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लकीर का फकीर होना, अर्थ, प्रयोग(Lakeer ka fakeer hona)

परिचय: “लकीर का फकीर होना” हिंदी भाषा का एक प्रमुख मुहावरा है। इस मुहावरे का प्रयोग वह व्यक्तियों के लिए किया जाता है जो अपनी पुरानी आदतों, रीति-रिवाज़ों  और तरीकों में अटके रहते हैं और नए तरीकों को अपनाने में संकोच करते हैं।

अर्थ: “लकीर का फकीर होना” का मुख्य अर्थ है किसी विषय या चीज में कट्टर और अड़ियल रहना।

उदाहरण: मुनीश अपनी कंपनी में प्रौद्योगिकी का उपयोग नहीं करता और अभी भी पुराने तरीकों पर विश्वास करता है। उसे लगता है कि पुरानी रीतियाँ और तकनीकें सबसे बेहतर हैं। इसलिए, लोग उसे “लकीर का फकीर” मानते हैं।

जब किसी व्यक्ति का विश्वास केवल पुरानी चीज़ों और तरीकों पर होता है, और वह नई चीज़ों और तरीकों को अपनाने में अनिच्छुक होता है, तो उसे “लकीर का फकीर” कहा जाता है।

विवरण: आज के युग में जब प्रौद्योगिकी और नई तकनीकें तेजी से बदल रही हैं, “लकीर का फकीर” बनना व्यक्ति को पीछे छोड़ सकता है। इसलिए, हर व्यक्ति को खुले दिल से नई चीज़ों को स्वीकार करना चाहिए और परिवर्तन में अड़ियलता नहीं दिखानी चाहिए।

आशा है कि आपको “लकीर का फकीर होना” मुहावरे का अर्थ और उसका प्रयोग समझ में आ गया होगा। और भी रोचक जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट budhimaan.com पर जा सकते हैं।

Hindi Muhavare Quiz

लकीर का फकीर मुहावरा पर कहानी:

सुरेंद्र गाँव का सरपंच था। वह हमेशा गाँव में प्राचीन रीति-रिवाज़ और पुरानी परंपराओं का पालन करता था। गाँववाले उसे बहुत सम्मान देते थे, लेकिन वह हमेशा अपने पुराने तरीकों पर अड़ा रहता था और किसी भी नए तरीके या प्रौद्योगिकी को अपनाने में संकोच करता था।

एक दिन गाँव में एक युवक आया जिसका नाम सुमित था। अखिल ने गाँववालों को सूचित किया कि वह उन्हें नई प्रौद्योगिकी और तकनीक सिखा सकता है जो उनके जीवन को और अधिक सुगम और समृद्ध बना सकती है।

रामेश्वर ने तुरंत ही सुमित की बातों को नकारते हुए कहा, “हमारी पुरानी तकनीक और परंपराएं हमें सदियों से सेवा कर रही हैं। हमें नए तरीके अपनाने की जरूरत नहीं है।”

सुमित ने समझाया कि परंपराएं जरूरी होती हैं, लेकिन समय के साथ बदलाव भी जरूरी है। वह गाँववालों को दिखाने लगा कि नई तकनीकों से उनका काम कैसे आसान हो सकता है।

धीरे-धीरे, गाँववाले सुमित की बातों को महसूस करने लगे और उन्होंने नई तकनीकों को अपनाना शुरू किया। जब रामेश्वर ने इस बदलाव को देखा, तो उसे समझ में आया कि वह “लकीर का फकीर” बनकर रह गया था।

अब वह समझ गया था कि परंपराओं का सम्मान करते हुए भी नए तरीकों को अपनाना महत्वपूर्ण है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें अपनी पुरानी सोच और परंपराओं में इतना अड़ा नहीं रहना चाहिए कि हम नए अवसरों और तकनीकों को नकार दें।

शायरी:

वही पुरानी राहते, लकीर पे चलते जाते,

ज़िंदगी नई दिशा में, फिर भी फिसलते जाते।

लकीर का फकीर बन, नए ख्वाब ना देखे,

जीवन की नई बहारों को, वो नहीं पहचान पाते।

 

लकीर का फकीर होना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of लकीर का फकीर होना – Lakeer ka fakeer hona Idiom:

Introduction: The phrase “Lakeer ka fakeer hona” is a well-known Hindi idiom. It is used to describe someone who clings to their old habits, traditions, and ways, and is hesitant to adopt new methods.

