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लंबा टीका मधुर वाणी, दगाबाज की यही निशानी अर्थ, प्रयोग (Lamba teeka madhur vani, Dagabaaz ki yahi nishani)

परिचय: “लंबा टीका मधुर वाणी, दगाबाज की यही निशानी” एक प्राचीन हिंदी कहावत है, जिसका उपयोग अक्सर व्यक्ति के बाहरी आवरण और उसके असली इरादों के बीच के विरोधाभास को दर्शाने के लिए किया जाता है।

अर्थ: इस कहावत का अर्थ है कि जो लोग बाहर से बहुत आकर्षक और मधुर व्यवहार दिखाते हैं, वे अक्सर अंदर से धोखेबाज और कपटी होते हैं। “लंबा टीका” यहाँ बाहरी शोभा या आकर्षण को दर्शाता है और “मधुर वाणी” उनके मीठे बोल को, जो अक्सर लोगों को भ्रमित कर देते हैं।

प्रयोग: यह कहावत सावधानी और विवेक के महत्व को रेखांकित करती है, खासकर जब हम नए लोगों से मिलते हैं या जब हमें किसी के इरादों के बारे में संदेह होता है।

उदाहरण:

-> प्रेमचंद्र अपने मीठे बोल और आकर्षक व्यवहार से सभी का ध्यान अपनी ओर खींचता था, लेकिन जब उसके असली इरादे सामने आए, तब सबको समझ आया कि “लंबा टीका मधुर वाणी, दगाबाज की यही निशानी”।

-> जब भी कोई व्यापारी बहुत अधिक लाभ का वादा करे और उसकी बातें बहुत मीठी लगें, तो समझ जाइए कि “लंबा टीका मधुर वाणी, दगाबाज की यही निशानी”।

निष्कर्ष: इस कहावत से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हर समय सतर्क रहना चाहिए और किसी के बाहरी आवरण या मीठे बोलों से प्रभावित नहीं होना चाहिए। यह हमें व्यक्ति के वास्तविक चरित्र और इरादों को समझने के लिए गहनता से निरीक्षण करने की सलाह देती है।

लंबा टीका मधुर वाणी, दगाबाज की यही निशानी कहावत पर कहानी:

बहुत समय पहले की बात है, एक दूर देश में एक राजा राज करता था। राजा अपनी प्रजा का बहुत ख्याल रखता था और उसका राज्य समृद्ध और खुशहाल था। एक दिन, राजा ने अपने दरबार में एक नए मंत्री को नियुक्त किया, जो अपनी मधुर वाणी और आकर्षक व्यवहार के लिए जाना जाता था।

मंत्री ने राजा और दरबारियों को अपनी मीठी बातों से प्रभावित किया। वह हमेशा राजा की प्रशंसा करता और उसके हर निर्णय का समर्थन करता। राजा उसकी बातों में आ गया और उसे अपने राज्य के सभी महत्वपूर्ण काम सौंप दिए।

लेकिन समय के साथ, राज्य में समस्याएं शुरू हो गईं। मंत्री अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने लगा। उसने राजा की अनुपस्थिति में अन्याय और भ्रष्टाचार किया। प्रजा परेशान हो गई और उन्होंने राजा से शिकायत की।

राजा ने जब मंत्री की असलियत जानी, तो उसे बहुत दुःख हुआ। उसने महसूस किया कि “लंबा टीका मधुर वाणी, दगाबाज की यही निशानी”। उसने मंत्री को दंडित किया और प्रजा से माफी मांगी।

निष्कर्ष:

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि बाहरी आकर्षण और मीठे बोल हमेशा व्यक्ति की असलियत नहीं दर्शाते। यह महत्वपूर्ण है कि हम व्यक्ति के चरित्र और इरादों को समझें, न कि केवल उसके बाहरी आवरण या मधुर वाणी से प्रभावित हों।

शायरी:

खुद को सजाया है बाहर से, अंदर से खाली हूँ मैं,

“लंबा टीका मधुर वाणी”, दगाबाज़ी की गली हूँ मैं।

मीठे बोल सुनकर ना बहको, ये दुनिया सवाली है,

बाहर की चमक देख, ना जानो, अंदर की खाली है।

मुखौटे पहने फिरते हैं लोग, दिखावे की ये दुनिया,

“लंबा टीका मधुर वाणी”, याद रखो, यही सच्चाई की कुनिया।

आँखों में झांको, दिल की बात समझो, बोलों से ना तौलो,

मधुर वाणी के पीछे छिपा, कई बार दिल का कोलाहल हो।

खुशियाँ ढूँढो ना बस चेहरों में, कहानी है गहरी,

“लंबा टीका मधुर वाणी”, समझो, दगाबाज़ी की है यह फेहरिस्त।

 

लंबा टीका मधुर वाणी, दगाबाज की यही निशानी शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of लंबा टीका मधुर वाणी, दगाबाज की यही निशानी – Lamba teeka madhur vani, Dagabaaz ki yahi nishani Proverb:

Introduction: “Lamba teeka madhur vani, Dagabaaz ki yahi nishani” is an ancient Hindi proverb, often used to illustrate the contradiction between a person’s outward appearance and their true intentions.

Meaning: The meaning of this proverb is that people who appear very attractive and behave sweetly on the outside are often deceitful and cunning on the inside. Here, “a long mark” represents external beauty or charm, and “sweet speech” refers to their sweet words, which often confuse people.

Usage: This proverb underscores the importance of caution and discretion, especially when we meet new people or when we have doubts about someone’s intentions.

Example:

-> Premchand attracted everyone’s attention with his sweet words and charming behavior, but when his true intentions were revealed, everyone understood that “a long mark and sweet speech, this is the sign of a traitor.”

-> Whenever a merchant promises great profit and his words seem very sweet, understand that “a long mark and sweet speech, this is the sign of a traitor.”

Conclusion: This proverb teaches us that we should always be vigilant and not be influenced by someone’s outward appearance or sweet words. It advises us to deeply observe to understand a person’s real character and intentions.

Story of ‌‌Lamba teeka madhur vani, Dagabaaz ki yahi nishani Idiom in English:

Once upon a time, in a distant land, there ruled a king. The king cared deeply for his subjects, and his kingdom was prosperous and happy. One day, the king appointed a new minister in his court, known for his sweet speech and charming behavior.

The minister impressed the king and the courtiers with his sweet words. He always praised the king and supported every decision of his. The king was swayed by his words and entrusted him with all the important tasks of the kingdom.

However, over time, problems began to arise in the kingdom. The minister started to misuse his power. In the king’s absence, he committed injustices and corruption. The subjects became distressed and complained to the king.

When the king learned the true nature of the minister, he was deeply saddened. He realized that “a long mark and sweet speech, this is the sign of a traitor.” He punished the minister and apologized to his subjects.

Conclusion:

This story teaches us that external charm and sweet words do not always reflect a person’s reality. It is important to understand a person’s character and intentions, rather than being influenced by their outward appearance or sweet speech.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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