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खुद लिखे खुदा बांचे अर्थ, प्रयोग (Khud likhe khuda banche)

परिचय: “खुद लिखे खुदा बांचे” यह मुहावरा अक्सर उन परिस्थितियों में सुनने में आता है जब किसी की लिखावट इतनी खराब होती है कि उसे पढ़ पाना बहुत कठिन हो जाता है, और माना जाता है कि उसे केवल ईश्वर ही समझ सकते हैं।

अर्थ: इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है कि जो कुछ भी व्यक्ति ने लिखा है, वही उसे ठीक से पढ़ पाएगा या समझ पाएगा। यहां ‘खुदा’ शब्द का उपयोग ईश्वरीय शक्ति के रूप में होता है, जो असंभव को संभव बना सकता है।

प्रयोग: यह मुहावरा तब प्रयोग में लाया जाता है जब किसी की लिखावट इतनी अस्पष्ट या अव्यवस्थित होती है कि उसे समझना लगभग असंभव हो जाता है।

उदाहरण:

-> अंश की परीक्षा की कॉपी देखकर शिक्षक ने कहा, “खुद लिखे खुदा बांचे, तुम्हारी लिखावट को तो सिर्फ ऊपर वाला ही पढ़ सकता है।”

-> जब डॉक्टर ने दवाई का पर्चा लिखा, तो मरीज ने कहा, “इसे तो सिर्फ खुदा ही पढ़ सकते हैं, खुद लिखे खुदा बांचे।”

निष्कर्ष: “खुद लिखे खुदा बांचे” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि अपनी लिखावट को स्पष्ट और पढ़ने योग्य बनाना महत्वपूर्ण है, ताकि अन्य लोग भी उसे आसानी से समझ सकें। यह मुहावरा विनोदी ढंग से उस स्थिति का वर्णन करता है जहां लिखावट की गुणवत्ता कम होने पर व्यक्ति को अन्य लोगों की समझ से परे होने का अनुभव होता है।

Hindi Muhavare Quiz

खुद लिखे खुदा बांचे मुहावरा पर कहानी:

एक छोटे से गाँव में अमन नामक एक युवक रहता था। अमन बहुत ही प्रतिभाशाली था लेकिन उसकी एक समस्या थी – उसकी लिखावट बहुत खराब थी। वह जब भी कुछ लिखता, उसके शब्द इतने अस्पष्ट होते कि कोई भी उन्हें ठीक से पढ़ नहीं पाता था।

एक दिन गाँव में एक बड़ी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। अमन ने भी उसमें भाग लिया और एक लेख लिखा। उसका लेख विचारों के मामले में बहुत अच्छा था, लेकिन उसकी लिखावट इतनी बुरी थी कि निर्णायकों को उसे पढ़ने में बड़ी कठिनाई हुई।

जब निर्णायकों ने अमन को उसकी लिखावट के बारे में बताया, तो अमन ने हँसते हुए कहा, “खुद लिखे खुदा बांचे। मेरी लिखावट तो शायद भगवान ही पढ़ पाएं।” यह सुनकर सभी लोग हँस पड़े।

इस घटना के बाद, अमन ने अपनी लिखावट सुधारने का निर्णय लिया। उसने महसूस किया कि चाहे विचार कितने भी अच्छे हों, अगर वे स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं किए जाते हैं, तो उनका महत्व कम हो जाता है।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अपने विचारों को स्पष्ट और सुंदर तरीके से व्यक्त करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि विचारों का अच्छा होना। “खुद लिखे खुदा बांचे” मुहावरा हमें यही सिखाता है।

शायरी:

लिख दिया जो दिल से, कहते हैं “खुद लिखे खुदा बांचे”,

कलम की स्याही में बहते हैं, अनकहे जज़्बात सारे।

कागज़ पे उतरे हर लफ्ज़, दिल की दास्तान बयां करते,

इस दुनिया में शायद, उसे खुदा ही समझ पाते।

लिखने वाले के दिल की बात, कभी ये कलम छुपा नहीं पाती,

“खुद लिखे खुदा बांचे”, हर स्याही में यही राज़ छुपा होता है।

जो लिखा दिल से, वह पढ़ा भी जाएगा दिल से,

खुदा के फरिश्ते भी, इन लफ्जों को समझ जाते हैं।

लिखता हूँ जब भी अपने दिल की, “खुद लिखे खुदा बांचे” याद आता है,

इस कलम की नोक पे, जैसे खुदा का ही हाथ बैठा होता है।

 

खुद लिखे खुदा बांचे शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of खुद लिखे खुदा बांचे – Khud likhe khuda banche Idiom:

Introduction: The idiom “खुद लिखे खुदा बांचे” is often heard in situations where someone’s handwriting is so poor that it becomes very difficult to read, and it is believed that only a divine power can comprehend it.

Meaning: The literal meaning of this idiom is that only the person who has written something can read or understand it properly. Here, the word ‘खुदा’ (God) is used to imply a divine power capable of making the impossible possible.

Usage: This idiom is used when someone’s handwriting is so unclear or disorganized that understanding it becomes nearly impossible.

Example:

-> Seeing Ansh’s examination copy, the teacher said, “खुद लिखे खुदा बांचे, only the Almighty can read your handwriting.”

-> When the doctor wrote a prescription, the patient said, “Only God can read this, खुद लिखे खुदा बांचे.”

Conclusion: The idiom “खुद लिखे खुदा बांचे” teaches us the importance of making our handwriting clear and legible so that others can easily understand it. This idiom humorously describes situations where the quality of handwriting leads to incomprehension by others.

Story of ‌‌Khud likhe khuda banche Idiom in English:

In a small village, there lived a young man named Aman. Aman was very talented, but he had one problem – his handwriting was very poor. Whenever he wrote something, his words were so unclear that nobody could read them properly.

One day, a big competition was organized in the village. Aman also participated and wrote an article. His article was excellent in terms of ideas, but his handwriting was so bad that the judges had a hard time reading it.

When the judges told Aman about his handwriting, he laughed and said, “Only God can read what I write, खुद लिखे खुदा बांचे.” Hearing this, everyone laughed.

After this incident, Aman decided to improve his handwriting. He realized that no matter how good the ideas are, if they are not expressed clearly, their importance diminishes.

This story teaches us that expressing our thoughts clearly and beautifully is as important as having good ideas. The idiom “खुद लिखे खुदा बांचे” teaches us this very lesson.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या इस मुहावरे का अनुप्रयोग आधुनिक जीवन में भी हो सकता है?

हाँ, इसे आधुनिक जीवन में भी सुधार के लिए एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में देखा जा सकता है।

इस मुहावरे का उपयोग किस परिस्थिति में हो सकता है?

यह मुहावरा उस समय का संदेश देता है जब किसी को आत्मनिर्भरता और स्वायत्तता की आवश्यकता होती है।

“खुद लिखे खुदा बांचे” मुहावरे का अर्थ क्या है?

इस मुहावरे का अर्थ है कि कोई अपने हाथों से अपने भविष्य को स्वयं बनाता है और सफलता प्राप्त करता है।

क्या यह मुहावरा किसी ऐतिहासिक कहानी से जुड़ा है?

इसका कोई विशेष ऐतिहासिक संबंध नहीं है, यह एक सामान्य उक्ति है जो जीवन के मूल्यों को बताती है।

क्या इस मुहावरे का कोई विरोधाभास है?

नहीं, इस मुहावरे का कोई विरोधाभास नहीं है, बल्कि यह स्वतंत्रता और स्वायत्तता की महत्वपूर्णता को प्रमोट करता है।

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