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लल्लो-चप्पो करना अर्थ, प्रयोग (Lallo-chappo karna)

परिचय: हिंदी में “लल्लो-चप्पो करना” एक प्रचलित मुहावरा है जो अक्सर सामाजिक और व्यावसायिक संदर्भों में प्रयोग किया जाता है। यह व्यक्ति के चापलूसी या खुशामदी स्वभाव को दर्शाता है।

अर्थ: “लल्लो-चप्पो करना” का अर्थ है किसी की अत्यधिक तारीफ करना या खुशामद करना, अक्सर किसी व्यक्तिगत लाभ या फायदे के उद्देश्य से। यह व्यक्त करता है कि कोई व्यक्ति कैसे अपने शब्दों और कार्यों के माध्यम से दूसरों को प्रसन्न करने की कोशिश करता है।

प्रयोग: इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की बेवजह तारीफ करता है या उनकी खुशामद करता है।

उदाहरण:

-> अभय अपने बॉस का लल्लो-चप्पो करता रहता है ताकि वह उसे अगले प्रोजेक्ट में शामिल करें।

निष्कर्ष: “लल्लो-चप्पो करना” मुहावरा हमें सिखाता है कि चापलूसी और खुशामद से अस्थायी लाभ हो सकते हैं, लेकिन दीर्घकालिक में यह व्यक्ति की प्रतिष्ठा और सम्मान को कम करता है। यह हमें याद दिलाता है कि सच्चाई और ईमानदारी से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना ही सबसे उत्तम है।

लल्लो-चप्पो करना मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से शहर में विकास नाम का एक कर्मचारी रहता था, जो एक बड़ी कंपनी में काम करता था। विकास अपने काम में काफी सक्षम था, लेकिन उसकी एक आदत थी जो उसे उसके सहकर्मियों से अलग करती थी – वह अपने बॉस की अत्यधिक खुशामद करता था।

विकास हमेशा अपने बॉस के आस-पास मंडराता रहता था, उनकी हर बात पर सहमति जताता था और उनकी छोटी से छोटी उपलब्धि की भी जोर-जोर से तारीफ करता था। उसका मानना था कि इस तरह की खुशामद से वह अपने बॉस का दिल जीत लेगा और उसे प्रमोशन मिलेगा।

लेकिन, विकास की यह आदत उसके सहकर्मियों को पसंद नहीं आती थी। वे समझते थे कि विकास का यह व्यवहार असली मेहनत और प्रतिभा का अनादर है। इसके अलावा, बॉस भी धीरे-धीरे विकास की इस आदत को समझने लगे थे।

एक दिन, कंपनी में एक बड़ी परियोजना के लिए टीम लीडर का चयन किया जाना था। विकास को विश्वास था कि उसकी खुशामदी आदत के चलते यह मौका उसे ही मिलेगा। लेकिन, जब चयन का समय आया, तो बॉस ने एक और कर्मचारी को चुना जो विकास से कम अनुभवी था, लेकिन उसके काम में ईमानदारी और समर्पण था।

विकास को इससे बहुत बड़ा सबक मिला। उसे समझ आया कि “लल्लो-चप्पो करना” किसी को अस्थायी तौर पर प्रभावित तो कर सकता है, लेकिन असली मेहनत और प्रतिभा की जगह कभी नहीं ले सकता। उस दिन के बाद, विकास ने अपने काम पर ध्यान केंद्रित किया और फिर कभी खुशामद का सहारा नहीं लिया।

निष्कर्ष:

विकास की कहानी हमें यह सिखाती है कि लंबी-चौड़ी हाँकने से ज्यादा महत्वपूर्ण है अपने काम में ईमानदारी और समर्पण। चापलूसी से अस्थायी लाभ तो मिल सकता है, लेकिन वास्तविक सफलता और सम्मान केवल कड़ी मेहनत और ईमानदार प्रयासों से ही प्राप्त होती है।

शायरी:

ख्वाबों की दुनिया में रंग भरने की कोशिश में,

लल्लो-चप्पो की राहों में खुद को ना खो देना।

जिंदगी की इस दौड़ में, हर कदम पे इम्तिहान है,

सच्चाई की राह पर चलने में ही असली इंसान है।

लोगों की बातों में, अपनी कहानी ना बुनना,

लल्लो-चप्पो की दुनिया से खुद को तुम ना जोड़ना।

चापलूसी के फूलों से कोई बाग नहीं सजता,

सच्ची मेहनत से ही तो जीवन में बहार आता।

ये जिंदगी की राहें, तुफानों से भरी हैं,

लल्लो-चप्पो के दिये, इन राहों में नहीं जलते।

सपनों का सफर लंबा है, और मंजिलें दूर हैं,

सच्चाई और मेहनत से ही, ख्वाब पूरे होते यहाँ।

 

लल्लो-चप्पो करना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of लल्लो-चप्पो करना – Lallo-Chappo Karna Idiom:

Introduction: In Hindi, “लल्लो-चप्पो करना” (Lallo-Chappo Karna) is a popular idiom frequently used in social and professional contexts. It depicts a person’s sycophantic or flattering nature.

Meaning: The idiom “लल्लो-चप्पो करना” means to excessively praise or flatter someone, often with the intention of gaining personal benefit or favor. It illustrates how a person attempts to please others through their words and actions.

Usage: This idiom is employed when someone flatters or excessively praises others for their selfish motives.

Example:

-> Abhay keeps flattering his boss so that he would be included in the next project.

Conclusion: The idiom “लल्लो-चप्पो करना” teaches us that while flattery and sycophancy might bring temporary benefits, they diminish a person’s reputation and respect in the long term. It reminds us that achieving our goals with honesty and integrity is the best approach.

Story of ‌‌Lallo-Chappo Karna Idiom in English:

In a small town lived an employee named Vikas, who worked for a large company. Vikas was quite competent in his work, but he had a habit that set him apart from his colleagues – he excessively flattered his boss.

Vikas would always hover around his boss, agree with everything he said, and loudly praise even his smallest achievements. He believed that this flattery would win his boss’s heart and earn him a promotion.

However, Vikas’s habit was not well-received by his colleagues. They felt that his behavior disrespected genuine effort and talent. Moreover, the boss also gradually began to see through Vikas’s habit.

One day, a team leader was to be selected for a major project in the company. Vikas was confident that his flattering habit would secure him this opportunity. However, when the time came for selection, the boss chose another employee who was less experienced than Vikas but had honesty and dedication in his work.

Vikas learned a significant lesson from this. He realized that “flattering” could temporarily impress someone, but it could never replace real hard work and talent. From that day on, Vikas focused on his work and never resorted to flattery again.

Conclusion:

Vikas’s story teaches us that honesty and dedication in our work are more important than boasting or flattering. Temporary gains can be achieved through flattery, but real success and respect are only earned through hard work and honest efforts.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

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