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मुंह में राम बगल में छुरी, अर्थ, प्रयोग(Muh me ram bagal me churi)

परिचय: “मुंह में राम बगल में छुरी” यह एक लोकप्रिय हिंदी मुहावरा है, जिसे उन व्यक्तियों पर लागू किया जाता है जो बाहर से मित्रता जताते हैं, लेकिन अंदर से द्वेष या ईर्ष्या महसूस करते हैं।

अर्थ: “मुंह में राम” इससे अभिप्रेत है कि व्यक्ति बाहर से भलाई और धार्मिकता की बातें करता है। “बगल में छुरी” इससे मेरा तात्पर्य है कि उसी व्यक्ति के पास अपने अधिकार या स्वार्थ के लिए दूसरों को चोट पहुंचाने का उपाय छुपा हुआ है।

प्रयोग: अनुज अपने साथी विकास से मिलता है और उससे मधुर वार्तालाप करता है, लेकिन जब अनुज जाता है, तो विकास उसकी चुगली करता है। इसे ही हम कहते हैं “मुंह में राम बगल में छुरी”।

विवेचना: यह मुहावरा उन व्यक्तियों के दोहरे चरित्र को चित्रित करता है, जो सामने से सजीव और मित्रतापूर्ण दिखाई देते हैं, लेकिन उनके अदृश्य विचार और भावनाएँ विपरीत होती हैं।

निष्कर्ष: “मुंह में राम बगल में छुरी” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि हमें लोगों को उनकी बाहरी उपस्थिति या शब्दों से मूल्यांकन नहीं करना चाहिए। हमें उनके कार्यों और उनकी स्थिरता पर विश्वास करना चाहिए। इस मुहावरे का अभिप्रेत यह है कि केवल शब्दों पर विश्वास नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि शब्द धोखाधड़ी कर सकते हैं।

Hindi Muhavare Quiz

कहानी

गाँव में सुरेंद्र और प्रेमचंद्र नामक दो मित्र रहते थे। सुरेंद्र सच्चा और ईमानदार आदमी था, जबकि प्रेमचंद्र के व्यक्तित्व में दोहरापन था।

एक दिन, गाँव में मेला हुआ। प्रेमचंद्र ने सुरेंद्र से कहा, “मित्र, चलो! मेले में जा कर कुछ खरीदते हैं।” सुरेंद्र खुशी खुशी तैयार हो गया।

मेले में पहुंचते ही, प्रेमचंद्र ने एक सुंदर कढ़ाई वाली चादर देखी और उसे खरीदने का प्लान बनाया। लेकिन पैसे कम थे। तो उसने सोचा कि वह सुरेंद्र से पैसे मांग ले और बाद में उसे वापस कर दे।

प्रेमचंद्र ने सुरेंद्र से कहा, “दोस्त, मुझे यह चादर बहुत पसंद आई है, क्या तुम मुझे कुछ पैसे दे सकते हो?” सुरेंद्र ने बिना सोचे अपना पुरसा दे दिया।

लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए, प्रेमचंद्र ने पैसे वापस करने की तो बात तक नहीं की। सुरेंद्र ने धैर्य से कुछ समय और दिया, फिर एक दिन उसने पैसे के बारे में पूछा। प्रेमचंद्र ने तुरंत जवाब दिया, “मित्र, मुझे अभी पैसे नहीं मिले हैं। जैसे ही मिलेंगे, मैं तुम्हें वापस कर दूंगा।”

लेकिन सुरेंद्र को पता चला कि प्रेमचंद्र ने उसी चादर को उचित मूल्य पर बेच दिया और पैसा भी अपने उपयोग में ले लिया। इसे जानकर सुरेंद्र को बहुत दुःख हुआ और उसने प्रेमचंद्र से मित्रता तोड़ दी।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि “मुंह में राम बगल में छुरी”। जैसे प्रेमचंद्र ने अपने मित्र सुरेंद्र के साथ किया, वैसे ही कई लोग अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को धोखा दे सकते हैं।

शायरी – Shayari

मुंह में राम, बगल में छुरी लिए,

दुनिया के रंग बदले, जब मोहब्बत हुई कमी।

जिस चेहरे पर थी मुस्कान की ज्योत,

वही दिल में छिपाये धोखे की बात।

फ़ासले बढ़ गए, जब आँखों का मिलान हुआ धुंधला,

दिल तो जोड़ने चले थे, पर जीवन बना जंजाला।

खुले आसमां में भी, बसती रही यह तन्हाई,

उसकी मित्रता की फ़सल, सिर्फ़ धोखा पाई।

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of मुंह में राम बगल में छुरी – Muh me ram bagal me churi:

Introduction: The phrase “Mouth speaks of Ram, but there’s a knife in the armpit” is a popular Hindi idiom, which is applied to those individuals who show friendliness on the outside, but harbor resentment or envy on the inside.

