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मक्खन लगाना, अर्थ, प्रयोग(Makhan lagana)

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परिचय: हिंदी भाषा में अनेक मुहावरे हैं जो विभिन्न परिस्थितियों और जीवन की घटनाओं को व्यक्त करने में सहायक होते हैं। “मक्खन लगाना” भी ऐसा ही एक रुचिकर मुहावरा है।

अर्थ: “मक्खन लगाना” का मुख्य अर्थ है किसी को चापलूसी करना या मोहित करने के लिए अधिक प्रशंसा करना।

उदाहरण:

-> विशाल अपने प्रमोशन के लिए अपने बॉस को रोज मक्खन लगाता है।

-> अनिता ने अपने दोस्त की तारीफ में इतना मक्खन लगाया कि सभी हैरान रह गए।

विवेचना: इस मुहावरे का उपयोग तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति का ध्यान अक्सर अपने लाभ के लिए दूसरों की अधिक प्रशंसा में जाता है। “मक्खन” यहां पर चिकनाहट और मुलायमता का प्रतीक है, जो किसी को मोहित करने का अभिप्रेत है।

निष्कर्ष: “मक्खन लगाना” जैसे मुहावरे से हमें यह समझने को मिलता है कि जीवन में कई बार हमें चापलूसी और अधिक प्रशंसा का सामना करना पड़ता है। यह मुहावरा हमें उन लोगों के बारे में सतर्क रहने के लिए भी सजग करता है जो सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की प्रशंसा करते हैं।

मक्खन लगाना मुहावरा पर कहानी:

गाँव के सबसे बड़े स्कूल में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो रहा था। इस प्रक्रिया में सुरेंद्र और विनीत दो प्रमुख प्रत्याशी थे। सुरेंद्र एक ईमानदार और मेहनती व्यक्ति था, जबकि विनीत अपनी चालाकी और चतुराई के लिए प्रसिद्ध था।

विनीत ने सोचा कि अगर वह शिक्षकों को खुश कर दे तो उसे अधिक वोट मिलेंगे। इसलिए उसने हर शिक्षक के साथ मिलकर उनकी बहुत तारीफ़ की, उन्हें उपहार दिए और उन्हें यह विश्वास दिलाया कि वह स्कूल के लिए सबसे उत्तम है। यहाँ तक कि वह उन शिक्षकों की भी प्रशंसा कर बैठता जिन्हें वह ज्यादा पसंद नहीं करता था। उसकी इस चालाकी को देखते हुए, अन्य शिक्षकों ने कहा, “विनीत तो सभी को मक्खन लगा रहा है!”

सुरेंद्र इस सब को देख रहा था, लेकिन उसने सच्चाई और अपने विचारों पर विश्वास किया। उसने शिक्षकों को उनकी उपलब्धियों के लिए सही मायने में प्रशंसा की और उनसे स्कूल की बेहतरी के लिए सुझाव मांगे।

चुनाव का दिन आया, और जब वोट की गिनती हुई, तो सभी हैरान थे क्योंकि सुरेंद्र अधिक मतों से विजयी हुए थे। उसकी सजगता, सच्चाई और ईमानदारी ने उसे विजयी बनाया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सच्चाई और ईमानदारी से ज्यादा बड़ी कोई चीज़ नहीं होती। ‘मक्खन लगाना’ की तकनीक से आप कुछ समय तक लोगों को धोखा दे सकते हैं, लेकिन अंत में सच्चाई ही जीतती है।

शायरी:

जिंदगी के इस सफर में कुछ लोग मिठास ढूंढते हैं,

उन्हें अल्फाज़ और मक्खन की कमी नजर आती है।

उनके लबों पे हमेशा मिठास ही बहती है, 

लेकिन जो दिल से कहते हैं, वही असली बात होती है। 

मक्खन लगा कर भले चाँद तक पहुँच जाए, 

लेकिन असली ख़ुशी तो ज़िंदगी की सच्चाई में है।

 

मक्खन लगाना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of मक्खन लगाना – Makkhan Lagana Idiom:

Introduction: Hindi language has numerous idioms that assist in articulating various situations and life events. “Makkhan Lagana” is one such intriguing idiom.

Meaning: The primary meaning of “Makkhan Lagana” is to flatter someone excessively or to praise someone with the intent of gaining favor.

Usage:

-> Vishal flatters his boss daily for his promotion. 

-> Anita heaped so much praise on her friend that everyone was astonished.

Discussion: This idiom is used when an individual excessively praises another, typically for personal gain. Here, “makkhan” or butter symbolizes smoothness and softness, implying the intent to woo or charm someone.

Conclusion: Idioms like “Makkhan Lagana” teach us that in life, we often encounter flattery and excessive praise. This idiom also serves as a reminder to be cautious of those who only shower praise for their self-interest.

Story of ‌‌Makkhan Lagana Idiom in English:

In the village’s most prominent school, elections were underway for the position of chairman. The main contenders in this process were Surendra and Vineet. Surendra was known for his honesty and diligence, while Vineet was famed for his cunning and cleverness.

Thinking that pleasing the teachers would fetch him more votes, Vineet started to excessively praise every educator, offering them gifts and reassuring them that he was the best fit for the school. He even went to the extent of praising those teachers he didn’t particularly like. Observing his cunning ploys, other teachers remarked, “Vineet is buttering up everyone!”

Surendra was witnessing all this but chose to trust the truth and his convictions. He genuinely commended the teachers for their accomplishments and sought suggestions for the betterment of the school.

When the election day arrived and the votes were counted, everyone was astonished as Surendra triumphed by a significant margin. His alertness, truthfulness, and integrity were what crowned him the victor.

The story teaches us that nothing is greater than truth and honesty. While one can deceive people for a while with the tactic of “buttering up”, in the end, it’s the truth that prevails.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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