Meaning:  The main meaning of “Lakeer ka fakeer hona” is to be rigid and stubborn about a particular matter or thing.

Examples: -> Munish doesn’t utilize technology in his company and still believes in old ways. He feels that the old traditions and techniques are superior. Therefore, people consider him as “Lakeer ka fakeer.”

When an individual’s belief lies only in old things and methods, and they are unwilling to adopt new things and methods, they are referred to as “Lakeer ka fakeer.”

Description: In today’s age, when technology and new techniques are rapidly evolving, being a “Lakeer ka fakeer” can leave an individual behind. Hence, everyone should accept new things with an open heart and should not show rigidity towards change.

We hope you now understand the meaning and usage of the idiom “Lakeer ka fakeer hona.” For more interesting information, you can visit our website, budhimaan.com.

Story of ‌‌Lakeer ka fakeer hona Idiom in English:

Surendra was the village headman. He always followed the village’s ancient traditions and customs. The villagers respected him immensely. However, he was always set in his old ways and hesitated to adopt any new methods or technologies.

One day, a young man named Sumit came to the village. Sumit informed the villagers that he could teach them new technologies and techniques that could make their lives more convenient and prosperous.

Quick to dismiss, Surendra immediately rejected Sumit’s proposal, saying, “Our old techniques and traditions have served us for centuries. We don’t need new methods.”

Sumit explained that while traditions are essential, change with time is also crucial. He began showing the villagers how new techniques could simplify their tasks.

Gradually, the villagers began to see the merit in Sumit’s words and started adopting the new techniques. When Surendra observed this transformation, he realized that he had been a “Lakeer ka fakeer” all along.

He now understood that it’s vital to respect traditions but equally important to embrace new methods. This story teaches us not to be so entrenched in our old beliefs and customs that we reject new opportunities and techniques.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या “लकीर का फकीर होना” मुहावरे का उपयोग सकारात्मक संदर्भ में होता है?

नहीं, आमतौर पर यह मुहावरा नकारात्मक संदर्भ में प्रयोग किया जाता है, जिसका अर्थ है अत्यधिक रूढ़िवादिता या अनुदारता।

क्या “लकीर का फकीर होना” केवल पारंपरिक संदर्भों में प्रयोग होता है?

इसका मुख्य प्रयोग पारंपरिक या रूढ़िवादी संदर्भों में होता है, परंतु इसका व्यापक रूप से उन स्थितियों में भी प्रयोग हो सकता है जहाँ कोई व्यक्ति बिना सोचे-समझे नियमों का पालन करता है।

“लकीर का फकीर होना” मुहावरे की उत्पत्ति क्या है?

इस मुहावरे की उत्पत्ति का सटीक इतिहास ज्ञात नहीं है, लेकिन यह शायद उन लोगों से संबंधित है जो बिना सोचे-समझे एक ही पथ पर चलते रहते हैं।

क्या इस मुहावरे का प्रयोग व्यंग्यात्मक रूप से भी होता है?

हां, अक्सर इस मुहावरे का प्रयोग व्यंग्यात्मक रूप में होता है जब किसी को उसके संकीर्ण विचारों या अनुदार प्रवृत्ति के लिए आलोचना की जाती है।

क्या “लकीर का फकीर होना” का प्रयोग शिक्षा क्षेत्र में हो सकता है?

हां, शिक्षा क्षेत्र में इस मुहावरे का प्रयोग उन शिक्षकों या छात्रों के संदर्भ में हो सकता है जो नए विचारों को अपनाने में संकोच करते हैं या केवल पुराने तरीकों का पालन करते हैं।

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