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खौरही कुतिया मखमली झूल अर्थ, प्रयोग (Khaurahi kutiya makhmali jhool)

“खौरही कुतिया मखमली झूल” एक लोकप्रिय हिंदी मुहावरा है, जिसका उपयोग अक्सर समाज में व्यक्तियों की अयोग्यता या अनुचित व्यवहार को दर्शाने के लिए किया जाता है। इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है कि एक जंगली या घरेलू न होने वाली कुतिया को अगर मखमली झूला दिया जाए, तो भी वह अपनी आदतों से मजबूर होकर उसका उचित उपयोग नहीं कर पाएगी। इसके माध्यम से हम समझते हैं कि सुविधाएँ और लाभ केवल उन्हीं के लिए उपयोगी होते हैं जो इनका सही उपयोग करने की क्षमता रखते हैं।

परिचय: यह मुहावरा उन स्थितियों पर प्रकाश डालता है जहाँ व्यक्तियों को उनकी योग्यता या स्थिति के अनुसार अधिक सुविधाएँ या विशेषाधिकार प्रदान किए जाते हैं, लेकिन वे इसका उचित उपयोग करने में असमर्थ रहते हैं।

अर्थ: “खौरही कुतिया मखमली झूल” का अर्थ है कि अयोग्य व्यक्ति को चाहे जितनी भी उत्तम सुविधाएँ दी जाएं, वह उनका सही लाभ नहीं उठा पाता क्योंकि उसके पास उन्हें समझने या उपयोग करने की क्षमता नहीं होती।

प्रयोग: यह मुहावरा आमतौर पर तब उपयोग किया जाता है जब किसी व्यक्ति को उसकी योग्यता से अधिक लाभ या सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं और वह इसका सही उपयोग नहीं कर पाता।

उदाहरण:

मान लीजिए एक व्यक्ति को उसके काम के लिए एक उन्नत तकनीकी उपकरण दिया गया, लेकिन वह उसका उपयोग करने की क्षमता नहीं रखता। ऐसे में यह मुहावरा उस स्थिति का वर्णन करने के लिए उपयुक्त है।

निष्कर्ष: “खौरही कुतिया मखमली झूल” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि किसी भी सुविधा या विशेषाधिकार का सही लाभ तभी उठाया जा सकता है जब व्यक्ति उसे समझने और उपयोग करने की क्षमता रखता हो। यह हमें योग्यता और संसाधनों के बीच संतुलन की महत्वता को समझने में मदद करता है।

खौरही कुतिया मखमली झूल मुहावरा पर कहानी:

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में प्रेमचंद्र नाम का एक धनी व्यापारी रहता था। प्रेमचंद्र के पास धन-दौलत की कोई कमी नहीं थी, और उसने सोचा कि अपनी धन-संपत्ति का उपयोग कर वह अपने गाँव को विकसित करेगा। उसने गाँव में एक आधुनिक पुस्तकालय बनवाने का निर्णय लिया, जिसमें विश्व की सभी प्रमुख पुस्तकें और तकनीकी उपकरण मौजूद हों।

पुस्तकालय का निर्माण पूरा होने पर, प्रेमचंद्र ने गाँव के लोगों को इसका उपयोग करने का आमंत्रण दिया। गाँव के लोगों ने पुस्तकालय की सुंदरता और उसके आधुनिक उपकरणों को देखा तो चकित रह गए, लेकिन उन्हें उसका उपयोग करने का कोई ज्ञान नहीं था। वे लोग किताबों को सिर्फ देखते और उन्हें सजावटी सामान की तरह उपयोग करते, लेकिन पढ़ते नहीं थे। तकनीकी उपकरण भी उनके लिए केवल एक आकर्षण का केंद्र थे, उपयोग की वस्तु नहीं।

प्रेमचंद्र ने जब यह देखा, तो उसे बहुत दुःख हुआ। उसने महसूस किया कि सिर्फ सुविधाएँ प्रदान कर देना ही काफी नहीं है, जब तक कि लोगों को उनका सही उपयोग करने की क्षमता न हो। उसने तब गाँव में शिक्षकों को बुलाया और गाँव के लोगों को पढ़ने, लिखने और तकनीकी उपकरणों का उपयोग करने की शिक्षा देने का आयोजन किया। धीरे-धीरे, गाँव के लोगों ने उनका सही उपयोग सीखा और पुस्तकालय उनके ज्ञान और विकास का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया।

