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मक्खीचूस होना, अर्थ, प्रयोग(Makkhichoose hona)

अर्थ: “मक्खीचूस होना” एक प्रमुख हिंदी मुहावरा है, जिसका अर्थ होता है किसी को अत्यधिक कंजूस या मक्खीचूस समझना। इस मुहावरे का अर्थ निकलता है कि जैसे किसी कंजूस व्यक्ति ने घी में पड़ी मक्खी भी नहीं छोड़ी, वैसे ही वह अपनी संपत्ति का एक छोटा सा हिस्सा भी नहीं खर्च करना चाहता।

उपयोग: जब हम किसी को बहुत अधिक कंजूस समझते हैं, तब हम इस मुहावरे का प्रयोग करते हैं।

उदाहरण:

-> अनुज अपने दोस्तों के लिए कभी भी पैसे नहीं खर्च करता, वह तो पूरी तरह से ‘मक्खीचूस’ है।

विवेचना: हमारी संस्कृति में बहुत सारे मुहावरे और कहावतें हैं जो हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को चित्रित करते हैं। “मक्खीचूस होना” भी ऐसा ही एक मुहावरा है जिससे किसी व्यक्ति के कंजूसी को दर्शाया जाता है। घी एक महंगा और मौलिक आहार है, और अगर कोई उसमें पड़ी मक्खी को भी नहीं छोड़ता, तो यह सूचित करता है कि वह कितना कंजूस है।

निष्कर्ष: “मक्खीचूस होना” मुहावरा व्यक्ति की अत्यधिक कंजूसी को दर्शाता है। यह मुहावरा हमें यह सिखाता है कि हमें अपनी संपत्ति और संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करना चाहिए और अनावश्यक रूप से कंजूसी नहीं करनी चाहिए।

Hindi Muhavare Quiz

मक्खीचूस होना मुहावरा पर कहानी:

सुधीर गाँव का सबसे प्रसिद्ध व्यक्ति था, लेकिन उसकी प्रसिद्धि इस बात के लिए थी कि वह बहुत अधिक कंजूस था। इसलिए लोग उसे “मक्खीचूस” कहकर बुलाते थे।

एक दिन गाँव में एक बड़ा मेला हुआ। सभी लोग खुशियों से मेले में गए और अलग-अलग स्टॉल्स से सामान खरीदने लगे। सुधीर भी मेले में गया था, लेकिन वह किसी भी स्टॉल से कुछ खरीदने की सोच भी नहीं रहा था।

सुधीर को एक स्टॉल पर घी दिखाई दिया। वह घी खरीदने की सोच रहा था, पर जब उसने मूल्य सुना, तो वह चौंक गया। स्टॉलवाला ने उसे घी की एक छोटी सी कटोरी दी जिसमें एक मक्खी डूबी हुई थी। सुधीर ने मक्खी को घी से बाहर निकाला और उसे अलग कर दिया, लेकिन वह मक्खी के पीछे लगे घी को भी अपनी उंगली से चाट लिया।

इसे देखकर गाँववाले हंस पड़े। वे कहने लगे, “देखो, सुधीर तो सचमुच मक्खीचूस है। उसने घी में पड़ी मक्खी के पीछे लगे घी को भी नहीं छोड़ा।”

इस किस्से से गाँववालों को यह सिखने को मिला कि कंजूसी की भी एक सीमा होती है, और सुधीर ने वास्तव में इस मुहावरे “मक्खीचूस होना” का सही अर्थ प्रस्तुत किया।

शायरी:

मक्खी के पीछे घी छोड़ दिया क्या?

जीवन की इस रहगुज़ार में,

जो भी मिले उसे अपना लो, दोस्त,

जीवन तो है फिर भी फानी,

मोहब्बत में कंजूसी कौन रखता है यार।

 

मक्खीचूस होना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of मक्खीचूस होना – Makkhichoose hona Idiom:

Meaning: “Makkhichoose hona” is a prominent Hindi idiom that translates to considering someone as extremely miserly or stingy. The literal meaning of this idiom suggests that just as a stingy person would not even spare a fly in ghee (clarified butter), similarly, they wouldn’t want to spend even a tiny fraction of their wealth.

