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मुफ्त की शराब काजी को भी हलाल अर्थ, प्रयोग (Muft ki sharab kaji ko bhi halal)

परिचय: हिंदी मुहावरा “मुफ्त की शराब काजी को भी हलाल” समाज में मुफ्त की चीजों के प्रति लोगों की मानसिकता और लालच को दर्शाता है। यह मुहावरा यह संकेत देता है कि जब कुछ मुफ्त में मिलता है, तो लोग अपने नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों को भूल जाते हैं।

अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है कि जब कुछ मुफ्त में मिलता है, तो लोग, चाहे वे कितने ही धार्मिक या नैतिकता के पक्षपाती क्यों न हों, उसका लाभ उठाने के लिए अपने सिद्धांतों को त्याग देते हैं।

प्रयोग: यह मुहावरा आमतौर पर उन स्थितियों में प्रयोग किया जाता है जहाँ किसी को कुछ मुफ्त में मिल रहा हो और वह व्यक्ति उसका लाभ उठाने के लिए अपने नैतिक मानदंडों को नज़रअंदाज कर दे।

उदाहरण:

एक समाज सेवी संस्था ने मुफ्त में कपड़े बांटने का आयोजन किया। इस आयोजन में वे लोग भी पहुँच गए, जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता नहीं थी, दिखाते हुए कि “मुफ्त की शराब काजी को भी हलाल”।

निष्कर्ष: “मुफ्त की शराब काजी को भी हलाल” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि मुफ्त की चीजों का लालच किसी को भी अपने नैतिक मूल्यों से भटका सकता है। यह हमें याद दिलाता है कि हमें हमेशा अपने सिद्धांतों के प्रति सच्चे रहना चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कुछ भी हों।

मुफ्त की शराब काजी को भी हलाल मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गांव में एक काजी साहब रहते थे, जो अपनी धार्मिकता और नैतिकता के लिए विख्यात थे। उनके जीवन के सिद्धांत बहुत सख्त थे और वे हमेशा लोगों को नैतिकता का पाठ पढ़ाते थे। उनका कहना था कि जीवन में हर काम धर्म और नैतिकता के अनुसार ही करना चाहिए।

एक दिन, गांव में एक बड़ा मेला लगा। मेले में एक व्यापारी आया, जो नई-नई शराब की बोतलें लेकर आया था। उसने घोषणा की कि वह प्रत्येक व्यक्ति को मुफ्त में शराब की एक बोतल देगा। यह सुनकर गांव के लोग खुशी से उछल पड़े और शराब पाने के लिए उसके पास चले गए।

काजी साहब भी मेले में थे, लेकिन वे शराब से दूर ही रहते थे। हालांकि, जब उन्होंने सुना कि शराब मुफ्त में बांटी जा रही है, तो उनके मन में भी लालच जग उठा। उन्होंने सोचा, “चलो, देखते हैं कि यह शराब कैसी है। आखिर मुफ्त की तो है।” और वे भी उस भीड़ में शामिल हो गए जो मुफ्त की शराब के लिए खड़ी थी।

जब गांव के लोगों ने देखा कि काजी साहब भी मुफ्त की शराब लेने के लिए खड़े हैं, तो वे चकित रह गए। इस घटना ने गांव में बहुत चर्चा पैदा की और लोग कहने लगे, “देखो, मुफ्त की शराब काजी को भी हलाल लगती है।”

इस कहानी के माध्यम से हमें सिखने को मिलता है कि मनुष्य कितना भी धार्मिक या नैतिकता का पालन करने वाला क्यों न हो, मुफ्त की चीजों के प्रति लालच किसी को भी अपने सिद्धांतों से भटका सकता है। “मुफ्त की शराब काजी को भी हलाल” मुहावरा यह दर्शाता है कि मुफ्त की चीजों का आकर्षण किसी को भी कमजोर बना सकता है, चाहे उनकी सामाजिक या धार्मिक स्थिति कुछ भी हो।

शायरी:

मुफ्त की शराब का चलन सब पर भारी,

काजी भी खो बैठे जब अपनी खुदारी।

जो सिखाते थे हमें हर वक्त हलाल,

वो भी मुफ्त में छोड़ दें, यह कैसा कमाल?

धर्म की बातें सब हवा में उड़ गईं,

मुफ्त की शराब ने सबकी प्यास बुझा दी।

नैतिकता की बातें कहाँ खो गईं,

जब मुफ्त की शराब ने दस्तक दी।

इस दुनिया का कैसा अजब खेल है,

मुफ्त की चीज़ सबको लगे अनमोल है।

आओ सोचें, इस पाठ से क्या सीखें,

कि मुफ्त की चीज़ों में भी दामन न गीलें।

 

मुफ्त की शराब काजी को भी हलाल शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of मुफ्त की शराब काजी को भी हलाल – Muft ki sharab kaji ko bhi halal Idiom:

Introduction: The Hindi idiom “मुफ्त की शराब काजी को भी हलाल” highlights people’s mentality and greed towards free things in society. This phrase suggests that when something is offered for free, people tend to forget their moral values and principles.

Meaning: The literal meaning of this idiom is that even a highly principled or religious person might forget their morals and principles when offered something for free.

Usage: This idiom is commonly used in situations where someone is getting something for free, and that person overlooks their ethical standards to take advantage of it.

Example:

A community service organization organized a free clothing distribution. People who didn’t need the clothes also showed up, demonstrating that “मुफ्त की शराब काजी को भी हलाल”.

Conclusion: The idiom “मुफ्त की शराब काजी को भी हलाल” teaches us that the temptation of free things can distract anyone from their moral values. It reminds us to always stay true to our principles, regardless of the circumstances.

Story of ‌‌Muft ki sharab kaji ko bhi halal Idiom in English:

In a small village lived a Qazi known for his religiosity and morality. He always preached the importance of adhering to religious and ethical principles in life. One day, a fair was held in the village, attracting a merchant who brought new bottles of alcohol, announcing he would give one bottle to each person for free. The villagers, excited by the offer, rushed to get their free bottle.

Although Qazi Sahab was present at the fair, he typically avoided alcohol. However, the announcement of free alcohol stirred greed within him. He thought, “Let’s see how this alcohol is. After all, it’s free,” and joined the crowd waiting for the free alcohol.

When the villagers saw Qazi Sahab standing in line for the free alcohol, they were astonished. This incident sparked much discussion in the village, leading people to say, “See, even the Qazi finds free alcohol to be permissible.”

This story teaches us that no matter how religious or moral a person may be, the lure of free things can lead anyone astray from their principles. The idiom “मुफ्त की शराब काजी को भी हलाल” illustrates how the attraction of free items can weaken anyone, regardless of their social or religious status.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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