जो यह दर्शाता है कि असलियत में जीना और वास्तविक उदारता दिखाना ही सच्ची मानवता है।

शायरी:

दिखावे की चमक में ना खोया कर,

मुलम्मा उतार, असली चेहरा दिखाया कर।

जिंदगी एक सफर है, सच्चाई का साथ निभाया कर,

जो दिल से हो, वही प्यार जताया कर।

मुफ्त की शोहरत में ना बहा कर,

ईमानदारी से, हर कदम चलाया कर।

दुनिया की रीत है, अक्सर भरमाया कर,

जो है तेरा, उसे दिल से अपनाया कर।

बातों की गहराई में, सच को तलाशा कर,

मुलम्मा उतार के, अपनापन जताया कर।

रहत की तरह, ग़ज़लों में बहा कर,

जिंदगी की सच्चाई को, शब्दों में सजाया कर।

 

मुलम्मा उतारना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of मुलम्मा उतारना – Mulamma utarna Idiom:

Introduction: “Mulamma utarna” is a popular Hindi idiom often used to describe a situation where someone’s lies or pretenses are exposed, or when someone’s true face comes to light. The word “मुलम्मा” (Mulamma) means an outer coating or shine that hides the reality of an object or person. “मुलम्मा उतारना” (Removing the veneer) means to remove that outer shine or coating and reveal the reality.

Meaning: This idiom is used to express when a person’s artificial or pretentious nature, lies, or deceit are exposed.

Usage: This idiom is used when someone’s reality comes in front of everyone, especially when that person has been trying to hide their reality using lies or excuses.

Example:

-> The promises of political parties often prove to be false upon “removing the veneer.”

Conclusion: The idiom “Mulamma utarna” teaches us that a pretentious life or false promises eventually come to light. Therefore, it is better to live in reality and follow the path of truth. This idiom emphasizes the importance of truth and transparency.

Story of ‌‌Mulamma utarna Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, lived a wealthy merchant named Premchand. Premchand portrayed himself as very generous and benevolent. He often spoke of grand donations in front of the villagers and presented himself as a philanthropist.

However, in reality, all of Premchand’s generosity was just for show. The truth was that he used his wealth solely for his own benefit and had no interest in helping the needy. No one was aware of his double life.

One day, a severe famine struck the village, and the people were in dire need of food and water. The villagers approached Premchand for help, hoping his generosity would come to their aid. Initially, Premchand assured them with great enthusiasm that he would help. But when the time came, he did not fulfill his promise.

After this event, a wise and honest villager exposed Premchand’s reality. He informed the villagers that all of Premchand’s generosity was a facade, and in reality, he never intended to help them.

Thus, after the “removal of Premchand’s veneer,” the villagers understood what true generosity and benevolence meant. They learned that genuine kindness and the spirit of help are more important than the pretense of generosity.

This story illustrates the true meaning of the idiom “मुलम्मा उतारना” (Removing the Veneer), showing that living in reality and displaying true benevolence is the essence of humanity.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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