इस कहानी के माध्यम से हम समझते हैं कि “खौरही कुतिया मखमली झूल” मुहावरे का अर्थ है कि सुविधाएँ और विशेषाधिकार केवल उन्हीं के लिए उपयोगी होते हैं जो इनका सही उपयोग करने की क्षमता रखते हैं। ज्ञान और क्षमता के बिना, सबसे उत्तम सुविधाएँ भी व्यर्थ हो जाती हैं।

शायरी:

खौरही को मिले जो मखमली झूल,
समझ न पाए वो, इसका सूल।
आलीशान सुखों में भी रह जाए अकेला,
जिसे ना आता हो, जीने का मेला।

दौलत की चादर ओढ़ कर सोया करते हैं,
अरमानों की कश्ती में वो खोया करते हैं।
लेकिन सच्ची खुशी तो वही समझे,
जो जीवन की राहों में रोया करते हैं।

ज्ञान की बातें करें, तो समझें क्या है खेल,
खौरही कुतिया और मखमली झूल का मेल।
सिखाता है ये हमें, कद्र की है क्या भूल,
जो न समझे इसे, वो रह जाए भूल।

दुनिया की रंगीनियों में खो कर भी,
कुछ लोग रह जाते हैं बिना सोचे समझे।
खौरही कुतिया की तरह, मखमली झूल में भी,
खुशियों के सागर में रहते हैं वो तरसे।

 

खौरही कुतिया मखमली झूल शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of खौरही कुतिया मखमली झूल – Khaurahi kutiya makhmali jhool Idiom:

“Khaurahi Kutiya Makhmali Jhool” is a popular Hindi proverb often used to denote individuals’ incompetence or inappropriate behavior in society. The literal meaning of this proverb is that even if a wild or non-domestic dog is given a velvet swing, it won’t be able to use it properly due to its inherent habits. This teaches us that facilities and advantages are only useful to those who have the capability to use them properly.

Introduction: This proverb sheds light on situations where individuals are provided with more facilities or privileges than their abilities or status warrants, but they are unable to utilize them properly.

Meaning: The meaning of “Khaurahi Kutiya Makhmali Jhool” is that no matter how superior the facilities provided to an incompetent person, they cannot derive the proper benefit from them because they lack the ability to understand or use them.

Usage: This proverb is commonly used when a person is given more benefits or facilities than their qualifications warrant, and they are unable to use them correctly.

Example:

Suppose a person is given an advanced technological device for their work, but they do not possess the capability to use it. In such cases, this proverb aptly describes the situation.

Conclusion: The proverb “Khaurahi Kutiya Makhmali Jhool” teaches us that the proper benefit of any facility or privilege can only be enjoyed when the individual has the capability to understand and use it. It helps us appreciate the importance of balancing competence and resources.

Story of ‌‌Khaurahi Kutiya Makhmali Jhool Idiom in English:

Once upon a time, in a small village, there lived a wealthy merchant named Premchandra. Premchandra had no shortage of wealth and thought of using his fortune to develop his village. He decided to build a modern library in the village, which would house all the major books and technological devices from around the world.

Upon the completion of the library, Premchandra invited the villagers to use it. The villagers were amazed by the beauty and modern equipment of the library, but they had no knowledge of how to use it. They would only look at the books and use them as decorative items, without reading them. The technological devices were merely a center of attraction for them, not something to be used.

Seeing this, Premchandra was deeply saddened. He realized that merely providing facilities was not enough unless people had the capability to use them properly. He then arranged for teachers to come to the village and educate the villagers on how to read, write, and use the technological devices. Gradually, the villagers learned to use them correctly, and the library became an important source of knowledge and development for them.

Through this story, we understand the meaning of the proverb “Khaurahi Kutiya Makhmali Jhool,” which is that facilities and privileges are only useful to those who have the capability to use them properly. Without knowledge and ability, even the best facilities become useless.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly.

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