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लोहे के चने चबाना, अर्थ, प्रयोग(Lohe ke chane chabana)

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परिचय: “लोहे के चने चबाना” हिंदी में एक लोकप्रिय मुहावरा है जिसे किसी व्यक्ति की कठिनाईयों, संघर्षों और परिश्रम को प्रकट करने के लिए उपयोग किया जाता है।

अर्थ: यह मुहावरा उन लोगों के लिए प्रयुक्त होता है जो मुश्किल हालात में भी मजबूती और साहस दिखाते हैं। अगर कोई कठिनाईयों में भी डट कर सामना करता है, तो कहा जाता है कि वह “लोहे के चने चबा रहा है”।

उदाहरण:

-> विनीत ने अपनी प्रतिष्ठित कंपनी में जोब छोड़ दी और अपना स्टार्टअप शुरू किया। शरुआती दिनों में उसे बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उसने हार मानी नहीं और लोग कहते थे कि वह “लोहे के चने चबा रहा है”।

विवरण: जीवन में हर किसी को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, पर कुछ लोग इसे अवसर मानते हैं और उससे सीखते हैं। जब व्यक्ति परेशान नहीं होता है, बल्कि उस चुनौती को सामना करने की पूरी कोशिश करता है, तो उसे ‘लोहे के चने चबाने वाला’ माना जाता है।

आजकल इस मुहावरे का उपयोग उन लोगों के लिए भी किया जाता है जो अपनी ज़िंदगी में विशेष उपलब्धियों को प्राप्त करने के लिए संघर्ष करते हैं।

आशा है कि आपको “लोहे के चने चबाना” मुहावरे का अर्थ और प्रयोग समझ में आया होगा। और भी जानकारियों के लिए आप हमारी वेबसाइट budhimaan.com पर जा सकते हैं।

लोहे के चने चबाना मुहावरा पर कहानी:

मुनीश एक गाँव में रहने वाला छोटा लड़का था। उसके पिता गाँव में ही कृषि कार्य करते थे, और पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके कन्धों पर थी। गाँव में पानी की बहुत बड़ी समस्या थी, जिससे खेती में बहुत समस्या हो रही थी।

मुनीश ने तय किया कि वह इस समस्या का समाधान ढूंढेगा। लेकिन लोग उस पर हंसते थे और कहते थे कि यह समस्या पुरानी है और इसका कोई समाधान नहीं है। लेकिन मुनीश था वो जो “लोहे के चने चबाने” वाला था। उसने तय किया कि वह इस समस्या का समाधान निकलेगा।

मुनीश ने कई गाँवों में यात्रा की और वहाँ की जल स्तर को समझा। वह समझ गया कि पानी की समस्या का मुख्य कारण अधिक जल उपयोग और जल सरंक्षण की कमी थी।

उसने अपने गाँव में वृक्षारोपण अभियान चलाया, और जल संचारण में सुधार की योजना बनाई। उसका प्रयास और संघर्ष लोगों को दिखाई देने लगा और वह उसके साथ मिलकर काम करने लगे।

कुछ सालों में, गाँव में पानी की समस्या कम हो गई, और मुनीश की मेहनत और संघर्ष को लोग समझ गए। मुनीश को देखकर लोग कहते थे, “मुनीश तो वाकई लोहे के चने चबा रहा है।”

इस कहानी से हमें यह सीख मिलता है कि कठिनाइयों में भी सामना करने और संघर्ष करने की भावना से ही सच्ची सफलता प्राप्त कर सकते है 

शायरी:

लोहे के चने सा जीवन का मेल, 

मुस्कान संजोया जो धरकन में पहेल।

हर ठोकर में भी खोजता हूँ वो गीत, 

जिसमें हो ज़िंदगी की मिठास, और हर दर्द की मिटास।

 

लोहे के चने चबाना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of लोहे के चने चबाना – Lohe ke chane chabana Idiom:

Introduction: The Hindi idiom “lohe ke chane chabana” is often used to describe someone enduring hardships, facing challenges, or showcasing immense perseverance.

Meaning:  This phrase is used for those who demonstrate resilience and courage even in tough situations. If someone stands firm and faces challenges head-on, it’s said that they are “lohe ke chane chabana” (literal translation of the idiom).

Examples:

Vineet left his job at a prestigious company to start his own startup. In the initial days, he faced many challenges, but he didn’t give up, leading people to say he was “lohe ke chane chabana.”

Conclusion: Everyone faces challenges in life, but some see them as opportunities and learn from them. When an individual doesn’t get deterred but makes every effort to face that challenge, they are considered to be ‘lohe ke chane chabana’.

Today, this idiom is also used for those who struggle in their lives to achieve specific accomplishments.

We hope you now understand the meaning and usage of the idiom “lohe ke chane chabana”. For more information, you can visit our website budhimaan.com.

Story of ‌‌Lohe ke chane chabana in English:

Muneesh was a young boy living in a village. His father worked in agriculture within the village, and the responsibility of the entire family rested on his shoulders. The village faced a significant water scarcity issue, which posed a substantial problem for farming.

Muneesh decided that he would find a solution to this problem. However, people laughed at him, saying this was an age-old issue and that there was no solution to it. But Muneesh was someone who “chewed iron chickpeas,” meaning he was determined and resolute. He decided he would find a solution.

Muneesh travelled to many villages and understood their water levels. He realised the primary cause of the water problem was excessive water use and a lack of water conservation.

He started a tree plantation campaign in his village and formulated a plan to improve water conservation. His efforts and determination became visible to others, and they began to join him in his endeavours.

Within a few years, the water scarcity issue in the village decreased, and people recognized Muneesh’s hard work and perseverance. Looking at him, people would say, “Indeed, Muneesh is chewing iron chickpeas.”

This story teaches us that true success can be achieved by facing challenges and persevering, even in difficulties.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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