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ख्याली पुलाव पकाना, अर्थ, प्रयोग(Khayali pulao pakana)

परिचय:हर भाषा में कुछ वाक्यांश होते हैं जो किसी विशेष भावना या स्थिति को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होते हैं। हिंदी में “ख्याली पुलाव पकाना” भी एक प्रमुख मुहावरा है, जिसे अक्सर प्रयोग किया जाता है।

अर्थ: “ख्याली पुलाव पकाना” मुहावरे का अर्थ है किसी अधारहीन पर विचार करना, कल्पनाओं में कोना, बेसिर पैर की बातें करना, असंभवं बातें सोचना, कोरी कल्पनाएं करना।। इसका प्रयोग तब होता है जब किसी व्यक्ति की आशा या विचार असंभावना से परिपूर्ण होते हैं।

उदाहरण:

-> अनुज अगले महीने अमेरिका जाने का प्लान बना रहा था, बिना वीजा के। उसके दोस्त ने कहा, “तू ख्याली पुलाव पका रहा है।”

-> पारुल सोच रही थी कि वह बिना पढ़ाई किए ही परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करेगी। उसकी माँ ने कहा, “ऐसे ख्याली पुलाव मत पकाओ।”

व्याख्या: “ख्याली पुलाव पकाना” मुहावरे के माध्यम से यह दर्शाया जाता है कि कैसे कभी-कभी हम असंभावना से परिपूर्ण बातों में उलझ जाते हैं। इसे उन स्थितियों में प्रयुक्त किया जाता है जब कोई अप्रैलिकृत या असंभावित आशा या योजना बना लेता है।

निष्कर्ष: “ख्याली पुलाव पकाना” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि हमें हमेशा वास्तविकता को स्वीकार करना चाहिए और अधारहीन या असंभव विचारों में अपना समय बर्वाद नहीं करना चाहिए

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एक कहानी: ख्याली पुलाव पकाना

अमन और प्रथम दो दोस्त थे। दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे और फुटबॉल खेलना उन्हें बहुत पसंद था। एक दिन, अमन ने सुना कि स्कूल में एक बड़ा फुटबॉल प्रतियोगिता हो रहा है और वह तय कर लिया कि वह उसमें हिस्सा लेगा और प्रतियोगिता जीतेगा।

अब, अमन था उत्साही, लेकिन वह अभ्यास में ज्यादा समय नहीं देता था। वह अकेले मैदान में खेलता, बिना किसी टीम या कोच के। जब प्रथम ने उससे पूछा कि उसने कितनी तैयारी की है, अमन ने बताया कि वह अपने सपनों में अकेले ही उस प्रतियोगिता को जीतता है। प्रथम ने हंसते हुए कहा, “तू तो ख्याली पुलाव पका रहा है!”

प्रतियोगिता के दिन, अमन उत्साह से भरा हुआ मैदान में पहुंचा, लेकिन जब वह अन्य प्रतिभागियों को देखा, उसे समझ में आ गया कि वह पूरी तरह से तैयार नहीं था। उसने खेल में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया और अच्छे खिलाड़ी बनने के लिए उसे और अभ्यास करना होगा।

उस दिन अमन को समझ में आ गया कि वास्तविक जीवन में कामयाब होने के लिए सिर्फ सपने देखना काफी नहीं है। उसे उस सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत और समर्पण की जरूरत है।

शायरी – Shayari

ख्यालों में अक्सर पुलाव पकाता हूँ मैं,

जीवन की राहों में सपने सजाता हूँ मैं।

जानता हूँ सपने हकीकत नहीं बनते,

फिर भी उम्मीदों से दिल बहलाता हूँ मैं।

 

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।


Hindi to English Translation of ख्याली पुलाव पकाना – Khayali pulao pakana
Idiom:

Introduction: In every language, there are specific phrases that are used to express a particular feeling or situation. In Hindi, “ख्याली पुलाव पकाना” is one such popular idiom, which is often used.

Meaning:  The idiom “ख्याली पुलाव पकाना” translates to “cooking imaginary rice”. It implies indulging in baseless thoughts, building castles in the air, or having unrealistic expectations. It is used when someone’s hopes or thoughts are filled with impossibilities.

Usage:

-> Anuj was planning to go to America next month without a visa. His friend said, “You are cooking imaginary rice (or having baseless thoughts).”

-> Parul was thinking that she would score well in the exam without studying. Her mother said, “Don’t cook such imaginary rice (or have such baseless thoughts).”

Discussion: Through the idiom “ख्याली पुलाव पकाना”, it is depicted how we sometimes get entangled in improbable scenarios. It is applied in situations where someone formulates an impractical or unlikely hope or plan.

Conclusion: The idiom “ख्याली पुलाव पकाना” teaches us that we should always accept reality and not waste our time on groundless or impossible thoughts.

Story of ‌‌ख्याली पुलाव पकाना – Khayali pulao pakana Idiom:

Aman and Pratham were two friends. They both studied in the same school and loved playing football. One day, Aman heard that there was going to be a big football competition in the school. He decided that he would participate and win the competition.

Now, Aman was enthusiastic, but he didn’t spend much time practicing. He played alone in the field, without any team or coach. When Pratham asked him about his preparation, Aman said that he often saw himself winning the competition in his dreams. Pratham laughed and said, “You’re just cooking up imaginary feasts!”

On the day of the competition, Aman arrived on the field full of zeal, but when he saw the other participants, he realized he wasn’t fully prepared. He didn’t perform well in the game, and he realized that to become a good player, he needed to practice more.

That day, Aman understood that just dreaming isn’t enough to succeed in real life. He needed to put in hard work and dedication to realize that dream.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या “ख्याली पुलाव पकाना” के बारे में कोई लोकप्रिय कहानी या कविता है?

हां, कई कहानियों और कविताओं में “ख्याली पुलाव पकाना” का मुहावरा प्रयोग होता है जो व्यक्तिगत या सामाजिक धर्मों के प्रति धोखा देने के संदर्भ में होता है।

क्या “ख्याली पुलाव पकाना” के कोई कानूनी प्राधिकृत्य संदर्भ हो सकता है?

नहीं, इस मुहावरे का कोई कानूनी प्राधिकृत्य संदर्भ नहीं होता है। यह केवल एक भाषाई मुहावरा होता है।

“ख्याली पुलाव पकाना” का क्या संदर्भ हो सकता है?

स मुहावरे का संदर्भ हो सकता है किसी की बदलती हुई दुनिया में किसी के असमर्पित या कल्पित विचारों के साथ, जो वास्तविकता से मेल नहीं खाते।

क्या इस मुहावरे का कोई विरोधाभासी अर्थ हो सकता है?

नहीं, “ख्याली पुलाव पकाना” का कोई विरोधाभासी अर्थ नहीं होता है। यह एक सकारात्मक मुहावरा होता है जिसका मतलब होता है वास्तविकता से दूर होना।

क्या “ख्याली पुलाव पकाना” का कोई उम्र सीमा होती है?

नहीं, इस मुहावरे का कोई विशेष उम्र सीमा नहीं होती, यह किसी भी उम्र में उपयोग किया जा सकता है।

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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