Meaning: “Mouth speaks of Ram” signifies that the individual speaks of goodness and piety outwardly. “Knife in the armpit” implies that the same individual secretly harbors intentions to harm others for personal gains or agendas.

Usage: Anuj meets his colleague Vikas and engages in a pleasant conversation with him. However, as soon as Vikas leaves, Anuj backbites about him. This behavior is aptly described by the idiom “Mouth speaks of Ram, but there’s a knife in the armpit”.

Discussion: This idiom portrays the dual character of individuals who appear lively and friendly on the outside, but their hidden thoughts and feelings are contradictory.

Conclusion: The idiom “Mouth speaks of Ram, but there’s a knife in the armpit” teaches us that we shouldn’t judge people by their external demeanor or just their words. We should trust their actions and their consistency. The essence of this saying is that one shouldn’t rely solely on words, as they can be deceptive.

Story: 

In a village, there lived two friends named Surendra and Premchandra. Surendra was an honest and trustworthy man, while Premchandra had a dual nature.

One day, a fair was held in the village. Premchandra said to Surendra, “Friend, let’s go! Let’s buy something at the fair.” Surendra gladly agreed.

Upon reaching the fair, Premchandra spotted a beautifully embroidered shawl and planned to buy it. However, he was short on money. He thought of borrowing some from Surendra and repaying him later.

Premchandra asked Surendra, “Friend, I really like this shawl. Can you lend me some money?” Without hesitation, Surendra handed over his wallet.

But as days passed, Premchandra did not even mention repaying the money. Surendra patiently waited for a while and one day asked about the money. Premchandra promptly replied, “Friend, I haven’t received any money yet. As soon as I get it, I’ll repay you.”

However, Surendra discovered that Premchandra had sold the very same shawl at a decent price and kept the money for himself. Learning this, Surendra was deeply hurt and ended his friendship with Premchandra.

From this story, we learn the essence of the idiom “Mouth speaks of Ram, but there’s a knife in the armpit.” Just as Premchandra deceived his friend Surendra, many might deceive others for their own selfish gains.

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

“मुंह में राम बगल में छुरी” मुहावरे की उत्पत्ति कैसे हुई?

इस मुहावरे की सटीक उत्पत्ति का वर्णन करना मुश्किल है, लेकिन यह भारतीय समाज में प्रचलित धार्मिकता और आध्यात्मिकता के साथ-साथ छल-कपट के दोहरे व्यवहार को दर्शाने के लिए विकसित हुआ होगा।

“मुंह में राम बगल में छुरी” मुहावरे का आधुनिक समाज में क्या महत्व है?

आधुनिक समाज में इस मुहावरे का महत्व इसलिए बना हुआ है क्योंकि यह व्यक्तियों के दोहरे चरित्र और छल-कपट के प्रवृत्तियों को उजागर करता है, जो कभी-कभी समाज में देखने को मिलता है।

“मुंह में राम बगल में छुरी” मुहावरे की सीख क्या है?

इस मुहावरे की सीख यह है कि हमें लोगों की बाहरी उपस्थिति और बातों से जल्दी प्रभावित नहीं होना चाहिए और उनके वास्तविक चरित्र को समझने की कोशिश करनी चाहिए।

“मुंह में राम बगल में छुरी” मुहावरे का समाज में क्या प्रभाव है?

यह मुहावरा समाज में व्यक्तियों के दोहरे चरित्र और धोखाधड़ी की प्रवृत्तियों के प्रति जागरूकता बढ़ाता है, और लोगों को ऐसे व्यक्तियों से सावधान रहने के लिए प्रेरित करता है।

“मुंह में राम बगल में छुरी” मुहावरे का इस्तेमाल करने में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

इस मुहावरे का इस्तेमाल करते समय सावधानी बरतनी चाहिए कि यह किसी के चरित्र पर आधारहीन आरोप न लगाए। सही संदर्भ और परिस्थिति की जांच के बाद ही इसे प्रयोग में लाना चाहिए।

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यह मुहावरा मानव शरीर के अंगों पर आधारित मुहावरे पेज पर भी उपलब्ध है।

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