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कलेजा मुँह को आना, अर्थ, प्रयोग(Kaleja muh ko aana)

परिचय: हर भाषा में कुछ विशेष वाक्यांश होते हैं जो विशिष्ट भावना या संवेदना को प्रकट करते हैं। हिंदी में “कलेजा मुँह को आना” भी ऐसा ही एक मुहावरा है।

अर्थ: “कलेजा मुँह को आना” मुहावरे का अर्थ है अत्यधिक डर या चिंता महसूस करना। जब किसी व्यक्ति को अधिक डर या चिंता हो, तो इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण:

-> जब अंश अधेरे कमरे में अकेला था, वह बहुत डर रहा था ऐसा लगा की उसका कलेजा मुँह को आ गया हो।

-> जब अमन ने जंगल में शेर की दहाड़ सुनी, तो उसका कलेजा मुँह को आ गया।

व्याख्या: इस मुहावरे के माध्यम से हम वह विशेष भावना को व्यक्त कर सकते हैं जब हम अत्यधिक भयभीत या चिंतित महसूस करते हैं। “कलेजा” यहाँ पर दिल को सूचित करता है जबकि “मुँह को आना” इस बात की सूचना देता है कि भय या चिंता कितनी अधिक है।

निष्कर्ष: “कलेजा मुँह को आना” मुहावरा हमें यह बताता है कि जीवन में कई परिस्थितियाँ होती हैं जब हम डर या चिंता महसूस करते हैं। इसलिए, इस मुहावरे का प्रयोग भयभीत या चिंतित होने की भावना को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।

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कलेजा मुँह को आना मुहावरा पर कहानी:

अनीता एक छोटे शहर की रहने वाली थी। वह हमेशा अपने शहर की सीमा के भीतर ही रहती थी और कभी बाहर नहीं गई थी। एक दिन, उसके पिता ने उसे दूसरे शहर में अपने मामा के यहाँ भेजने का निर्णय लिया। इसका मुख्य कारण था वहाँ हो रहे एक विशेष उत्सव में भाग लेना।

वहाँ जाने के लिए अनीता को ट्रेन से यात्रा करनी थी। यह उसकी जीवन की पहली ट्रेन यात्रा थी। जब वह स्टेशन पहुंची और उसने वह विशाल ट्रेन देखी, तो उसका कलेजा मुँह को आ गया। उसने सुना था कि ट्रेनें बहुत तेज़ चलती हैं और उसे डर था कि वह सही समय पर ट्रेन पर चढ़ पाएगी या नहीं।

अनीता के मन में हजारों सवाल और भय थे। क्या वह सही सीट पर बैठ पाएगी? क्या वह सही समय पर अपनी मंजिल पर पहुंच पाएगी? उसके साथ उसकी माँ थी, जिसने उसे समझाया और उसकी चिंता को दूर किया।

जब ट्रेन चल पड़ी, तो अनीता को थोड़ी देर में ही आराम महसूस हुआ। उसने समझा कि अधिक डरने से कोई फायदा नहीं है और उसने अपनी माँ के साथ मिलकर अपनी यात्रा का आनंद लिया।

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि अधिक चिंता और डर से कुछ हासिल नहीं होता। जरूरी है कि हम अपने डर का सामना करें और उसे पार करें।

शायरी:

जब जीवन में आयी मुश्किलें कड़ी,

कलेजा मुँह को आया जैसे बिन बताए बर्फी।

जिसे समझे थे जीवन की सबसे बड़ी चोट,

वह तो बस एक पल की थी जिंदगी की मोहलत।

डर से मत घबरा, जीत है तेरी राह में,

क्योंकि जीवन तो है, सीखने की एक नई साँझ।

 

कलेजा मुँह को आना शायरी

आशा है कि आपको इस मुहावरे की समझ आ गई होगी और आप इसका सही प्रयोग कर पाएंगे।

Hindi to English Translation of कलेजा मुँह को आना – Kaleja muh ko aana Idiom:

Introduction: Every language has certain phrases that capture specific emotions or sentiments. In Hindi, “Kaleja muh ko aana” is one such idiom.

Meaning:  The phrase “Kaleja muh ko aana” translates to feeling extremely scared or anxious. It’s used when someone feels a heightened sense of fear or concern.

Usage:

-> When Ansh was alone in the dark room, he was so frightened that it felt like his heart had come into his mouth.

-> Upon hearing the roar of a lion in the forest, Aman felt as if his heart reached his mouth.

Discussion: Through this idiom, we can express that specific emotion when we feel extremely terrified or anxious. Here, “Kaleja” represents the heart, and “muh ko aana” indicates the extent of the fear or concern.

Conclusion: The idiom “Kaleja muh ko aana” teaches us that there are moments in life when we feel heightened fear or concern. Thus, this phrase is used to convey such intense feelings of apprehension or dread.

Story of ‌‌Kaleja muh ko aana Idiom in English:

Anita hailed from a small town and had always stayed within its confines, never venturing out. One day, her father decided to send her to visit her uncle in another city to partake in a special festival.

For this journey, Anita had to travel by train. This would be her very first train journey. As she arrived at the station and glimpsed the massive train, her heart raced to her throat. She had heard about the speed of trains and was anxious about whether she would board it on time.

Numerous questions and fears swirled in Anita’s mind. Would she find the right seat? Would she reach her destination on time? Fortunately, her mother accompanied her, providing reassurance and allaying her fears.

Once the train started moving, Anita soon found herself at ease. She realized that there was no use in excessive fear and decided to enjoy the journey with her mother.

From this tale, we learn that there’s little to gain from undue worry and fear. It’s crucial to face our fears head-on and overcome them.

 

I hope this gives you a clear understanding of the proverb and how to use it correctly

FAQs:

क्या “कलेजा मुँह को आना” का कोई उम्र सीमा होती है?

नहीं, इस मुहावरे का कोई विशेष उम्र सीमा नहीं होती, यह किसी भी उम्र में उपयोग किया जा सकता है।

क्या “कलेजा मुँह को आना” का कोई समर्थनीय मुहावरा होता है?

नहीं, इस मुहावरे का कोई समर्थनीय मुहावरा विशेष रूप से नहीं होता है।

“कलेजा मुँह को आना” का क्या संदर्भ हो सकता है?

इस मुहावरे का संदर्भ हो सकता है जब किसी को किसी के कठिन शब्दों, आलोचना, या आक्रोश से दुख पहुंचता है और वह व्यक्ति इसका दुःख अनुभव करता है।

“कलेजा मुँह को आना” का क्या महत्व होता है?

यह मुहावरा महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह व्यक्ति के भावनात्मक अनुभवों को व्यक्त करने में मदद करता है और दर्द और आहति को समझने में सहायक होता है।

क्या “कलेजा मुँह को आना” के बारे में कोई लोकप्रिय कहानी या कविता है?

हां, कई कहानियों और कविताओं में “कलेजा मुँह को आना” का मुहावरा प्रयोग होता है, जो व्यक्तिगत और सामाजिक संबंधों को बेहतर बनाने की कहानियों को दर्शाते हैं।

हिंदी मुहावरों की पूरी लिस्ट एक साथ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

यह मुहावरा मानव शरीर के अंगों पर आधारित मुहावरे पेज पर भी उपलब्ध है।

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