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मैं भी रानी तू भी रानी कौन भरेगा घर का पानी अर्थ, प्रयोग (Main bhi rani tu bhi rani kaun bharega ghar ka pani)

“मैं भी रानी तू भी रानी कौन भरेगा घर का पानी” एक प्रचलित हिंदी कहावत है, जो सहयोग और जिम्मेदारियों के वितरण के महत्व पर प्रकाश डालती है। इस कहावत में व्यंग्य का तत्व है, जो यह संकेत देता है कि जब हर कोई सिर्फ आराम और विशेषाधिकार की चाह में रहता है, तो आवश्यक कार्य कौन करेगा।

परिचय: यह कहावत समाज में विभिन्न भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के संदर्भ में अक्सर उपयोग की जाती है। इसका अर्थ है कि अगर हर कोई स्वयं को सबसे महत्वपूर्ण मानकर केवल अधिकार चाहे और कर्तव्य से मुँह मोड़े, तो सामान्य और आवश्यक कार्य कैसे संपन्न होंगे।

अर्थ: कहावत का सीधा अर्थ है कि जब सभी लोग सिर्फ आराम और सुख की खोज में होते हैं, तो रोजमर्रा के जरूरी काम अधूरे रह जाते हैं। इसका उद्देश्य यह बताना है कि हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए।

प्रयोग: यह कहावत उन परिस्थितियों में उपयोगी होती है जब लोग अपने कर्तव्यों से बचने की कोशिश करते हैं और सिर्फ आराम या विशेषाधिकार की चाह रखते हैं। यह टीम वर्क और सहयोग की आवश्यकता पर भी जोर देती है।

उदाहरण:

किसी कार्यालय में, अगर सभी कर्मचारी सिर्फ बड़े पदों और सुविधाओं की चाह में रहें और दैनिक कार्यों की उपेक्षा करें, तो कार्यालय का सामान्य संचालन प्रभावित होगा।

निष्कर्ष: “मैं भी रानी तू भी रानी कौन भरेगा घर का पानी” कहावत हमें यह सिखाती है कि किसी भी समाज या समूह में सुचारु रूप से कामकाज के लिए सभी को अपनी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को समझना और निभाना चाहिए। यह केवल व्यक्तिगत लाभ की खोज के बजाय सहयोग और सामूहिक प्रयासों की महत्ता पर बल देती है।

मैं भी रानी तू भी रानी कौन भरेगा घर का पानी कहावत पर कहानी:

एक छोटे से गांव में दो बहनें जया और पूजा रहती थीं। दोनों ही अपनी सुंदरता और आराम पसंदी के लिए प्रसिद्ध थीं। वे हमेशा खुद को रानी समझतीं और कभी भी घर के कामकाज में हाथ नहीं बटातीं। उनकी माँ हमेशा उनसे घर के काम में मदद करने को कहतीं, लेकिन वे हमेशा कोई ना कोई बहाना बना देतीं।

एक दिन उनकी माँ ने कहा, “मैं भी रानी तू भी रानी, कौन भरेगा घर का पानी?” उनकी माँ का यह कहना था कि दोनों बहनों को समझ में आ गया कि वे अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही हैं और यह कि हर किसी को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए।

उस दिन के बाद, जया और पूजा ने अपने व्यवहार में बदलाव किया। उन्होंने घर के कामों में माँ की मदद करना शुरू कर दिया। वे पानी भरने, खाना पकाने, और सफाई करने में माँ के साथ हाथ बंटाने लगीं। उन्होंने समझा कि सहयोग और सामूहिक प्रयास से ही घर का संचालन सुचारु रूप से हो सकता है।

धीरे-धीरे, उनके घर का माहौल बदल गया। अब घर में खुशियाँ और समृद्धि थी। जया और पूजा ने सीखा कि केवल आराम और सुख की चाह रखने से कुछ नहीं होता, बल्कि अपने कर्तव्यों को समझना और उन्हें निभाना भी जरूरी है।

इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि “मैं भी रानी तू भी रानी कौन भरेगा घर का पानी” कहावत का अर्थ है कि हमें अपने व्यक्तिगत लाभ और आराम की खोज से ऊपर उठकर सामूहिक भलाई और कर्तव्यों की पूर्ति के लिए काम करना चाहिए।

शायरी:

मैं भी रानी, तू भी रानी, कौन भरेगा घर का पानी,
जिम्मेदारियों से मुंह मोड़े, कैसे बनेगी यह कहानी।

सपने सजाए सब अपने, पर मेहनत से करें किनारा,
जब काम की बात आई, सबने देखा दूसरा चेहरा।

कर्तव्यों का बोझ बाँट लें, तो खुशियाँ आसानी से मिले,
सहयोग की राह पर चलें, तो हर दुश्वारी हल हो जिले।

आराम की चाह में खोए, कैसे सपने सच होए,
मेहनत और समर्पण से ही, जीवन में बहार आए।

साथ मिलकर काम करें, तो दुनिया स्वर्ग से कम न हो,
“मैं भी रानी, तू भी रानी,” कहने में क्या दम न हो।

इस शायरी के हर पंक्ति में, एक सीख छिपी है बारीकी से,
सबका साथ, सबका विकास, यही संदेश है गहरी से।

 

मैं भी रानी तू भी रानी कौन भरेगा घर का पानी शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of मैं भी रानी तू भी रानी कौन भरेगा घर का पानी – Main bhi rani tu bhi rani kaun bharega ghar ka pani proverb:

“Main bhi rani tu bhi rani kaun bharega ghar ka pani” is a popular Hindi proverb highlighting the importance of cooperation and distribution of responsibilities. This proverb contains an element of satire, indicating that when everyone desires only comfort and privilege, who will perform the necessary tasks.

Introduction: This proverb is often used in the context of various roles and responsibilities in society. It means that if everyone considers themselves most important, seeking only rights and shirking duties, how will ordinary and necessary tasks be accomplished?

Meaning: The direct meaning of this proverb is that when all individuals seek only comfort and pleasure, everyday essential tasks remain incomplete. The aim is to convey that every person should fulfill their responsibilities.

Usage: This proverb is useful in situations where people try to avoid their duties and seek only comfort or privileges. It also emphasizes the need for teamwork and cooperation.

Example:

In an office, if all employees only desire higher positions and amenities and neglect daily tasks, the office’s normal operations will be affected.

Conclusion: The proverb “Main bhi rani tu bhi rani kaun bharega ghar ka pani” teaches us that for smooth functioning in any society or group, everyone must understand and fulfill their roles and responsibilities. It stresses the importance of cooperation and collective efforts over seeking personal gain.

Story of ‌‌Main bhi rani tu bhi rani kaun bharega ghar ka pani proverb in English:

In a small village, there lived two sisters, Jaya and Pooja. Both were known for their beauty and love for comfort. They always considered themselves as queens and never helped with household chores. Their mother always asked them to help with the housework, but they always made some excuse.

One day, their mother said, “If I am a queen and you are a queen, who will fetch the water for the house?” This statement made the two sisters realize that they were avoiding their responsibilities and that everyone should fulfill their duties.

After that day, Jaya and Pooja changed their behavior. They began to help with household tasks. They started assisting their mother with fetching water, cooking, and cleaning. They understood that only through cooperation and collective effort could the household run smoothly.

Gradually, the atmosphere in their home changed. Now, there was happiness and prosperity in the house. Jaya and Pooja learned that merely desiring comfort and pleasure accomplishes nothing; understanding and fulfilling one’s duties are also essential.

This story teaches us that the proverb “I too am a queen, you’re also a queen, who will fetch the water for the house?” means that we should rise above seeking personal gain and comfort to work for the collective good and fulfillment of duties.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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