Usage: This idiom is used when we perceive someone as being overly tight-fisted or stingy.

Usage:

-> Anuj never spends money on his friends; he’s a complete ‘makkhichus’ (tightwad).

Elaboration: Our culture is enriched with various idioms and sayings that depict different facets of our life. “Makkhichoose hona” is one such idiom that portrays the stinginess of an individual. Ghee is considered a precious and fundamental food item, and if someone doesn’t even spare a fly found in it, it indicates the extent of their miserliness.

Conclusion: The idiom “Makkhichoose hona” exemplifies extreme miserliness in a person. It teaches us that we should utilize our wealth and resources wisely and not be unnecessarily parsimonious.

Story of ‌‌Makkhichoose hona Idiom in English:

Sudhir was the most well-known person in the village, but he was renowned for his extreme stinginess. Hence, people nicknamed him “Makkhichoose,” which translates to “fly-sucker.”

One day, a grand fair took place in the village. All the villagers went to the fair joyfully and started purchasing items from different stalls. Sudhir also attended the fair but had no intention of buying anything from any stall.

Sudhir spotted a stall selling ghee (clarified butter). He thought of buying some, but when he heard the price, he was taken aback. The stall owner gave him a small bowl of ghee with a fly submerged in it. Sudhir removed the fly from the ghee and set it aside, but he also licked the ghee sticking to the fly with his finger.

Witnessing this, the villagers burst into laughter. They exclaimed, “Look, Sudhir truly lives up to his nickname ‘Makkhichoose.’ He didn’t even spare the ghee stuck to the fly.”

From this incident, the villagers learned that there’s a limit to stinginess, and Sudhir genuinely epitomized the meaning of the idiom “Makkhichoose honā” (to be extremely miserly).

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

“मक्खीचूस होना” मुहावरे की उत्पत्ति कैसे हुई?

इस मुहावरे की उत्पत्ति के बारे में विशिष्ट जानकारी नहीं है, परंतु यह भारतीय समाज में प्रचलित व्यंग्यात्मक वाक्यांशों में से एक है, जो अत्यधिक कंजूसी की प्रवृत्ति को व्यक्त करता है।

“मक्खीचूस होना” मुहावरे का सामाजिक महत्व क्या है?

सामाजिक रूप से, यह मुहावरा व्यक्तियों के वित्तीय व्यवहार और उनके धन के प्रति अत्यधिक संयम या कंजूसी की प्रवृत्ति को उजागर करता है, जिसे सामाजिक रूप से अवांछनीय माना जा सकता है।

क्या “मक्खीचूस होना” मुहावरे का कोई विलोम (विपरीत अर्थ वाला शब्द) भी होता है?

इस मुहावरे का विलोम “दिल खोलकर खर्च करना” हो सकता है, जिसका अर्थ है बिना किसी संकोच के खर्च करना।

“मक्खीचूस होना” मुहावरे को कैसे समझाया जा सकता है अगर किसी को इसका अर्थ नहीं पता?

इस मुहावरे को समझाने के लिए आप कह सकते हैं कि जब कोई व्यक्ति इतना कंजूस होता है कि वह अपने खर्चों पर बहुत ही सख्ती से नियंत्रण रखता है और छोटी से छोटी चीज़ पर भी पैसे खर्च करने से कतराता है, तो उसे “मक्खीचूस” कहा जाता है।

“मक्खीचूस होना” मुहावरे का साहित्य में क्या महत्व है?

साहित्य में, “मक्खीचूस होना” मुहावरे का महत्व इसके व्यंग्यात्मक और चरित्र-चित्रण के तत्व के रूप में होता है, जिसका उपयोग पात्रों की कंजूस प्रवृत्तियों को उजागर करने और कहानी में हास्य या विडंबना जोड़ने के लिए किया जाता है।

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